- सरकार की लापरवाही से नहीं चल पाता है आमजन को वजहों का पता…
भोपाल।मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। प्रदेश में कोई बड़ी
घटना या दुर्घटना होने पर सरकार द्वारा लोगों के आक्रोश को देखते हुए जांच आयोगों का तो गठन कर दिया जाता है , लेकिन बाद में उन आयोगों की रिपोर्ट क्या आयी है और किसको दोषी पाया है और दुर्घटना या घटना की वजह क्या रही है इसका सालों तक पता ही नहीं चलता है।
यही नहीं इनको लेकर सरकार भी लापरवाह बनी रहती है, जिसकी वजह से उनकी रिपोर्ट तक सार्वजनिक नहीं हो पाती है। हालत यह होती है कि कई-कई सालों तक तो उनकी रिपोर्ट विधानसभा के पटल पर भी नहीं रखी जातीं हैं। अगर बीते आठ सालों की बात की जाए तो प्रदेश में इस दौरान विभिन्न घटनाओं को लेकर सात जांच आयोग गठित किए गए लेकिन, उनमें से अब तक चार आयोगों की रिपोर्ट पर विभागीय कार्यवाही तक पूरी नहीं हो सकी है। इसकी वजह से उनकी फाइनल रिपोर्ट अब तक विधानसभा में पटल तक पर नहीं रखी जा पा रही है। प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष 2015 में भिंड जिले में हुए गोलीचालन की घटना के लिए तत्कालीन जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अध्यक्षता में जांच आयोग का गठन किया था। इस आयोग को जिन बिन्दुओं पर जांच करनी थी उनमें ग्राम पड़कौली के देवेन्द्र सिंह भदौरिया को किस अपराध के अधीन गिरफ्तार किया गया था और उसका गिरफ्तारी वारंट किस न्यायालय द्वारा जारी किया गया था।
ग्राम वासियों ने किन परिस्थितियों के अधीन गिरफ्तारी वारंट का निष्पादन कर रहे पुलिस बल पर हमला किया और बंदूक से गोली चालन किया गया। रणसिंह भदौरिया की मौत किन परिस्थितियों मे हुई और उसके क्या कारण रहे। भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के संबंध में सुझाव और घटना से जुड़े अनुषांगिक विषयों पर आयोग को विचार करना था। छह साल बाद भी अभी आयोग की फाइनल रिपोर्ट विधानसभा में पेश नहीं की गई है। इस मामले में विभागीय कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। इसी तरह तीन अगस्त 2015 को ग्वालियर जिले के गोसपुरा नंबर दो मानमंदिर के समीप पुलिस मुठभेड़ में धमेन्द्र सिंह कुशवाह की मौत के मामले में सेवानिवृत्त अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सीपी कुलश्रेष्ठ की अध्यक्षता में जांच आयोग गठित किया गया था। आयोग को यह जांच करना था कि धर्मेन्द्र कुशवाहा को गोसपुरा नंबर दो मान मंदिर टॉकीज के पास से गिरफ्तार किया गया था तो किस अपराध में, इसके अलावा कुशवाह की मौत किन परिस्थितियों में हुई थी। भविष्य में इस तरह की घटनाएं ना हो उसके लिए सुझाव भी मांगे गए थे। इस पूरे मामले में अभी भी विभागीय कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। बारह सितंबर 2015 को झाबुआ जिले के पेटलावद में हुए विस्फोट की घटना की जांच के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश आर्येन्द्र कुमार सक्सेना की अध्यक्षता में जांच आयोग गठित किया गया था।
इसमें यह जांच की जाना था कि किन परिस्थितियों में घटना हुई और कौन इसके लिए उत्तरदायी है। भवन के स्वामी अथवा किरायेदार के पास विस्फोटक संग्रहण या उपयोग करने का लाइसेंस था। इसे किसने जारी किया था और नवीनीकरण करने से पूर्व पर्याप्त सावधानी बरतकर नियमानुसार जारी किया गया था या नहीं। अवैध विस्फोटक संग्रहण के संबंध में शिकायत की गई थी। उस पर क्या कार्यवाही हुई। भविष्य में ऐसी घटना न हो उसके लिए सुझाव भी मांगे गए थे। लेकिन अभी तक इस मामले में विभागीय कार्यवाही जारी है।
मंदसौर गोलीकांड की जांच भी विभागीय प्रक्रिया में उलझी
मंदसौर में 2017 में हुए किसान आंदोलन के दौरान गोली चालन की घटना के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश जेके जैन की अध्यक्षता में जांच आयोग का गठन किया गया था। इसमें जिन बिंदुओं पर जांच की जाना था उसमें घटना किन परिस्थितियों में घटी, पुलिस द्वारा जो बल प्रयोग किया गया क्या वह घटना स्थल की परिस्थितियों को देखते हुए उपयुक्त था। यदि नहीं तो इसके लिए दोषी कौन है। भविष्य में ऐसी घटनाएं नहीं हो उसके लिए सुझाव भी मांगे गए थे। लेकिन इस जांच के बाद अभी भी विभागीय कार्यवाही प्रक्रियाधीन है।