शराब बंदी मामले में … महिला नेता हुई दो फाड़

  • उमा भारती को मिला बसपा विधायक का साथ तो मंत्री उषा ठाकुर विरोध में उतरीं

इंदौर/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। प्रदेश में पूर्व

मुख्यमंत्री उमा भारती द्वारा चलाई  जा रही शराब बंदी की मुहिम को लेकर प्रदेश में महिला विधायक भी दो फाड़ हो गई हैं। खास बात यह है कि इस मामले में शिव सरकार में मंत्री उषा ठाकुर विरोध में आ गई हैं तो वहीं बसपा विधायक राम बाई का उमा भारती को साथ मिल गया है।  मप्र में शराब बंदी को लेकर जहां पर्व मुख्यमंत्री उमा भारती लामबंद हैं, वहीं उनसे इतर संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर ने कहा कि जिन राज्यों में शराबबंदी हई है, वहां लोगों की और अधिक दुर्गति हो गई। उन्होंने यह भी कहा कि शराब का सेवन करने वालों का मानस बदलना होगा और उन्हें अध्यात्म से जोड़ा जाना चाहिए। संस्कृति मंत्री ठाकुर बुधवार को एक कार्यक्रम में शामिल होने  ग्वालियर पहुंची थीं। वहां उन्होंने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि शराब बंदी होने पर शराब ब्लैक मार्केटिंग के जरिए पीने वालों तक पहुंच ही जाती है। उन्होंने कहा कि यदि कोई व्यक्ति शराब नहीं पीता है तो उसे कोई जर्बदस्ती नहीं पिला  सकता है। ऐसे में हमें सबसे पहले लोगों के मन और मानस को बदलना जरूरी है। अध्यात्म इसमें बड़ा सहारा हो सकता है। नशे से दूर हो जाएं और उन्हें आध्यात्मिक की तरफ आकर्षित करना होगा।
उन्होंने कहा कि आगामी समय में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, इसलिए भाजपा चुनाव को लेकर रणनीति तैयार कर रही है। पचमढ़ी चिंतन बैठक में भी इस पर मंथन हुआ है। पहले लक्ष्मणपुरा में भी स्थानीय निवासियों ने भी शराब दुकान का सड़कों पर उतरकर विरोध किया था। संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर का यह बयान ऐसे समय आया है, जब उमा भारती मध्य प्रदेश में शराबबंदी को लेकर माहौल बनाने में जुटी हुई हैं। यह बात अलग है कि संस्कृति मंत्री से जब पूछा गया कि क्या पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने शराब की दुकान में जो पत्थऱ फेंके थे क्या वो सही है? तब इस पर उन्होंने जवाब दिया  …नो कमेंट। उधर, दमोह जिले की पथरिया से विधायक रामबाई ने पचमढ़ी में हुई शिवराज कैबिनेट की चिंतन बैठक पर तंज कसा है। उन्होंने बीजेपी नेता उमा भारती के शराबबंदी का समर्थन करते हुए कहा- मैं भी शराबबंदी के लिए मुहिम छेडूंगी। विधायक ने कहा कि मंत्रालय में सुविधाओं के बाद भी पचमढ़ी में बैठक का कारण हो सकता है कि होली मिलन समारोह मना रहे हों। आखिर नेता-मंत्रियों को भी इंजॉय करने का अधिकार है, लेकिन ये खर्च जनता के पैसे की बजाए खुद की जेब से होता, तो अच्छा संदेश जाता। अब कैबिनेट मीटिंग पचमढ़ी में हो या फिर विदेशों में, यह सरकार की सोच का विषय है।
ठेकेदारों की जिद पड़ी भारी, आरक्षित मूल्य में 15 फीसदी की कमी पर तैयार हुई सरकार
प्रदेश में शराब ठेकेदारों की जिद के आगे आखिरकार सरकार को झुकना ही पड़ा है। यही वजह है कि अब शराब ठेकों की टेंडर से बची दुकानों को तय आरक्षित मूल्य से 15 फीसदी कम पर ठेका देने का फैसला कर लिया गया है। इसकी शुरूआत भी भोपाल व जबलपुर जैसे महानगरों से कर दी गई है। अब नए वित्त वर्ष में दो दिन का समय ही रह गया है ,लेकिन अभी भी 42 जिलों में शराब दुकानों की नीलामी नहीं हो सकी है। अब शेष दुकानों की नीलामी के लिए 11 वें चरण में फिर से ऑनलाइन टेंडर आज बुलाए गए हैं। जिन जिलों में यह आज नीलामी की जा रही हैं उनमें  भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर जैसे जिले भी शामिल हैं। दरअसल 31 मार्च तक ठके  होने जरूरी हैं, क्योंकि एक अप्रैल से नई आबकारी नीति के तहत दुकानों का संचालन किया जाना है।
