जनाब….सुहास भगत संघ द्वारा बुलाए नहीं…. हटाए गए हैं

भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। मप्र भाजपा में

बीते छह सालों से प्रदेश संगठन महामंत्री का दायित्व निभा रहे सुहास भगत को अचानक हटा दिया गया है। उन्हें अब संघ में क्षेत्रीय बौद्धिक प्रमुख बनाने की घोषणा कर दी गई है। उनकी जगह फिलहाल अघोषित रुप से प्रदेश सह संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा संगठन महामंत्री का काम काज देखेंगे। उनको प्रदेश संगठन महामंत्री पद से हटाए जाने की कई वजहें सामने आ रही हैं। बताया जाता है कि उनके कामकाज की सुस्त शैली से संगठन से लेकर संघ तक नाराज बना हुआ था। अगर उनके बीते दो सालों के कार्यकाल को छोड़ दिया जाए तो वे शुरू के चार सालों में संगठन की मजबूती से लेकर कार्यकर्ताओ में सक्रियता का जोश भरने में भी नाकाम बने रहे।
अंतिम दो सालों में संगठन की मजबूती से लेकर उनमें सक्रियता की वजह भी टीम वीडी को अधिक जाता है। संघ में बतौर प्रचारक लंबे समय तक काम करने के बाद भी उनमें संवाद , संपर्क और समन्वय का अभाव दिखता रहा है। यही वजह है कि बीच-बीच में उनको हटाए जाने की चर्चा कई बार बनी रहीं। यही नहीं उनकी कार्यशैली ऐसी रही की वे सरकार पर भी संगठन की पकड़ बनाने में भी कभी सफल होते नहीं दिखे। इसके अलावा वे संगठन के विवादास्पद मुद्दों पर संघ की लाइन अनुरूप सख्त निर्णय लेने की बजाय बैकफुट पर ही बने रहते थे। जिसकी वजह से उनकी भूमिका लगातार कम होती जा रही थी। यही वजह है कि बहुत पहले से ही उनके बदले जाने की चर्चाएं शुरू हो गई थीं, लेकिन उनकी किस्मत ऐसी रही की पहले दो साल तक कोरोना संक्रमण के चलते पार्टी का फोकस सेवा गतिविधियों पर रहने की वजह से उन्हें हटाया नहीं गया। इस बीच संगठन द्वारा उनके सहयोगी के रुप में प्रदेश सह संगठन महामंत्री पद पर हितानंद शर्मा की नियुक्ति कर दी गई। जिसके बाद से ही माना जाने लगा था कि जल्द ही शर्मा को प्रदेश संगठन महामंत्री की मुख्य भूमिका में लाया जाएगा। हाल ही में संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक में उन्हें भाजपा से हटाने का फैसला कर लिया गया। यह बात अलग है कि वे अपनी कार्यशैली के बाद भी सूबे के भाजपा में ऐसे दूसरे संगठन महामंत्री हैं , जिन्हें छह साल का सर्वाधिक कार्यकाल मिला है। प्रदेश में संघ द्वारा संगठन महामंत्री के पद पर प्रचारकों को भेजने की शुरुआत 2002 से की गई थी। प्रदेश में इस पद पर सबसे पहले कप्तान सिंह सोलंकी को भेजा गया था। उनके बाद 2010 तक माखन सिंह इस भूमिका में रहे। माखन सिंह के साथ सह संगठन महामंत्री के बतौर अरविंद मेनन और भगवत शरण माथुर की नियुक्ति भी की गई थी। 2010 में मेनन की पदोन्नति संगठन महामंत्री के रूप में हो गई । वह भी करीब छह साल 2016 तक इस पद पर कार्यरत रहे। फरवरी 2016 में उन्हें संघ ने पदोन्नति के साथ राष्ट्रीय भूमिका देकर दिल्ली भेज दिया।
हटाने की पीछे यह रहीं वजहें
