सरकार बनते ही भाजपा के चहेते एक दर्जन कलेक्टरों पर गिरेगी गाज

प्रदेश में कल मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही
करीब एक दर्जन भाजपा के चहेते कलेक्टरों पर गाज गिरना तय माना जा रहा है।
यह वे कलेक्टर हैं जिन पर चुनाव के दौरान भाजपा के पक्ष में काम करने के
आरोप कांग्रेस लगाती रही है। पीसीसी स्तर पर इन अफसरों की सूची पहले ही


तैयार कर ली गई थी। इसी तरह से कांग्रेस की शिकायत पर चुनाव आचार संहिता
उल्लंघन के मामलों में जिन वरिष्ठ आइएएस, आइपीएस अफसरों से जांच
प्रतिवेदन मांगे थे, लेकिन उनके द्वारा नहीं भेजने वाले विभाग प्रमुखों
पर भी पहली सूची में गाज गिरतना तय मानी जा रही है। फिलहाल राम वनपथ गमन
यात्रा को रोकने और कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर एफआईआर दर्ज करने वाले सतना
कलेक्टर सहित रीवा, सीहोर, सागर, भोपाल और इंदौर जिले के कलेक्टर अब
निशाने पर है। इनकी सबसे ज्यादा शिकायतें भाजपा के पक्ष में काम करने के
संबंध में कांग्रेस ने चुनाव आयोग और सीईओ कार्यालय में भी की गई थी।
इन संस्थानों के संचालक भी निशाने पर
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद मेपकास्ट के डीजी नवीन चंद्रा और
केंद्रीय शारीरिक शिक्षा संस्थान ग्वालियर के डायरेक्टर पर भी गाज गिर
सकती है। कांग्रेस ने मेपकास्ट के डीजी पर भाजपा के पक्ष में काम करने
साधू-संतों को भोजन और यहां ठहरने की व्यवस्था करने तथा ग्वालियर के
शारीरिक शिक्षा संस्थान डायरेक्टर व प्राध्यापकों पर भाजपा की मैराथन
दौड़ में शामिल होने का आरोप लगाया था। आयोग ने इस मामले दो प्राध्यपकों
पर कार्रवाई के लिए भी लिखा था।
जनअभियान परिषद होगा पुर्नगठन
जन अभियान परिषद भी कांग्रेस सरकार के निशाने पर है। कांग्रेस ने चुनाव
आयोग की फुलबेंच के समक्ष परिषद के अधिकारियों और कार्यकर्ताओं पर भाजपा
के पक्ष में काम करने का आरोप लगाया था। सागर और होशंगाबाद संभाग में कई
कार्यकर्ताओं को भाजपा के पक्ष में काम करने और चुनाव सामग्री ले जाते
हुए पकड़ा भी गया था। सरकार ने आचार संहिता से पहले ही इनके सैकड़ों
कार्यकर्ताओं को विज्ञापन जारी कर नियमित भी किया था।
सहकारिता विभाग पर भी नजर
चुनाव से ठीक पहले सहकारिता विभाग ने अपने एक्ट में संशोधन कर किया था।
इसके बाद साढ़े चार हजार समितियों में अध्यक्षों की नियुक्ति कर दी गई
थी। कांग्रेस की शिकायत के बाद सहकारिता विभाग ने अध्यक्षों को हटाते हुए
उन पदों पर प्रशासक नियुक्ति कर दिया था, लेकिन जब आयोग ने इस मामले में
सहकारिता विभाग को जवाब मांगा तो सहकारिता विभाग ने कोई सकारात्मक जवाब
नहीं दिया।