इस स्थिति के चलते सरकार ने बीते रोज दुकानों की नीलामी के लिए आरक्षित मूल्य से 15 प्रतिशत कम आने पर भी शराब दुकानों का ठेके देने का निर्णय कर लिया है। इसके पहले तक इसकी दर नौ प्रतिशत तय की गई थी। गौरतलब है कि अब तक प्रदेश में सिर्फ दस जिलों की सभी शराब दुकानों के ठेके ही हो सके हैं। जिन जिलों में ठेके हो चुके हैं उनमें विदिशा, सीधी, पन्ना, हरदा, मंडला, शाजापुर, झाबुआ, डिंडोरी, अनूपपुर और अलीराजपुर जिला शामिल है। अब विभाग को दो दिन के अंदर ही सभी शराब दुकानों के टेंडर पूरे करना हैं। इसके बाद भी जो दुकानें नीलाम होने से रह जाएंगी, उनके संचालन के लिए अलग से फैसला किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में दो हजार 541 देशी और एक हजार 70 विदेशी शराब की दुकानें हैं। इन्हें एक हजार 142 समूहों में बांटा गया है। इनमें 754 समूहों के ठेके हो चुके हैं। इससे सरकार को आठ हजार 362 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होना तय हो गया है।  दरअसल सरकार ने नए वित्त वर्ष में आबकारी राजस्व का लक्ष्य 12 हजार 834 करोड़ रुपये तय किया हैं। उधर, बीते रोज राजधानी में शेष रह गये 21 ग्रुप की 55 शराब दुकानों में से दसवें चरण की नीलामी में मात्र दो ग्रुप को लेने के लिए ठेकेदार आगे आये, वो भी कम प्राइस रेट पर। इसी तरह से जबलपुर में भी तीन ग्रुप 14 फीसदी कम रिजर्व प्राइस में गए हैं। दरअसल, भोपाल जिले में नए वित्तीय वर्ष (2022-23) के लिए 33 ग्रुपों की 90 शराब दुकानों के दाम करीब 20 फीसदी बढ़ा दिए हैं। जबकि, बीते साल की तुलना में चालू वर्ष में 15 फीसदी शराब दुकानों के रेट बढ़ाकर सिंगल ग्रुप को ठेका दिया गया था।
बीते रोज भोपाल में दो ग्रुप कोलार और स्टेशन बजरिया ऑनलाइन नीलामी में चले गये। इसमें कोलार ग्रुप रिजर्व प्राइस से 14 फीसदी कम में मूलचंद जायसवाल और स्टेशन बजरिया को सुनील गुप्ता ने रिजर्व प्राइस से 13 फीसदी कम पर ठेका हासिल किया है। इधर, वाणिज्यिक कर विभाग द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि आगामी चरणों में प्राप्त होने  प्रस्तावों में से आरक्षित मूल्य से 15 फीसदी कम राशि तक के एच 1 मूल्य के प्रस्तावों को इस शर्त के साथ स्वीकार किया जाए कि किसी मदिरा दुकान समूह का वर्ष 22-23 के लिए प्राप्त एच 1 प्रस्ताव उस मदिरा दुकान समूह के वर्ष 21-22 के वार्षिक मूल्य से कम न हो।
राजनैतिक जमीन मजबूत करने का प्रयास
मप्र में शराबबंदी कीने की मुहिम को अपनी राजनैतिक जमीन मजबूत करने की महिम के रूप में देखी जा रही है। उमा भारती पांच राज्यों चुनाव के बाद राज्य में अपनी जमीन को और पुख्ता करना चाहती है। फिलहाल वे राज्य की सक्रिय राजनीति से दूरी बनाए हुए है, उनकी नजर अगले साल होने वाले विधानसभा के चुनाव और वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव पर है। उसी से उनके इस अभियान को जोड़कर देखा जा रहा है। यह बात अलग है कि उनका कहना है कि एक दिन भोपाल के किसी शराब के दुकान के सामने खड़ी हो जाउंगी और लोगों से पूछूंगी कि क्या आप शराब दुकान से खुश हैं? उन्होंने बताया कि इससे पहले बैरसिया के पास गुनगा गई और शराब के दुकान के सामने खड़ी हो गई जिससे आसपास लोग आ गए और बोले दीदी दुकान बंद कराएं?
राजधानी में कई  ग्रुप बने मुसीबत  
शहर के बड़े ग्रुप एमपी नगर, अरेरा कॉलोनी, हबीबगंज नाका की दुकानों को बेचने के लिए विभाग ज्यादा मशक्कत कर रहा है। ये तीनों ग्रुप 54 करोड़, 53 करोड़ और 52 करोड़ रुपए के हैं। बताया जा रहा है कि शेष ग्रुपों को लेकर 31 मार्च को ही ठेकेदार निर्णय लेंगे। 30 मार्च को भी इक्का-दुक्का ठेकेदार ही आगे आयेंगे। कुछ यही स्थिति इंदौर, जबलपुर, शहडोल सहित अन्य जिलों में रहेगी।