नई दिल्ली/इस्लामाबाद अक्सर लोग कहते हैं कि प्यार अंधा होता है। मुंबई में वर्सोवा के रहने वाले हामिद नेहाल अंसारी ने इसे साबित कर दिखाया। हामिद को एक पश्तून लड़की से प्यार हुआ और ऐसा हुआ कि उसे 6 साल पाकिस्तानी जेल में बिताने पड़े। भारत में अगर पत्रकार जतिन देसाई और बेटे पर सबकुछ कुर्बान करने के लिए तैयार बैठे मां-पिता नहीं होते तो हामिद को न जाने और कितने साल पाकिस्तान की जेल में बिताने होते।
पुश्तैनी घर बिका, पिता ने नौकरी छोड़ लड़ी हामिद की लड़ाई
बिना वीजा के पाकिस्तान में घुसने वाला हामिद पेशावर जेल में 6 साल बिता कर भारत लौट रहा है। अटारी बॉर्डर पर पत्रकार देसाई के अलावा मां, पिता और भाई उसकी अगुवाई में होंगे। हामिद की मां फौजिया एक कॉलेज की उप प्रधानाचार्य हैं। हामिद को बचाने की लड़ाई लड़ने के लिए उन्हें अपना पुश्तैनी घर बेचकर दिल्ली आना पड़ा ताकि करीब हर हफ्ते पाकिस्तानी उच्चायोग जाकर बेटे के केस के लिए याचना कर सकें।
हामिद के पिता नेहाल को बेटे का केस लड़ने के लिए अपनी बैंक की नौकरी छोड़नी पड़ी। वर्सोवा में डेंटल क्लिनिक चलाने वाले हामिद के भाई खालिद ने अपने परिवार से वादा किया कि वह इस लड़ाई में साथ खड़ा है। वर्सोवा मेट्रो स्टेशन के पास जिस कॉलोनी में हामिद का परिवार रहता है, वहां उसके लौटने की खुशी में आज ईद जैसा माहौल है।
इश्क के चक्कर में जर्नी टू जेल
आप इसे बेवकूफी कहें या देसाई की भाषा में अंधा प्यार, उस समय 26 साल का हामिद एक पश्तून लड़की की तलाश में अफगानिस्तान से पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा के कोहट में घुसा। पेशे से सॉफ्टवेयर इंजिनियर हामिद इस औरत से ऑनलाइन मिला था। घंटों की चैटिंग प्यार में बदली थी और हामिद ने फैसला कर लिया था कि किसी भी तरह पाकिस्तान जाना ही है।
हामिद ने अपने परिवार को बताया कि उसे काबुल से नौकरी का एक ऑफर मिला है। इसके बाद वह 2012 में नवंबर के पहले हफ्ते में अफगानिस्तान के लिए निकल गया। अपनी ऑनलाइन प्रेमिका की मदद से हामिद ने कोहट में कुछ संपर्क बनाए थे, जिन्होंने उसे एक लॉज तक पहुंचाया। 12 नवंबर को भारतीय जासूस होने के आरोप में हामिद को इसी लॉज से गिरफ्तार किया गया था। 12 दिसंबर 2015 को जब पाकिस्तान की एक मिलिटरी अदालत ने हामिद को जासूसी और भारत विरोधी गतिविधियों का दोषी ठहराया तो उसके भारत लौटने की सारी संभावनाएं लगभग खत्म हो गईं।
अपने प्यार से कभी मिल नहीं पाया हामिद
जिस लड़की के चक्कर में हामिद पाकिस्तान पहुंचा था वह उससे कभी मिल नहीं पाया। ऐसी रिपोर्ट सामने आईं कि उस लड़की के परिवार ने दूसरी जगह उसकी शादी कर दी। पत्रकार देसाई ने मुंबई मिरर को बताया कि पाकिस्तान जाने से 6 महीने पहले हामिद उनसे मिला था। उन्होंने बताया कि हामिद ने उनसे यह जानने की कोशिश की थी कि पाकिस्तान का वीजा लेने में कौन उसकी मदद कर सकता है। देसाई के मुताबिक जब हामिद ने उन्हें बताया कि वह उस हॉरर किलिंग के लिए कुख्यात इलाके खैबर पख्तूनख्वा की एक लड़की से शादी करना चाहता है तो वह ठहाका लगा हंस पड़े। उन्होंने हामिद को यह बेवकूफी छोड़ करियर पर फोकस करने की सलाह दी।
पर हामिद के सिर पर तो इश्क सवार था। उसने पाकिस्तान का वीजा लेने में मदद के लिए और दो बार देसाई को मनाने की कोशिश की। एक दिन सुबह देसाई को अखबार में हामिद की तस्वीर दिखी तो उन्हें समझ में आ गया कि लड़का गलत तरीके से पाकिस्तान में घुस चुका है। अब हामिद को बचाने में अहम भूमिका निभाने वाले पत्रकार जतिन देसाई की कहानी भी जान लीजिए। तीन दशक से अधिक का समय पत्रकारिता में बिताने वाले देसाई आधा दर्जन बार पाकिस्तान जा चुके हैं।
देसाई ने मुंबई और कराची के प्रेस क्लब के बीच एक मजबूत संबंध बनाया है। इसके अलावा वह पाकिस्तान इंडिया पीपल्स फोरम फॉर पीस ऐंड डेमोक्रेसी (PIPFPD) के महासचिव भी हैं। देसाई पाकिस्तानी जेलों में बंद भारतीय मछुआरों की रिहाई के लिए लंबे अरसे जुटे हुए हैं। जब उन्हें इस बात का अहसास हो गया कि अब हामिद को वापस लाना नामुमकिन हो सकता है तो उन्होंने उसके परिवार से संपर्क साधा।