प्रदेश में अब ओबीसी कार्ड पर रायता फैला

कांग्रेस व भाजपा में जारी है शह और मात का खेल

भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। मध्यप्रदेश में अब तीन दशक पहले बनी ठीक वैसी ही स्थिति बनती नजर आ रही है, जैसी की 7 अगस्त 1990 को वीपी सिंह की सरकार द्वारा मंडल कमीशन की सिफारिशों को लागू करने के बाद देश भर में बन गई थी। उस समय मंडल कमीशन की सिफारिशों में पिछड़े वर्ग के लिए 27 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था की बात कही गई थी, जिसे अब मप्र में लागू करने को लेकर पूरी तरह से रायता फैल चुका है। अब यह रायता सरकार द्वारा जितना समेटने का प्रयास किया जा रहा है उतना ही फैलता जा रहा है। हालात यह हो गए हैं कि अब प्रदेश में ओबीसी वर्ग की सबसे बड़ी संस्था तीसरा मोर्चा बनाकर चुनाव में उतरने तक की तैयारी करने लगा है। इसकी वजह से कांग्रेस के साथ ही भाजपा के लिए खासतौर पर होम करते समय हाथ जलने की स्थिति बनती दिखनी लगी है। उधर विपक्षी दल कांग्रेस के अलावा अन्य क्षेत्रीय दल भी अब सरकार को इस मामले में घेरने के पूरे प्रयासों में लग गए हैं। भाजपा की शिवराज सरकार के लिए ओबीसी वर्ग के आरक्षण का मुद्दा गले का फांस नजर आने लगा है। इस बीच  आरक्षण के समर्थन में प्रदर्शन करने भोपाल आने वाले तमाम नेताओं को या तो गिरफ्तार कर लिया गया या फिर उन्हें शहर में प्रवेश ही नहीं दिया गया। इस बीच महासभा के दावे के मुताबिक भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद की पुलिस ने एयरपोर्ट से हिरासत में ले कर उन्हें देर शाम वापस भेज दिया गया तो वहीं डेढ़ हजार से अधिक लोगों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया था। खास बात यह है कि इस आंदोलन के समर्थन में भीम आर्मी के अलावा कांग्रेस, जयस और अन्य क्षेत्रीय राजनैतिक संगठनों ने भी मोर्चा खोल दिया। देश के सबसे शांत राज्यों में शुमार मप्र में यह ऐसा समय है, जब पूरी तरह से ओबीसी आरक्षण के मामले में सुलगता नजर आ रहा है। अगर इस मामले में लगी आग की चिंगारी को समय रहते शांत नहीं किया गया तो एक बार फिर बीते चुनाव के ठीक पहले आरक्षण को लेकर दिए गए बयान जैसी स्थिति बन सकती है, जिसका नुकसान चुनाव में भाजपा को तो होगा ही साथ ही कांग्रेस को भी नुकसान होना संभावित है। इसकी वजह है ओबीसी महासभा के राष्ट्रीय महासचिव तुलसीराम पटेल का वह खुलासा जिसमें उनके द्वारा कहा गया है कि अब ओबीसी महासभा तीसरा मोर्चा तैयार कर रही है। यह मोर्चा 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव में उतरेगा। उनका कहना है कि हमें कोई सांसद-विधायक सपोर्ट नहीं कर रहा है। इस वर्ग के जनप्रतिनिधि सिर्फ वोट के लिए अपने आप को ओबीसी वर्ग का बताते हैं। हम अब जिलों में आंदोलन करेंगे। उन्होंने चेतावनी दी है कि शासन-प्रशासन कब तक रोकेगा, देखते हैं। पटेल ने हम शांतिपूर्ण तरीके से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को अपनी मांगों के संबंध में ज्ञापन देना चाहते थे, लेकिन प्रशासन ने पदाधिकारियों को शनिवार को ही नजरबंद कर दिया गया।
जिलों में कार्यकर्ताओं को भोपाल आने से पुलिस ने रोक दिया। जो भोपाल तक पहुंच गए, उन्हें हिरासत में लिया जा रहा है। पटेल ने आरोप लगाया कि कार्यकर्ताओं के साथ पुलिस मारपीट कर रही है। महासभा की मांग नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव में 52 फीसदी आबादी के हिसाब से आरक्षण दिया जाए।
बताया जयस और भीम आर्मी को छोटा भाई
जयस और भीम आर्मी के समर्थन पर ओबीसी महासभा के महासचिव ने कहा कि दोनों संगठन हमारे छोटे भाई हैं। दोनों संगठनों के पदाधिकारियों को पुलिस ने हिरासत में लिया था। उन्होंने कहा कि महासभा के लगभग सभी पदाधिकारियों को पुलिस ने नजरबंद कर दिया है। मेरे घर भी पुलिस पहुंच गई थी।
पिछड़ा वर्ग का
दमन कर रही भाजपा सरकार: नाथ
उधर, पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने कहा कि शिवराज सरकार पिछड़ा वर्ग के दमन पर उतर आई है। भाजपा और उससे जुड़े संगठनों को प्रदेश में कहीं भी आयोजन करने की छूट है पर अपनी जायज बात कहने के लिए भोपाल पहुंचे पिछड़ा वर्ग को नहीं। नाकेबंदी के करके ओबीसी महासभा के पदाधिकारियों को भोपाल आने से रोका गया और अब उन्हें हिरासत तक में ले लिया गया था। पिछड़ा वर्ग का हितैषी बताने वाली भाजपा सरकार में आंदोलन को कुचलने का काम हो रहा है पर कांग्रेस इनके साथ खड़ी है और उनके हक की मांग को लेकर संघर्ष करती रहेगी। पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव ने ट्वीट कर कहा कि शिवराज सिंह जी मध्य प्रदेश में अगर लोकतंत्र बाकी है, तो पिछड़ा वर्ग, आदिवासी, दलित नेताओं को क्यों गिरफ्तार किया गया है? लोगों को प्रदर्शन में शामिल होने के लिए भोपाल क्यों नहीं आने दिया गया, सरकार जवाब दे।
कांग्रेस कर रही प्रदेश में हालात खराब करने का प्रयास: भूपेंद्र सिंह

ओबीसी महासभा के आंदोलन पर मंत्री भूपेंद्र सिंह का कहना है कि इस मामले में लोग राजनीति कर रहे हैं। दूसरे संगठनों को जोड़कर प्रदेश का वातावरण खराब करने का प्रयास कांंग्रेस के इशारे पर हो किया जा रहा है। उनका कहना है कि प्रदेश सरकार ने ओबीसी वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण मिले इसके लिए देश के बड़े वकील हरीश साल्वे को सुप्रीम कोर्ट में खड़ा किया है। केंद्र सरकार भी अभिभावक के रूप में सुप्रीम कोर्ट में बात रखेगी कि मध्य प्रदेश सरकार को 4 महीने का समय मिले जिससे ओबीसी वर्ग की आर्थिक सामाजिक की स्थिति की गणना की जा सके। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी ओबीसी वर्ग को 27 फीसदी पंचायत में आरक्षण मिले, सरकार ने कैबिनेट से ऑर्डिनेंस वापस लिया है।