छत्तीसगढ़ के किसानों की कर्ज-माफी के नियम मध्यप्रदेश से भी सख्त हैं.
मध्य प्रदेश में किसानों की कर्ज माफी के लिए लागू की गई शर्तों की पहेली सुलझी भी नहीं थी, कि दो दिन बाद ही छत्तीसगढ़ के किसानों में सस्पेंस फैल गया. भूपेश बघेल के नेतृत्व में बनी नई-नवेली कांग्रेस सरकार ने किसानों को कर्ज माफी की राहत तो दी, लेकिन सख्त शर्तों के साथ. हर किसान ये सोच रहा था कि उसका 2 लाख रुपए तक का कर्ज माफ होगा, लेकिन उसे क्या पता था कि ये खुशी सिर्फ चुनिंदा किसानों को ही नसीब होगी.
यहां जिन शर्तों में की बात की जा रही है वह कर्ज की रकम से लेकर बैंकों तक को लेकर है. यानी कितना कर्ज माफ होगा, कितनी तारीख तक का कर्ज माफ होगा और किस तरह का कर्ज माफ होगा? इसके अलावा कौन से बैंक से ये लिए गए कर्ज माफ किए जाएंगे और कौन से नहीं, ये भी सरकार की शर्तों में शामिल हैं. अपना पूरा कर्ज माफ होने की सोचकर किसानों ने कांग्रेस को जिता तो दिया, लेकिन जब इन शर्तों के लिस्ट उनके सामने आई तो अब किसानों का गुस्सा भी उबाल पर है. किसान मांग कर रहे हैं कि उनका पूरा कर्ज माफ होना चाहिए. मौके का फायदा उठाते हुए बिना किसी देरी के भाजपा ने भी कांग्रेस पर हमला बोलना शुरू कर दिया, जिसके लिए खुद कांग्रेस ने ही न्योता दिया है.
मध्य प्रदेश में जो शर्तें थीं, अगर उनकी तुलना छत्तीसगढ़ से करें तो पता चलेगा कि अब नियम और सख्त हो गए हैं. तो चलिए जानते हैं छत्तीसगढ़ के किन किसानों का कर्ज होगा माफ.
1- दो लाख तक कर्ज माफ
छत्तीसगढ़ के घोषणा पत्र में ही ये साफ कर दिया गया था कि सिर्फ दो लाख तक का कर्ज माफ होगा. यानी अगर किसी किसान पर दो लाख से अधिक का कर्ज है, तो बाकी का कर्ज किसान को खुद ही चुकाना होगा.
2- बैंकों की लिस्ट भी देख लीजिए
19 दिसंबर को जारी आदेश में साफ-साफ लिखा है कि सिर्फ सहकारी बैंकों और छत्तीसगढ़ ग्रामीण बैंक से लिया गया कर्ज ही माफ होगा. यानी अगर किसी किसान ने इनके अलावा किसी अन्य बैंक से कर्ज लिया है, तो उसके पैसे किसान को खुद ही चुकाने होंगे. वहीं दूसरी ओर, मध्य प्रदेश में राष्ट्रीकृत और सहकारी बैंकों के कर्ज माफ किए गए थे. यानी छत्तीसगढ़ में नियमों में सख्ती करते हुए कर्जमाफी की राशि का दायरा कम कर दिया गया है.
सरकार ने सिर्फ सहकारी बैंकों और ग्रामीण विकास बैंकों से लिया गया कर्ज माफ किया है, जहां से सूबे के कुल 34 लाख किसानों में से सिर्फ साढ़े 16 लाख ने कर्ज लिया है. यानी कर्ज माफी का फायदा प्रदेश के आधे किसानों को नहीं मिलेगा.
3- कब तक का कर्ज होगा माफ?
जहां एक ओर मध्य प्रदेश में 31 मार्च 2018 तक के किसानों के कर्जें माफ किए गए हैं, वहीं दूसरी ओर, छत्तीसगढ़ में 30 नवंबर 2018 तक का कर्ज माफ कर दिया गया है. इतना ही नहीं, अगर किसी ने 1 नवंबर से 30 नवंबर के बीच कर्ज का कोई भुगतान किया है, तो उसे भी सरकार ने वापस लौटाने का फैसला किया है. यानी इस प्वाइंट पर छत्तीसगढ़ में नियम मध्य प्रदेश की तुलना में किसानों के हक में गए हैं.
4- सिर्फ एक तरह के कर्जे होंगे माफ
कांग्रेस ने किसानों के सिर्फ अल्पकालीन कृषि ऋण को ही माफ किया है. आपको बता दें छत्तीसगढ़ में किसानों ने 3 तरह के कर्ज लिए हैं. पहला है अल्पकालीन, दूसरा है दीर्घकालीन और तीसरा है फसल लोन. खेतों की जमीन की निराई-गुड़ाई जैसे काम के लिए किसान अल्पकालीन कर्ज लेता है, जो 20-30 हजार रु. का होता है. दूसरा है दीर्घकालीन कर्ज, जिससे किसान किसान कृषि उपकरण, टैक्टर-ट्रॉली, हार्वेस्टर आदि कल-पुर्जे खरीदते हैं. जिसे 3 से 5 साल या उससे अधिक अवधि में चुकाना होता है. और तीसरा होता है फसल कर्ज, जिसकी अवधि बुवाई से कटाई तक की होती है. इसका इस्तेमाल बुवाई के दौरान बीज, फर्टिलाइजर, और दवा आदि खरीदने के लिए होता है. इस कर्ज की वसूली फसल बेचने के दौरान कर ली जाती है.
छत्तीसगढ़ के कर्ज न चुका पाने वाले ज्यादातर किसान दीर्घकालीन और फसल लोन लेकर बैठे हैं. लेकिन ‘कर्ज माफ और बिजली बिल हॉफ’ का नारा देने वाली कांग्रेस ने सरकार ने सिर्फ अल्पकालीन लोन माफ किया है. फिलहाल यह सिर्फ 6100 करोड़ रुपए का कर्ज है. बाकी दोनों तरह के कर्ज का दायरा कहीं ज्यादा बड़ा और गंभीर है. जिसे न चुका पाने वाले किसानों की स्थिति ज्यादा चिंताजनक हैं.
किसान अब मांग रहे कर रहे हैं कि कर्ज माफी मतलब पूरे कर्ज की माफी है. जिसमें दीर्घकालीन और फसल लोन भी शामिल हो. अधिकतर किसान कृषि लोन के मामले में ही डिफॉल्टर हैं, क्योंकि कभी बारिश अधिक होने, तो कभी सूखा पड़ने से फसल नुकसान हो जाती है और कर्ज नहीं चुका पाते. यहां ये जानना दिलचस्प है कि मध्य प्रदेश में भी सिर्फ अल्पकालीन कृषि ऋण ही माफ किया गया है.
जब चुनाव से पहले कांग्रेस ने कर्जमाफी की पेशकश की तो किसानों के मन में ये उम्मीद जगी कि अब उनके दुख दूर होंगे. उनके सिर पर जो कर्ज है, वह माफ हो जाएगा. लेकिन जिस तरह चुपके से कांग्रेस ने कर्जमाफी के आदेश में नियम व शर्तें घुसा दी हैं, उससे किसान ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. राहुल गांधी ने कहा है कि उन्होंने सत्ता में आने के बाद 10 दिन में कर्जमाफी का वादा किया था, लेकिन महज 2 दिन में वादा पूरा कर दिया. अब किसान खुद को एक शब्दों के जाल में फंसा हुआ देख रहे हैं.