भोपाल।मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। पड़ौसी राज्य उत्तर
प्रदेश में भले ही अभी विधानसभा चुनावों के लिए एलान नहीं हुआ है, लेकिन सियासी दल अभी से पूरी तरह चुनावी मोड में आ गए हैं। माना जा रहा है कि इसी माह में कभी भी आयोग चुनावों का एलान कर सकता है। यह चुनाव भाजपा के लिए जहां बेहद महत्वपूर्ण है तो वहीं कांग्रेस भी अपनी पकड़ साबित करने के प्रयासों में संजीवनी पाने के प्रयासों में लगी हुई है। उप्र में चुनावी प्रचार और अपने प्रत्याशियों की मदद के लिए मप्र के नेताओं की भी मदद भाजपा के अलावा कांग्रेस लेने जा रही है। यही वजह है कि इन दोनों ही दलों में उप्र भेजे जाने वाले नेताओं की सूची को तैयार करने का काम शुरू किया जा चुका है। भाजपा में ऐसे नेताओं की जहां लंबी सूची है, वहीं कांग्रेस में छोटी है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक उप्र विधानसभा चुनाव के लिए संगठन द्वारा जिन नेताओं को भेजने की तैयारी की जा रही है उसमें ओबीसी व ठाकुर नेताओं के नाम खासतौर पर शामिल बताए जा रहे हैं। यह वे नेता हैं जिनका अपने इलाकों के अलावा मप्र और उसके आसपास के उप्र के इलाकों में भी प्रभाव माना जाता है। इनमें पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरुण यादव, सांसद राजमणि पटेल , पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह और गोविंद सिंह के नाम तो तय ही माने जा रहे हैं। इनके अलावा महिला कांग्रेस अध्यक्ष अर्चना जायसवाल के अलावा कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष व विधायक जीतू पटवारी की भी तैनाती उप्र में किए जाने की चर्चा है। बताया जा रहा है कि पार्टी अलाकमान द्वारा मप्र कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ से ऐसे नेताओं की सूची मांगी गई है, जिनकी तैनाती उप्र में विधानसभा चुनाव के समय की जा सकती है। नाथ द्वारा इसके बाद से ही इस सूची पर काम शुरू किया गया है। इस सूची में नाथ द्वारा पार्टी के सभी वरिष्ठ व कनिष्ठ नेताओं के अलावा महिला , युवा कांग्रेस के पदाधिकारियों के अलावा उन नेताओं के नामों को विशेष तौर पर शामिल किया जा रहा है जो वहां केि जातिगत समीकरणों में पूरी तरह से फिट बैठते हैं। इसकी वजह है कांग्रेस द्वारा जातिगत नफा नुकसान पर फोकस किया जाना। इस सूची में प्रदेश के तीन अंचल के नेताओं पर विशेष फोकस किया जा रहा है। इनमें विंध्य, बुदेंलखंड के अलावा ग्वालियर चंबल अंचल खासतौर पर शामि है। इसकी वजह है इन अंचलों से उप्र की सीमा का लगा होना। इन अंचलों की सीमा से सटे उप्र के इलाके में करीब विधानसभा की आधा सैकड़ा सीटें आती हैं, जिन पर मप्र की राजनीति का असर भी पड़ता है। इन सीटों की संस्कृति और रहनसहन न केवल मिलता है बल्कि दोनों राज्यों के लोगों की रिश्तेदारियां भी बढ़े पैमाने पर हैं। खास बात यह है कि जिन नेताओं की भी तैनाती उप्र के चुनाव के लिए की जाएगी उनका प्रियंका गांधी की नजर में आना तय माना जा रहा है। इसकी वजह से से प्रदेश कांग्रेस के नेता भी उप्र जाने को लेकर उत्साहित बने हुए हैं।
पार्टी प्रभारी के रूप में पहले से ही पदस्थ है पटेल
पार्टी के पूर्व विधायक सत्यनारायण पटेल पहले से ही उप्र में कमान सम्हाले हुए हैं। उन्हें पार्टी द्वारा राष्ट्रीय सचिव बनाकर उप्र का प्रभार दिया हुआ है। दरअसल पार्टी द्वारा उप्र में चुनाव के लिए बहुत पहले ही नौ नेताओं को जिम्मा सौंपा जा चुका है, उनमें पटेल भी शामिल हैं। इसी तरह से माना जा रहा है कि उप्र विस चुनाव में पार्टी मप्र के ही दोनों अपने दिग्गज नेता कमलनाथ व दिग्विजय सिंह को चुनाव प्रबंधन का जिम्मा दे सकता है। यह बात अलग है कि अप्रत्यक्ष रूप से यह दोनों नेता अब भी पार्टी की मदद उप्र में वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी दूर करने से लेकर उन्हें सक्रिय करने में कर रहे हैं। सिंह तो उस कमेटी के अध्यक्ष भी हैं जिसे केन्द्रीय नेतृत्व ने केन्द्र की नीतियों के खिलाफ आंदोलन की रणनीति बनाने का जिम्मा सौंपा हुआ है। इस कमेटी में पार्टी की उप्र की चुनाव प्रभारी प्रियंका गांधी भी सदस्य हैं।
ओबीसी का है बढ़ा वोट बैंक
उप्र में पिछड़ा वर्ग का बड़ा वोट बैंक है। हार जीत में इसकी बड़ी भूमिका रहती है। इनमें भी खासतौर पर यादव जाति शामिल है। इस जाति पर सपा की मजबूत पकड़ बनी हुई है। इसे देखते हुए ही प्रदेश कांग्रेस पार्टी पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अरुण यादव की तैनाती उप्र में करने जा रही है। वे पूर्व में भी उप्र में सक्रिय रहे हैं, जिसकी वजह से वे वहां की तासीर पहले से ही समझते हैं। उनके अलावा महिला कांग्रेस अध्यक्ष अर्चना जायसवाल और कार्यकारी प्रदेशाध्यक्ष व विधायक जीतू पटवारी की तैनाती भी लगभग तय है। यह दोनों नेता भले ही दूसरी जाति से आते हैं , लेकिन वे पिछड़ा वर्ग का ही प्रतिनिधित्व करते हैं। इसी तरह से पार्टी सांसद राजमणि पटेल तो अभी से उप्र के सीमाई इलाकों में सक्रिय हो चुके हैं। उनकी जाति का भी उप्र के कुछ इलाकों में बड़ा प्रभाव है। वे कुर्मी समुदाय से आते हैं। यही वजह है कि अपनी समाज के प्रभुत्व वाले इलाकों में लगातार दौरे कर रहे हैं। इसके अलावा उप्र के मतदाताओं में क्षत्रिय समाज की पकड़ बेहद मजबूत मानी जाती है। इसकी वजह से इस समुदाय के भी कुछ प्रमुख नेताओं को उप्र भेजने की तैरूारी की जा रही है। इनमें प्रमुख रुप से अजय सिंह और गोविंद सिंह के नाम शामिल हैं। खास बात यह है कि यह दोनों नेता उप्र की सीमा से लगे अंचलों से ही आते हैं।
मुस्लिम नेताओं की भी होगी तैनाती
उप्र में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या को देखते हुए कांग्रेस द्वारा पार्टी के अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष से लेकर तामाम पदाधिकारियों की भी उप्र चुनाव में ड्यूटी लगाई जाना तय माना जा रहा है। इस वर्ग के मतदाता उप्र में अभी सपा व बसपा के बीच बंटे हुए हैं। पार्टी ऐ बार फिर से उन्हें अपने साथ लाने के प्रयासों के तहत मप्र के नेताओं की तैनाती करने की तैयारी कर रही है।