एग्जिट पोल के बाद कई अफसरों में भविष्य को लेकर मचा हडक़ंप

दो दिन पहले प्रदेश में विधानसभा चुनाव को लेकर विभिन्न संस्थाओं के एग्जिट पोल आने के बाद से प्रदेश में भाजपा की सरकार में सर्वशक्तिमान माने जाने वाले अफसरों में हडक़ंप की स्थिति बनी हुई हैं। यह वे अफसर हैं जो बीते करीब एक दशक से न केवल मलाईदार पदों पर पदस्थ है , बल्कि नीति नियंत्रा बनकर उभरे हें। यही नहीं परिणामों की संभावना के बीच प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ

द्वारा प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनने के बाद कलेक्टर का पदनाम बदलने की घोषणा को लेकर भी चर्चा बनी हुई है। दरअसल प्रदेश की मौजूदा सरकार के कुछ ताकतवर अफसर लंबे समय से कमलनाथ के निशाने पर बने हुए हैं। इन अफसरों को कमलनाथ ने पीसीसी की कमान संभालने के बाद से ही निशाने पर लिया हुआ है। इस दौरान वे कई बार इन नौकरशाहों को यह कहते हुए चेता चुके हैं कि वे किसी पार्टी विशेष के लिए पक्षपात नहीं करें। इतना ही नहीं पुलिस एवं प्रशासन के मैदानी अफसरों के अलावा मंत्रालय के चुनिंदा अफसरों की कार्यप्रणाली को लेकर कमलनाथ अप्रत्यक्ष रूप से निशाना साधते रहे हैं। हालांकि मतदान के बाद से कमलनाथ कह रहे हैं कि कुछ को छोडक़र ज्यादातर अधिकारी कर्मचारियों ने निष्पक्ष रूप से काम किया है। इसके लिए कमलनाथ ने उनका आभार भी माना। फिलहाल नौकरशाही में नई चर्चा है कि कमलनाथ मुख्यमंत्री बनते हैं तो फिर कलेक्टर का नया पदनाम क्या करेंगे।
तैयार की अफसरों की सूची
पीसीसी सूत्रों के हवाले से खबर हैं कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद से लेकर चुनाव तक कमलनाथ ने कुछ अफसरों की सूची बनाई हैं। जिसमें जिला कलेक्टर, एसपी से लेकर वरिष्ठ अफसरों के नाम शामिल हैं। ये अफसर ऐसे है जो भाजपा शासन काम में लंबे समय से मलाईदार पदों पर जमे हैं। ऐसे में नौकरशाहों में इस बात को लेकर भय है कि कांग्रेस सरकर बनती है तो फिर बड़ा प्रशासनिक फेरबदल होना तय है। ऐसे में वे अफसर अधिक भयाक्रांत है जो सरकार के बेहद करीबी माने जाते हैं।
लूप लाइन वाले नौकरशाहों में खुशी
एग्जिट पोल के आने और सत्ता परिवर्तन की अटकलों के बीच मप्र सरकार में नौकरशाहों का बड़ा वर्ग खुश है। लंबे समय से लूप लाइन में पड़े अफसरों को उम्मीद है कि वे उनहें अब फ्रंट लाइन में आने का मौका मिलेगा। प्रशासनिक सूत्रों ने बताया कि जिस तरह से 2003 में सत्ता परिवर्तन होने पर उमा भारती ने बड़ा प्रशासनिक फेरबदल किया था, उसी तरह यदि मप्र में सत्ता परिवर्तन होता है तो एक बार फिर बड़ा प्रशासनिक फेरबदल होगा।