छत्तीसगढ़ पर अब नहीं चलेगी नक्सलियों पर गोली, नई नीति लाएगी कांग्रेस सरकार.
रायपुर: छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की नई सरकार ने नक्सलवाद का समाधान खोजने की नीति बदलने के संकेत दिए हैं. सीएम भूपेश बघेल ने अपनी पहली ही प्रेस वार्ता में सपष्ट कर दिया है कि गोली का जवाब गोली से देने की नीति बदल दी जाएगी. उन्होंने कहा गोली तो नक्सली भी चला रहे हैं और पुलिस भी चला रही है. दोनों ओर से चल रही गोलियों से पीड़ित कौन हो रहा है. उन्होंने कहा कि हम पीड़ित आदिवासियों से बात करके नक्सलवाद पर नई नीति बनाएंगे.
उन्होंने यह भी कहा कि नक्सलवाद कानून व्यवस्था के लिए मुसीबत नहीं है, यह सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक समस्या है, इसीलिए सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए इसका निदान किया जाएगा. मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद बस्तर जिले में नक्सलवाद से पीड़ित लोगों के मानवाधिकार की रक्षा में लगे सामाजिक कार्यकर्ता प्रसन्न हैं. मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि इससे पहले आदिवासियों का समर्थन करने की बात कहने पर भी शहरी नक्सली बता दिया जाता था. दिल्ली यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर नंदिनी सुंदर और अर्चना प्रसाद पर तो बस्तर में हुई हत्या के मामले में प्रथिमिकी तक दर्ज कर दी गई थी.
उन्होंने कहा कि इसी कारण से डॉ. विनायक सेन राजद्रोह के मामले में जेल में कैद रहे, सुधा भारद्वाज अब भी जेल में हैं, हिमांशु कुमार को छत्तीसगढ़ से जाना पड़ा, सोनी सोरी को भी कई मामलों में जेल भेज दिया गया, बस्तर में लीगल एड का कार्य कर रही शालिनी गेरा और ईशा खंडेलवाल को वहां से निकाला गया. अंतरराष्ट्रीय रेडक्रास संगठन और डॉक्टर्स विदाउट बार्डर को नक्सली संगठन करार दे दिया गया, लेकिन अब जब नई सरकार ने सकारात्मक दृष्टिकोण दिखाया है तो मानवाधिकारवादी नक्सल समस्या के हल को लेकर खुश हैं.