भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। मध्यप्रदेश में
त्रिस्तरीय पंचायत के चुनाव कब होंगे अभी कोई नहीं बता सकता है। हालांकि इन चुनावों की तैयारियों के तहत परिसीमन का संशोधित कार्यक्रम जारी किया जा चुका है। इस कार्यक्रम को देखते हुए माना जा रहा है कि अब पंचायत चुनाव मई-जून माह में कराए जा सकते हैं। आयोग की तैयारियां भी इसी तरह का इशारा कर रही हैं। दरअसल घोषित किए गए परिसीमन के कार्यक्रम के तहत इसकी प्रक्रिया 21 मार्च को पूरी होगी। कोरोना संक्रमण के कारण परिसीमन की प्रक्रिया में आयी परेशानी को देखते हुए पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने परिसीमन का कार्यक्रम संशोधित कर दिया है। इसके तहत अब पंचायतोंका परिसीमन 16 मार्च तक और जनपद और जिला पंचायत का परिसीमन 10 मार्च तक होगा। 21 मार्च को पंचायत राज संचालनालय जिलों से प्रतिवेदन लेकर शासन को जानकारी भेजेगा। इसके बाद आरक्षण की प्रक्रिया की जाएगी। दरअसल प्रदेश में तीन साल पहले वर्ष 2019 में पंचायतों का परिसीमन किया गया था। यह परिसीमन कांग्रेस सरकार के समय किया गया था। इसके बाद प्रदेश में सरकार बदल गई , जिसकी वजह से भाजपा की शिवराज सरकार ने मध्य प्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज संशोधन अध्यादेश लाकर इस परिसीमन को निरस्त करते हुए 2014 की व्यवस्था के आधार पर ही चुनाव कराने का निर्णय लिया था। इसके बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने बीते साल चुनाव कार्यक्रम भी घोषित कर चुनावी प्रक्रिया शुरू कर दी थी। इस मामले में रोटेशन का पालन नहीं किए जाने की वजह से कुछ लोगों द्वारा सरकार के अध्यादेश को हाई कोर्ट में चुनौती देने के लिए याचिका लगा दी गई थीं। इस पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने चुनाव प्रक्रिया को रोकने से इन्कार कर दिया था , जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई। इस पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित पदों को अनारक्षित श्रेणी में अधिसूचित करके चुनाव कराने के आदेश दिए थे , जिसके बाद प्रदेश सरकार द्वारा जारी अध्यादेश को वापस ले लिया था। इसकी वजह से चुनाव प्रक्रिया निरस्त हो गई। अब मध्य प्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज (द्वितीय) संशोधन अध्यादेश के माध्यम से पंचायतों का परिसीमन कराया जा रहा है। इसके तहत 17 जनवरी को सभी जिलों में परिसीमन का प्रारंभिक प्रकाशन हो चुका है। यह प्रक्रिया 23 फरवरी तक पूरी होनी थी लेकिन कोरोना संक्रमण की वजह से दावा, आपत्ति व सुझाव की प्रक्रिया नहीं हो पा रही थी। इसे देखते हुए पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने कार्यक्रम संशोधित कर दिया है। अब 11 फरवरी तक दावे, आपत्ति या सुझाव लिए जाएंगे। 16 मार्च तक सभी प्रक्रिया पूरी करके नई पंचायत के गठन की अधिसूचना जारी की जाएगी।
दावेदारों में बनी हुई है बेचैनी
दरअसल जब चुनावी प्रक्रिया निरस्त की गई तब तक पहले चरण के पंचायत चुनाव के लिए न केवल नामांकन की प्रक्रिया हो चुकी थी, बल्कि प्रत्याशियों को चुनाव चिन्ह तक आवंटित हो चुके थे। इस वजह से चुनाव प्रचार भी पूरा जोर पकड़ चुका था, लेकिन अचानक चुनावी प्रक्रिया निरस्त कर दी गई, जिसकी वजह से प्रत्याशियों की मेहनत और पैसा भी बेकार चला गया है। अब यह प्रत्याशी इन चुनावों को लेकर बैचेन बने हुए है।
यह है ओबीसी आरक्षण का पूरा गणित
मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव रद्द होने की वजह ओबीसी आरक्षण ही है। एमपी में ओबीसी वर्ग की आबादी 50 फीसदी से अधिक है। आधी से ज्यादा आबादी होने के कारण साफ है कि कोई भी पार्टी इस बड़े वर्ग को नाराज नहीं करना चाहता। प्रदेश में लंबे समय से आबादी को देखते हुए ओबीसी के लिए आरक्षण 27 फीसदी करने की मांग उठती रही है। जो कि अभी 14 फीसदी है। कमलनाथ सरकार ने इसे लेकर कदम भी उठाए थे लेकिन कानूनी दांव पेंच के कारण इसे लागू नहीं किया जा सका। जब शिवराज सरकार बनी तो शिवराज सरकार ने भी ओबीसी वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण दिलाने की बात कही। लेकिन अगर ऐसा होता है तो 50 फीसदी कुल आरक्षण के प्रावधान का उल्लंघन होगा और यही वजह है कि प्रदेश में ओबीसी आरक्षण पर पेंच अब भी बन हुआ है।
दो साल से अटके हुए हैं पंचायत चुनाव
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में करीब दो साल से पंचायत चुनावों का इंतजार किया जा रहा है। मार्च 2020 में ही 22 हजार से ज्यादा पंचायतों के सरपंचों और पंचों का कार्यकाल पूरा हो चुका है, इसके अलावा 841 जिला और 6774 जनपद पंचायतों का कार्यकाल भी समाप्त हो चुका है लेकिन, विभिन्न वजहों की वजह से पंचायत चुनाव टाले जाते रहे हैं। दिसंबर 2021 में राज्य चुनाव आयोग ने पंचायत चुनाव की तारीखों का ऐलान किया था लेकिन बाद में ओबीसी आरक्षण का पेंच फंसने के कारण चुनावों को रद्द कर दिया गया।
कब क्या होगा
विभाग का कहना है कि पंचायतों के पुनर्गठन में सबकी भागीदारी तय करने के लिए कार्यक्रम को संशोधित किया गया है। नगरीय निकाय में सम्मिलित या पृथक ग्राम या ग्राम पंचायत, सिंचाई परियोजना से डूब में आ गए गांव या पंचायत को मिलाकर पंचायत का पुनर्गठन किया जाना है। 21 फरवरी को पंचायतों का गठन करके वार्ड का निर्धारण किया जाएगा। 16 मार्च को अंतिम अधिसूचना राजपत्र में प्रकाशित की जाएगी। इसके बाद जनपद और जिला पंचायत के निर्वाचन क्षेत्रों के निर्धारण का प्रारंभिक प्रकाशन 22 फरवरी को किया जाएगा। आपत्तियों और सुझाव का निराकरण करके 10 मार्च को अधिसूचना जारी की जाएगी। 21 मार्च को पंचायत राज संचालक सभी जिलों से प्रतिवेदन प्राप्त करके शासन को जानकारी भेजेंगे। इसके आधार पर आरक्षण की प्रक्रिया होगी और फिर राज्य निर्वाचन आयोग को जानकारी दी जाएगी, जिसके आधार पर चुनाव कार्यक्रम घोषित होगा।