- विभागीय मंत्री की मंशा को भी नहीं दी तवज्जो
भोपाल.मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। प्रदेश की
अफसरशाही ने अपने ही विभाग के मंत्री की मंशा पर पानी फेरने के लिए शासन के नियमों को ताक पर रखकर तिमाही और छिमाही परीक्षा करा ली। अब यही परीक्षा सालाना परीक्षा के परिणामों के लिए नई मुसीबत बनती जा रही है। इसकी वजह है अब वार्षिक परीक्षा नहीं होने की स्थिति में सरकारी व प्राइवेट स्कूलों का रिजल्ट बनाने में माशिमं को होने वाली परेशानी। बीते साल कोरोना महामारी के चलते प्रदेश में स्कूल शिक्षा विभाग परीक्षाओं का आयोजन नहीं कर सका था, जिसकी वजह से विद्यार्थियों को बगैर परीक्षा के ही पास कर दिया गया था। इसी तरह की स्थिति चालू सत्र में रहने की संभावना को देखते हुए इस साल की परीक्षा के लिए स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने विद्यार्थियों का साल भर असेसमेंट किए जाने के निर्देश दिए थे। इसके तहत अगर नवमी से बारहवीं तक की वार्षिक परीक्षा नहीं ली सकती है, तो तिमाही व छमाही के आधार पर रिजल्ट तैयार किया जा सके। इसके बाद शासन स्तर से इसके लिए नियम भी जारी किए गए थे।
इन नियमों के तहत 11वीं-12वीं में परीक्षा को लेकर प्रश्न-पत्रों में अंकों का निर्धारण भी किया किया गया। इसके तहत 11वीं-12वीं के प्रश्न-पत्र में थ्योरी 70 व प्रैक्टिकल 30 नंबर के होंगे। इसी आधार पर तिमाही व छमाही परीक्षा करवाना थी। लेकिन लोक शिक्षण ने शासन के नियमों के ताक पर रखते हुए सरकारी स्कूलों में तिमाही व छमाही के प्रश्न-पत्र में थ्योरी 80 व प्रैक्टिकल 20 नंबर के देकर परीक्षा का आयोजन करवा दिया। खास बात यह है कि इसके उलट निजी स्कूलों में तिमाही व छमाही की परीक्षा के प्रश्न-पत्रों में शासन के नियमों के तहत थ्योरी के प्रश्न 70 व प्रैक्टिकल के प्रश्न 30 नंबरों के ही देकर आयोजित की गई। इसकी वजह से विभाग के अफसरों पर सवाल खड़ा होने लगा है। यह तब किया गया जबकि मंडल का परीक्षाओं को लेकर ब्लू प्रिंट भी जारी किया जा चुका था।
अब प्री बोर्ड परीक्षा की तैयारी
लोक शिक्षण संचालनालय नवमी से बारहवीं तक की तिमाही व छमाही की परीक्षा पहले ही करा चुका है। बोर्ड द्वारा अब अब प्री-बोर्ड परीक्षा आयोजित करवाई जा रही है। परीक्षा होने के बाद माध्यमिक शिक्षा मंडल ने नवमी से बारहवीं तक के सभी विद्यार्थियों के ऑनलाइन नंबर मांगे है। इसमें मंडल ने विद्यार्थियों के लिए आनलाइन फार्म भी दिया है। प्राइवेट स्कूलों के 11वीं-12वीं के विद्यार्थियों के नंबर मंडल के नियमों अनुसार थ्योरी के 70 व प्रैक्टिकल के 30 के अनुसार भरे जा रहे है। लेकिन सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों के नंबर दर्ज नहीं हो पा रहे है। क्योंकि इन विद्यार्थियों की तिमाही व छमाही परीक्षा थ्योरी के 80 व प्रैक्टिकल के 20 नंबर के आधार पर हुई है। इससे सरकारी स्कूलों के विद्यार्थी परेशान बने हुए हैं। यही नहीं अब मंडल भी समझ नहीं पा रहा है कि प्राइवेट व सरकारी स्कूलों की परीक्षा में विद्यार्थियों के अलग-अलग नंबर को कैसे दर्ज करें। अलग-अलग नंबर होने से वार्षिक परीक्षा का रिजल्ट बनाने या उन्हें वेटेज देने में परेशानी होना तय मानी जा रही है। मंडल ने तिमाही, छमाही व प्री-बोर्ड परीक्षा के नौवीं से बारहवीं तक अंकों को ऑनलाइन दर्ज कराने के लिए पंद्रह जनवरी तक का समय दिया है। इसमें प्राइवेट स्कूलों के विद्यार्थियों के अंक दर्ज लगभग हो चुके है, जबकि सरकारी स्कूलों के 11वीं-12वीं के विद्यार्थियों के नंबर दर्ज नहीं हो पा रहे है। जबकि कई सरकारी स्कूलों ने थ्यौरी के 80 व प्रैक्टिकल के 20 नंबर के आधार पर उनके अंक 70 व 30 के मान से बदलकर आॅनलाइन दर्ज कर दिए है।