आउटसोर्सिंग के जाल में बेरोजगार युवा

-प्रदेश में 25 एजेंसियां कर रही है आउटसोर्सिंग के जरिए युवाओं का से शोषण
-विभागों में एक लाख से ज्यादा नियमित पद खाली, फिर भी युवा बे-काम.


भोपाल/  मनीष द्विवेदी।
देश में बेरोजगार युवाओं की संख्या साल दर साल बढ़ रही है, उसके बाद भी सरकार विभिन्न विभागों में खाली पड़े एक लाख से ज्यादा नियमित पदों पर भर्ती नहीं कर रही है। यही नहीं सरकार ने विभागों का काम करीब 25 एजेंसियों को सौंप दिया है जो आउटसोर्सिंग के जरिए युवाओं को विभाग में पदस्थ करवाते हैं। इस तरह बेरोजगार युवा आउटसोर्सिंग के जाल में फंसते जा रहे हैं, जिससे उनका भविष्य अंधकारमय होता जा रहा है।
गौरतलब है कि प्रदेश में एक तरफ कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति की उम्र 60 से बढ़ाकर 62 कर दी, यहां तक तो ठीक था, फिर कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद एक्सटेंशन देने के नाम पर संविदा नियुक्ति की परंपरा शुरू हो गई। वहीं प्रदेश में विभिन्न विभागों में एक लाख से ज्यादा नियमित पद खाली हैं, जिन्हें सरकार नहीं भर रही है। सरकार ने पहले नियमित भर्ती के स्थान पर कर्मचारियों की संविदा पोस्टिंग शुरू की और अब संविदा नियुक्ति को समाप्त कर कर्मचारियों की आउटसोर्सिंग की जा रही है।
युवाओं का हर तरह से शोषण
आउटसोर्सिंग के जरिए युवाओं का हर तरह से शोषण किया जा रहा है। न उनके काम के घंटे तय हैं, न वेतन फिक्स है और न ही नौकरी की कोई गारंटी है। सेवा से कब आउट कर दिया जाए, उन्हें खुद नहीं मालूम। प्रदेश में सरकार से जुड़े लोगों की करीब 25 एजेंसियां हैं, जो कर्मचारियों की आउटसोर्सिंग करती हैं। ये युवाओं की मजबूरी का फायदा उठाकर उन्हें निर्धारित राशि से कम वेतन का भुगतान करती हैं। उन्हें दिए जाने वाले वेतन में से कमीशन काटा जाता है। कई बार काम पर रखने वाले युवाओं से सिक्युरिटी मनी के नाम पर पैसे भी लिए जाते हैं। इन सबके बीच बेरोजगार युवा डिप्रेशन के शिकार हो रहे हैं। राजधानी में हाल में बेरोजगारी से तंग आकर युवाओं की जान देने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं।
सरकारी नौकरियों में पद सीमित
प्रदेश मे पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या करीब 35 लाख है, यह आंकड़ा चौंकाने वाला है। दो साल से कोई सरकारी भर्ती नहीं हुई है। इस दरमियान प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड तीन परीक्षाएं निरस्त कर चुका है। बेरोजगारी का आलम यह है कि भृत्य और ड्राइवर की भर्ती के लिए हजारों आवेदन आ रहे हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सरकारी नौकरियों में एक लाख पदों पर भर्ती प्रक्रिया जल्द शुरू करने की बात कही है। इस दिशा में कार्य अभी शुरू हुआ है। सरकारी नौकरियों में पद सीमित हैं और सरकार लाखों बेरोजगारों को सरकारी नौकरी दे नहीं सकती। इसलिए वह उन्हें स्व-रोजगार से जोड़ने की बात कह रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर हर माह एक लाख बेरोजगारों को स्वरोजगार के लिए मेले लगाए जा रहे हैं। इसके लिए मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति सहित कई योजनाएं शुरू की गई हैं, लेकिन इन योजनाओं के क्रियान्वयन में बैंक बड़ी बाधा हैं। सरकार की ओर से गारंटी लिए जाने के बाद भी बैंक लोन मंजूर नहीं करते। मुख्यमंत्री के संज्ञान में भी अधिकारी यह बात ला चुके हैं।
संविदा कर्मियों को नियमितीकरण का इंतजार
प्रदेश में 1.20 लाख संविदाकर्मी पदस्थ हैं। ये लगभग सभी विभागों में सेवाएं दे रहे हैं। कुल संविदा कर्मियों में से 75 फीसदी को सेवा देते हुए 15 वर्ष से अधिक का समय हो चुका है, लेकिन इन्हें नियमित करने की तरफ सरकार का ध्यान नहीं है, इससे इनका भविष्य अधर में लटका है। शिवराज कैबिनेट ने जून, 2018 में संविदा कर्मियों के लिए पॉलिसी मंजूर की थी। इसमें कर्मचारियों के वेतन समेत अन्य सुविधाओं के संबंध में प्रावधान किए गए थे, लेकिन संविदा कर्मियों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है।
कम वेतन, अधिक काम
दरअसल, युवाओं को परमानेंट सरकारी नौकरी न देनी पड़े, इसके लिए अफसरों ने आउटसोर्सिंग का नया फामूर्ला निकाल दिया है। इसमें जिस सरकारी विभाग को जितने कर्मचारियों की जरूरत होती है, उतने वे किसी एजेंसी से ले लेते हैं। ऐसे में युवा को वेतन तो अल्प मिलता ही है, वह कभी भी नियमित होने का हकदार नहीं हो पाता। उसकी नौकरी कंपनी के कर्ताधर्ताओं की जुबान पर तय रहती है। वे जब चाहते हैं, उसे बाहर कर देते हैं। दिलचस्प यह भी है कि विभागों को कर्मचारी अधिकारी देने वाली आउटसोर्सिंग कंपनियां भी विभाग के अफसरों से मिलकर काम कर रही हैं। ये विभाग के अफसरों को ही रिटायर होने के बाद आउटसोर्सिंग पर रख देती हैं।