पीएमटी 2013 के घोटालेबाजों की बन रही कुंडली

सीबीआई के पत्र के बाद सीएस ने जानकारी की तलब.


-6 प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों ने एमबीबीएस की स्टेट कोर्ट की सीटों पर की थी मनमानी
भोपाल/ 2013
में हुए पीएमटी घोटाले की जांच तेज हो गई है। मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस के दिशा-निर्देश पर तकनीकी शिक्षा व डीएमई में उस समय पदस्थ अधिकारियों की कुंडली बनाई जा रही है। गौरतलब है कि अधिकारियों की मिलीभगत से 6 प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों ने एमबीबीएस की स्टेट कोर्ट की सीटों पर मनमानी की थी। अब इस घोटाले में शामिल लोगों को सजा दिलाने के लिए पड़ताल शुरू हो गई है। गौरतलब है कि व्हिसल ब्लोअर आनंद राय ने काउंसलिंग के दौरान ही कॉलेजों की शिकायत की थी। राय ने 25 से 50 लाख रुपए में अपात्र उम्मीदवारों को प्रवेश देने के आरोप लगाए थे। सीबीआई की जांच में खुलासा होने के बाद भी इस मामले में उस समय कार्रवाई नहीं की गई, जिससे अनियमितता जारी रही। जानकारी के अनुसार सीबीआई ने पीएमटी 2013 घोटाला मामले में कार्रवाई के लिए 6 महीने पहले प्रदेश के मुख्य सचिव को पत्र लिखा था। अब तक इस मामले में कार्रवाई तेज हो गई है। सरकार ने कार्रवाई के लिए कमेटी व विभागों से नाम मांगे थे। सीबीआई ने अपने पत्र में एडमिशन एंड फीस रेगुलेटरी कमेटी (एएफआरसी) के तत्कालीन अध्यक्ष और सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई को कहा था।
दोषियों पर कार्रवाई की तैयारी शुरू
सीबीआई ने 22 जुलाई 2021 को मुख्य सचिव को पत्र लिखा। इस पत्र के आधार पर तकनीकी शिक्षा विभाग और एडमिशन एंड फीस रेगुलेटरी कमेटी (एएफआरसी) से पत्राचार किया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार तकनीकी शिक्षा विभाग द्वारा एएफआरसी को चार बार पत्र भेजकर मामले से संबंधित जानकारी मांगी गई। पहला पत्र अगस्त 2021 में, दूसरा पत्र 16 सितंबर 2021 को, तीसरा पत्र 24 सितंबर 2021 और चौथा पत्र 29 सितंबर 2021 को लिखकर वर्ष 2012, 2013 और 2014 में कार्यरत कमेटी और यहां कार्यरत अधिकारियों की वर्षवार जानकारी मांगी है। एएफआरसी द्वारा विभाग को भी जानकारी भेज दी है। अब तक इस मामले में कार्रवाई की तैयारी शुरू हो गई है। सीबीआई जांच में इस बात का खुलासा हुआ कि पीएमटी 2013 की काउंसलिंग में राज्य के प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों ने प्रवेश के लिए स्टेट कोटे की खाली सीटों की बार-बार जानबूझकर गलत जानकारी दी। खाली सीटों पर कॉलेजों में अपात्र उम्मीदवारों को प्रवेश के अंतिम दिन नियम को ताक पर रखकर प्रवेश दिया।
घोटालेबाज महत्वपूर्ण पदों पर पदस्थ
दस वर्ष पूर्व हुए प्रदेश के बहुचर्चित पीएमटी घोटाले में सीबीआई के पत्र के बाद मुख्य सचिव ने तकनीकी शिक्षा व डीएमई से जानकारी तलब कर ली है। जिन तत्कालीन अधिकारियों पर कार्रवाई होना है, उसमें कई अधिकारी शासकीय व निजी संस्थानों में महत्वपूर्ण पदों को सुशोभित कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि पीएमटी 2013 की काउंसलिंग के दौरान प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों ने स्टेट कोटे की सीटों पर मनमर्जी से प्रवेश दिए थे। काउंसलिंग के दौरान इस मामले की शिकायत होने के बाद भी कमेटी ने कार्रवाई नहीं की थी। साथ ही विश्वविद्यालयों को इन छात्रों की परीक्षा कराने और रिजल्ट घोषित करने के लिए कहा था। सीबीआई को जांच में कमेटी के संचालन में कई गड़बड़ियां मिली हैं। मुख्यसचिव को भेजे गए पत्र के आधार पर राज्य शासन ने कार्रवाई शुरू कर दी है। तकनीकी शिक्षा विभाग से उस समय पदस्थ रहे अधिकारियों के बारे में जानकारी मांगी गई थी।
बिना काउंसलिंग 196 सीटों पर प्रवेश
अपात्र उम्मीदवारों के संबंध में एएफआरसी ने विश्वविद्यालयों को यह पत्र भी जारी किया कि इनकी परीक्षा ली जाए और उनका परिणाम भी घोषित किया जाए। सीबीआई जांच में कमेटी द्वारा अपात्र उम्मीदवारों को नियमित कराने पर आपत्ति व्यक्त की गई है। इसके लिए सीबीआई ने संबंधित विश्वविद्यालयों के अधिकारियों से पूछताछ भी की थी। जांच में पाया कि 2009 से 2012 तक के एडमिशन संबंधी जानकारी डीएमई से मांगी गई, लेकिन डीएमई ने एडमिशन एंड फी रेगुलेटरी कमेटी (एएफआरसी)को जानकारी नहीं दी। सीबीआई ने पत्र में लिखा कि जांच में इस बात का खुलासा हुआ कि रेफर किए गए 196 उम्मीदवारों में से अंतिम रूप में 171 ने दाखिला लिया। इन उम्मीदवारों को जो सीट आवंटित की गई थी, उस पर उनके द्वारा पहली, दूसरी, तीसरी और चौथे राउंड की काउंसलिंग में से किसी भी काउंसलिंग में हिस्सा नहीं लिया और यह सीट खाली रहीं। इसके बाद प्रवेश प्रक्रिया का उल्लंघन कर कॉलेजों ने अपनी पसंद के उम्मीदवारों को प्रवेश देकर अंतिम तारीख में 196 सीट भर दी।