बताया जाता है कि उन्हें हटाए जाने के पीछे वैसे तो कई वजहें हैं , लेकिन इनमें प्रमुख रुप से उनका अतुल राय से विशेष प्रेम भी एक कारण रहा है। राय के सह संगठनमंत्री बनने के बाद उनकी कार्यशैली की वजह से विवादों मे रहने का ठीकरा भी भगत के सिर पर ही फोड़ा जाने लगा था। राय को भी संघ द्वारा महज छह माह में हटा लिया गया था। भगत की पंसद के चलते ही सरकार द्वारा जयपाल सिंह छावड़ा को इंदौर विकास प्राधिकरण की कमान सौंपी गई है। यह नियुक्ति भी इंदौर के नेताओं को रास नही आ रही थी। इसकी वजह भी है छाबड़ा का बाहरी होना। यही नहीं उनके द्वारा कुछ जिलों में जिलाघ्यक्षों की कराई गईं नियुक्तियां भी विवादों की वजह बनी हैं। इसके अलावा उनकी कार्यशैली पर सवाल तो शुरू से ही उठते रहे हैं , लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद मप्र में भाजपा को सत्ता से बाहर होना भी इसकी एक वजह रही है।
युवा पीड़ी को मौका देने का श्रेय
संघ द्वारा  सुहास भगत की सेवाएं मध्यप्रदेश भाजपा में फरवरी 2016 से बतौर संगठन महामंत्री के तौर पर सौंपी गई थीं। अब सुहास भगत की सेवाएं वापस ले लीं गई हैं। उनके स्थान पर करीब दो साल से अपनी बारी का इंतजार कर रहे सह संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा को कमान मिलना तय है। पिछले एक साल से संघ में सुहास भगत की नई पदस्थापना को लेकर विचार मंथन चल रहा था। मप्र में लंबे कार्यकाल के दौरान भगत ने नई पीढ़ी को संगठन में आगे लाने में प्रमुख भूमिका निभाई। संगठन महामंत्री के रूप में भगत ने सत्ता-संगठन के बीच बेहतर समन्वय में भी उनकी अहम भूमिका रही है। मंडलों में अध्यक्ष और महानगरों में जिलाध्यक्ष पद पर युवाओं को उन्होंने कमान सौंपने का नवाचार करने के साथ ही जिलों में होने वाली संगठनात्मक नियुक्तियों में सांसद-विधायकों के एकाधिकार को भी समाप्त किया। मंडलों की कमान 40 साल की उम्र के लोगों को सौंपी। प्रदेश में सियासी उथल-पुथल के बाद सिंधिया गुट के साथ समन्वय बनाने में भी उन्होंने विशेष भूमिका निभाई।
जबलपुर रहेगा भगत का मुख्यालय
संघ द्वारा भाजपा के प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत की सेवाएं वापस लेने के बाद उन्हें नया दायित्व दिया गया है। उन्हें मध्य क्षेत्र के बौद्धिक प्रमुख की जिम्मेदारी सौंपी है। उनका मुख्यालय जबलपुर रहेगा। गौरतलब है कि भाजपा में संगठन महामंत्री संघ से आते हैं और भाजपा संगठन में यह सबसे पावरफुल पद माना जाता है। पिछले कुछ समय से भगत को पद से मुक्त करने की चर्चाओं के बीच अहमदाबाद में संघ की प्रतिनिधि सभा की बैठक में उन्हें इस पद से मुक्त करने का फैसला किया गया है।
हितादंन के हाथों में होगी  अब संगठन की कमान
प्रदेश सह संगठन मंत्री हितानंद शर्मा को अब प्रदेश संगठन महामंत्री की कमान दी जाना तय माना जा रहा है। अब उनकी अधिकृत घोषणा का इंतजार किया जा रहा है। उन्हें प्रदेश भाजपा में सह संगठन मंत्री बनाए जाने के बाद से ही महामंत्री बनाए जाने की चर्चाएं शुरू हो गई थीं। इसकी वजह है उनकी संपर्क व संवाद करने के शैली और निर्णय लेने की क्षमता के अलावा मैदानी सक्रियता। वे भाजपा में आने के बाद से ही लगातार मंडल स्तर तक प्रवास कर रहे हैं तथा मैदानी  कमियों का अनुमान लगाकर उनमें सुधारने के प्रयासों में लगे रहते हैं। यही नहीं ग्वालियर-चंबल अंचल में वे बतौर प्रचारक काम कर चुके हैं जिसकी वजह से पार्टी के लिए इस अंचल के हर कार्यकर्ता से उनका पुराना सम्पर्क भी है, जिसका फायदा भी संगठन को मिल रहा है।