प्रदेश में सरकार बदलने के साथ ही पुलिस के मुखिया को बदलने की कवायद शुरु हो गई है। फिलहाल नया मुखिया कौन होगा यह तो अभी तय नही है , लेकिन इस बीच इस पद के लिए लोग अपने -अपने हियसाब से कयास लगाने में लगे हुए हैं। फिलहाल इस पद पर ऋषि कुमार शुक्ला पदस्थ हैं। उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के करीबी अफसरों के रुप में जाना जाता है। कांग्रेस उनके अबतक के कार्यकाल से खुश नहीं है। उनके कार्यकाल में प्रदेश के मैदानी स्तर पर तैनात अफसर न केवल बेलगाम
हुए हैं बल्कि उनकी कार्यप्रणाली से लोगों में सरकारे को लेकर नाराजगी की खबरें आना आम है। इसकी बड़ी वजह है जिलों की कमान संम्हालने वाले अफसरों पर उनकी कमजोर पकड़ का होना, जिसकी वजह से यह अफसर मनमाने तरीके से काम कर सरकार की समय-समय पर किरकिरी करा देते हैं। यही वजह है की उनके बदले जाने की कवायद शुरु कर दी गई है। वर्तमान में डीजी रैंक में 12 अफसर हैं। इसमें दो अफसर विवेक जोहरी और आलोक पटेरिया दिल्ली में पदस्थ हैं। शेष अफसरों में 84 बैच के वीके सिंह, मैथिलीशरण गुप्त व संजय चौधरी, 85 बैच के राजेंद्र कुमार, महान भारत व अशोक दोहरे, 86 बैच के शैलेन्द्र श्रीवास्तव, केएन तिवारी, संजय राणा और पुरुषोत्तम शर्मा शामिल है।
सिंह के नाम की चर्चा
वैसे वरिष्ठता क्रम से देखा जाए तो वीके सिंह नए डीजीपी के रूप में मध्यप्रदेश को मिल सकते हैं। जब स्वास्थ्य कारणों से ऋषि कुमार शुक्ला अवकाश पर थे तो वीके सिंह ही प्रदेश के प्रभारी डीजीपी थे। लेकिन राजनीतिक दृष्टि से यह देखना होगा कि कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की दृष्टि में कौन अफसर फिट बैठता है। यहां यह उल्लेख करना उचित होगा कि उत्तर प्रदेश के तत्कालीन डीजीपी प्रकाश सिंह द्वारा दायर एक यात्रिका में सुप्रीम कोर्ट ने गाइड लाइन जारी करते हुए कहा कि प्रदेश के डीजीपी रैंक के अफसर को पदस्थ करने के लिए वर्तमान डीजीपी की 2 साल की अवधि पूर्ण होना चाहिए।
नए डीजीपी की चयन प्रक्रिया पर असमंजस
डीजीपी पद के लिए तय की गई गाइड लाइन में कहा गया है कि डीजी रैंक के सभी अफसरों का बायोडाटा यूपीएससी को भेजा जाएगा और यूपीएससी चयन करेगा। बता दें कि असम में भी यूपीएससी की गाइड लाइन के अनुसार वहां की सरकार ने प्रस्ताव भेजा। यूपीएससी ने उनमें से तीन अधिकारियों का पैनल बनाकर एक को आदेश जारी करने के निर्देश दिए। असम सरकार ने वरिष्ठता क्रम में सबसे जूनियर अफसर को डीजीपी बना दिया। अब देखना यह है कि मप्र में नए डीजीपी की पदस्थापना का प्रस्ताव यूपीएससी को जाएगा या क्या कमलनाथ अपने पसंदीदा अफसर को डीजीपी पद से नवाजेंगे