कर्मचारियों को मिला विपक्ष के साथ सत्ता पक्ष के विधायकों का साथ


पुरानी पेंशन बहाली का मामला, राजस्थान  करने के पक्ष में आए भाजपा विधायक.


भोपाल।
हाल ही में राजस्थान सरकार द्वारा एक जून 2005 के पहले की पेंशन व्यवस्था को लागू करने के फैसले ने शिव सरकार को मुश्किल में डाल दिया है। उधर कर्मचारियों की इस मांग के समर्थन में न केवल कांग्रेस पूरी तरह से आ गई है, बल्कि सत्तारुढ़ दल के कई विधायक भी उनके साथ खड़े हो गए हैं। इसकी वजह से अब प्रदेश की सियासत पर भी राजस्थान सरकार के फैसले का असर नजर आना शुरू हो गया है। दरअसल यह पूरा मामला लाखों कर्मचारियों से जुड़ा हुआ है। इस मामले में  मैहर से भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर पुरानी पेंशन बहाल करने की मांग की है। गौरतलब है कि प्रदेश के दो लाख 86 हजार शिक्षक, डेढ़ लाख संविदाकर्मी और 48 हजार स्थाईकर्मी अंशदायी पेंशन की जगह पुरानी पेंशन बहाल करने की मांग लंबे समय से कर रहे हैं। प्रदेश में नई अंशदायी पेंशन व्यवस्था 2010 में लागू कर दी गई थी। इसमें दस प्रतिशत अंशदान कर्मचारी के मूल वेतन से कटता है, जबकि 14 प्रतिशत सरकार अपनी ओर से मिलती है। कर्मचारी के सेवानिवृत्त होने पर 50 प्रतिशत का भुगतान एकमुश्त कर दिया जाता है और शेष राशि से पेंशन दी जाती है। इसकी वजह से मिलने वाली पेंशन की राशि  तीन-चार हजार रुपये के करीब ही होती है। इसकी वजह से ही पुरानी पेंशन व्यवस्था को लागू करने की मांग की जा रही है। यह मांग अब ऐसे समय जोर पकड़ने लगी है, जबकि प्रदेश में महज डेढ़ साल बाद विधानसभा के आम चुनाव होने हैं। इस बीच इस मामले को कांग्रेस ने भी मुद्दा बनाने की तैयारी कर ली है। इस मामले में पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को पत्र लिखकर कर्मचारी हित में विचार करने का आग्रह किया है। इसके पहले वे पिछले बजट सत्र में पुरानी पेंशन बहाल करने का मामला भी उठा चुके हैं। उस समय वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने लिखित उत्तर में बताया था कि ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। इसके पहले कांग्रेस राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा ने राजस्थान की तरह मध्य प्रदेश में भी सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना लागू करने की मांग की है। उन्होंने भी मुख्यमंत्री से कर्मचारी हित में निर्णय लेने की अपील की है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि मेरी शिवराज सिंह चौहान से अपील है कि  प्रदेश के शासकीय कर्मचारियों के लिए भी सरकार पुरानी पेंशन योजना लागू करें। हाई कोर्ट में कर्मचारी गए हैं। मगर यह तो प्रदेश और मुख्यमंत्री का दायित्व है। अब इस मामले में बीते रोज मैहर से भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर पुरानी पेंशन योजना को लागू करने की मांग करते हुए कहा है कि इससे कर्मचारियों के आर्थिक हितों की सुरक्षा हो सकेगी। उन्होंने लिखा है कि हमारी सरकार ने कर्मचारियों के हित में कई कदम उठाए हैं, इसलिए पेंशन के मामले में भी विचार किया जाना चाहिए।
4 लाख कर्मचारी प्रभावित  
शिवराज सिंह सरकार द्वारा नई पेंशन स्कीम लागू किए जाने से राज्य के 4 लाख से ज्यादा कर्मचारियों को नुकसान हुआ है। इस पेंशन स्कीम को लेकर किए गए  प्रावधानों की वजह से जिन कर्मचारियों को पुरानी पेंशन स्कीम का लाभ नहीं मिलेगा उनमें 1 जनवरी 2005 के बाद राज्य सरकार की सेवा में आए अधिकारी-कर्मचारी, अध्यापक और पंचायत सचिव शामिल हैं। इस स्कीम के लागू होने के बाद कर्मचारियों द्वारा सरकारी स्तर पर आवेदन भी किया गया था, जिसे वित्त विभाग ने यह कहते हुए निरस्त कर दिया था कि एमपी में पेंशन नियम 72 लागू नहीं हैं। राज्य सरकार के पास पुरानी पेंशन व्यवस्था के लिए भोपाल, ग्वालियर, शाजापुर, शिवपुरी, मंदसौर, उज्जैन, रीवा, दतिया, नीमच और रायसेन जिले से शिक्षकों और कर्मचारियों ने आवेदन दिए थे। जिन्हें जिला शिक्षा अधिकारियों ने लोक शिक्षण संचालनालय के माध्यम से वित्त विभाग को भेजा गया था।  राज्य सरकार ने उस समय इस मामले में तर्क दिया था कि 1 जनवरी 2005 के बाद प्रदेश में 1.50 लाख से ज्यादा कर्मचारी सेवा में आ चुके हैं, जो पेंशन नियम 1972 के दायरे में नहीं आते हैं।  2.25 लाख अध्यापक और 25 हजार हजार से ज्यादा पंचायत सचिव हैं, जिन पर न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस) लागू है। यानी प्रदेश में जिन कर्मचारियों को पुरानी पेंशन का लाभ मिलना है, उनसे ज्यादा संख्या नई पेंशन स्कीम वालों की है।
नाथ ने की 31 प्रतिशत महंगाई भत्ता की मांग
पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने मुख्यमंत्री से प्रदेश के कर्मचारियों को केंद्रीय कर्मचारियों की तरह 31 प्रतिशत महंगाई भत्ता देने की मांग की गई है। इसके लिए लिखे गए पत्र में उन्होंने कहा है कि अभी प्रदेश में कर्मचारियों को बीस प्रतिशत महंगाई भत्ता मिल रहा है। उन्होंने बताया कि शिक्षक भर्ती प्रक्रिया के अंतर्गत चयनित एवं पात्र अभ्यर्थियों की सभी औपचारिकताएं पूरी होने के बाद भी उन्हें नियुक्ति नहीं दी जा रही है। यह ठीक नहीं है। अतिथि शिक्षक भी आपकी घोषणा के अनुसार नियमित होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।