शिक्षक को पदोन्नति न देना भारी पड़ा शिक्षा विभाग के अफसरों को

भोपाल. मंगल भारत। स्कूल शिक्षा विभाग के अफसरों को

एक शिक्षक को सालों तक पदोन्नति न देना भारी पड़ गया। विभाग ने पदोन्नति तो ठीक क्रमोंन्नति तक का लाभ नहीं दिया था। इससे परेशान शिक्षक ने हाईकोर्ट की शरण ली तो विभाग के अफसरों को यह लापरवाही भारी पड़ गई। दरअसल हाईकोर्ट ने इस मामले में न केवल शिक्षक के पक्ष में फैसला सुनाया, बल्कि हाईकोर्ट की इंदौर पीठ ने प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा, आयुक्त लोक शिक्षण समेत अन्य पर पचास हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। सेवानिवृत्ति के तीन महीने पहले शिक्षक को अब सभी आर्थिक लाभ मिलेंगे। जिला आगर-मालवा के शिक्षक राधेश्याम रैकवार को पदोन्नति नहीं देने का मामला हाईकोर्ट इंदौर की खंडपीठ में चल रहा था। करीब 14 साल की लड़ाई के बाद एक फिर इंदौर हाईकोर्ट के जस्टिस विवेक रूसिया ने मामले में फैसला सुनाया। आदेश में शिक्षक राधेश्याम रैकवार को 1 अप्रैल 2009 से 14 जुलाई 2022 के बीच की एरियर की राशि देना होगी। प्रथम व द्वितीय क्रमोन्नति का लाभ देना होगा। मामले में प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा रश्मि शमी, आयुक्त लोक शिक्षण अनुभा श्रीवास्तव समेत अन्य पर पचास हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया है। शिक्षक को पदोत्रति नहीं देने के मामले में वर्तमान डीईओ आगर-मालवा आरजी शर्मा, पूर्व डीईओ अनिल कुशवाहा, लोक शिक्षण के अधिकारी सीएम उपाध्याय, अधीक्षक अशोक बैन, सहायक ग्रेड वन अनिता पंवार, असिस्टेंट ग्रेड वन संदीप इरपाचे को उत्तरदायी माना है।
821 लोक सेवकों की पदोन्नति का इंतजार
विभागीय सूत्रों की माने तो कई सालो से 821 लोक सेवकों की पदोन्नति के मामले अटके हुए है। जिसमें विभाग के अधिकारी- कर्मचारी फाइल दबाकर बैठे हुए है। इसमें शिक्षक राधेश्याम रेकवार जैसे कुछ मामले हाईकोर्ट में भी चल रहे है। बावजूद इसके लोक शिक्षण के अफसर मामले में ध्यान नहीं दे रहे है।
यह है मामला
शिक्षक राधेश्याम रैकवार जिला आगर-मालवा में पदस्थ है। वर्ष 2008 से शिक्षक राधेश्याम को पदोन्नति मिलना थी। वर्ष 2009 में इसे लेकर लोक शिक्षण ने काउंसलिंग की। लेकिन इस सूची से राधेश्याम रैकवार का नाम गायब था। जबकि इनके साथ वाले सभी लोगों का प्रमोशन होकर पोस्टिंग। मिल गई। रेकवार ने कई बार पदोन्नति को लेकर भोपाल के चक्कर काटे, तत्कालीन आयुक्त से तक मिले। लेकिन सिर्फ उनका आवेदन लेकर चलता कर दिया गया। काफी इंतजार के बाद भी जब उन्हें पदोन्नति नहीं मिली, तब 2017 में इंदौर हाईकोर्ट में याचिका लगाई। मामले की पैरवी वकील अरविंद शर्मा ने की 1 हाईकोर्ट ने वर्ष 2018 में पदोन्नति देने का आदेश दिया। इस आदेश का पालन दो माह में करना था। बावजूद इसके लोक शिक्षण के अफसर हाईकोर्ट के आदेश को ही दबा कर बैठ गए। राधेश्याम ने हाईकोर्ट के आदेश के तहत लोक शिक्षण के चक्कर लगाए, लेकिन पदोन्नति नहीं मिल सकी। वर्ष 2020 में हाईकोर्ट में कंटेप्ट लगाया गया। 2022 में माननीय कोर्ट ने प्रमोशन के साथ पदांकन के आदेश दिए। लेकिन लोक शिक्षण के अफसरों ने फिर मामले की फाइल दवा दी। इस बार सिर्फ पदोन्नति दी, लेकिन पदांकन नहीं किया। इससे शिक्षक राधेश्याम को एक बार फिर निराशा हाथ लगी। अगस्त 2023 में एक बार फिर हाई कोर्ट में पिटिशन लगाई गई। जिसकी दो दिन पहले मंगलवार को सुनवाई हुई। जिसके बाद गुरुवार को फैसले की प्रति आई। इस मामले में जस्टिस ने लोक शिक्षण की लापरवाही को लेकर सख्त टिप्पणी की गई है।