लोकायुक्त की कार्रवाई को दरकिनार कर आयुक्त ने मामला ठंडे बस्ते में डाला
भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। लोकायुक्त की कार्रवाई के बाद भी स्कूल शिक्षा विभाग रिश्वतखोर अफसरों का संरक्षक बना हुआ है। लोकायुक्त के बार-बार पत्र भेजे जाने के बाद भी दोषी अफसर के खिलाफ स्कूल शिक्षा विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। इससे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की जीरो टालरेंस नीति पर सवाल उठने लगे हैं। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भ्रष्टाचार में जीरो टालरेंस के लिए सख्त निर्देश दे चुके है, लेकिन कुछ विभागों के अधिकारी इसे हवा में उड़ा देते है। ऐसा ही मामला स्कूल शिक्षा विभाग का है। जिसमें लोकायुक्त द्वारा रंगे हाथों रिश्वत लेते पकड़े जाने के बाद भी उन्हें शिक्षा विभाग के अधिकारी बचाने में जुटे है। एसपी लोकायुक्त जबलपुर संजय साहू का कहना है कि संभागीय संयुक्त संचालक कार्यालय में पदस्थ जेडी राममोहन तिवारी समेत तीन के खिलाफ रिश्वत लेने, भ्रष्टाचार निवारण की धाराओं में प्रकरण दर्ज किया गया या। उन्हें हटाने के लिए आयुक्त लोक शिक्षण को तीन बार पत्र लिखा जा चुका है। आयुक्त की तरफ से अभी तक कोई जवाब नहीं आया है।
कमेटी बनाकर मामले पर डाला पर्दा
लोकायुक्त की कार्रवाई को दरकिनार करते हुए आयुक्त लोक शिक्षण ने रिश्वत के आरोपी अधिकारी-कर्मचारी को बचाने के लिए एक कमेटी बनाकर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया। लोकायुक्त ने रिश्वत लेते पकड़े जाने की कार्रवाई के बाद तीन बार रिश्वखोरों को हटाने के लिए पत्र लिखा, लेकिन विभाग की तरफ से चार महीने बाद अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई। जानकारी के मुताबिक जबलपुर में लोकायुक्त ने संयुक्त संचालक लोक शिक्षण कार्यालय में पदस्थ जेडी राममोहन तिवारी, लेखापाल संतोष भटेले, कर्मचारी अशोक को 21 हजार की रिश्वत लेते करीब पांच महीने पहले 12 अक्टूबर को पकड़ा था। रिश्वत की यह रकम कार्यालय में पदस्थ महिला भृत्य से मांगी गई थी। दरअसल कार्यालय से बीते साल 26 अगस्त को तीन कम्प्यूटर चोरी हो गए थे। महिला भृत्य अनीशा बेगम से चौकीदारी का काम लिया जा रहा था। चोरी को उसकी लापरवाही बताते हुए विभागीय कार्रवाई का डर दिखा रहे थे। लोकायुक्त पुलिस ने तीनों के खिलाफ रिश्वत लेने, भ्रष्टाचार निवारण की धाराओं में प्रकरण दर्ज किया गया है। जिसके बाद जेडी समेत तीनों कर्मचारियों का स्थानांतरण किया जाना था। लेकिन मामला दर्ज होने के बाद जेडी राममोहन तिवारी ने आयुक्त लोक शिक्षण अभय वर्मा को आवेदन दिया। उनके आवेदन पर अपर संचालक धीरेंद्र चतुर्वेदी, उप संचालक एसके परसाई व उप संचालक एचएन नेमा की एक कमेटी गठित की गई। इसमें कमेटी को रिपोर्ट देना थी। कमेटी बनने के बाद जेडी तिवारी समेत तीनों पर विभाग की तरफ से कोई कार्यवाही नहीं की गई है। वहीं, जबलपुर लोकायुक्त ने रिश्वतखोरों को हटाने के लिए तीन बार आयुक्त को पत्र भेजा, लेकिन उसका कोई जवाब नहीं दिया गया।
कार्रवाई भी अलग-अलग
महिला भृत्य अनीशा बेगम की शिकायत पर लोकायुक्त ने रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया था। स्कूल शिक्षा विभाग ने रिश्वतखोरों पर कोई कार्यवाही नहीं की, लेकिन फरियादी भृत्य अनीशा बेगम को जरूर निलंबित कर दिया था। पुलिस की कार्रवाही के बाद भी स्कूल शिक्षा विभाग के अफसर अपनी जांच चलाते हैं। विभाग के अधिकारी एक जैसी पुलिस की एफआईआर में कार्रवाई भी अलग-अलग करते है। गुना जिले में बीते दिसंबर में एक स्कूल में प्राचार्य पर यौन उत्पीड़न में की शिकायत के बाद उन्हें पद से हटा दिया गया था। इतना ही नहीं प्राचार्य पर मामला दर्ज करवाकर उन्हें जेल भेज दिय गया। जबकि भोपाल जिले में ही डीपीसी पर यौन उत्पीड़न की एफआईआर होने के बाद उसी पद पर जमे हुए है।