तन्खा को परदेशी.. बनाकर , आजाद पर दांव लगा सकती है कांग्रेस

भोपाल।मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। अगले साल होने

वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अब कांग्रेस दो माह बाद होने वाले राज्य सभा चुनाव के बहाने राजनैतिक समीकरण साधने की तैयारी कर रही है। इसकी वजह से मौजूदा राज्य सभा सांसद विवेक तन्खा को अब मप्र की जगह छत्तीसगढ़ से राज्यसभा भेजने की योजना बनाई जा रही है। उनकी जगह मप्र से पार्टी के मुस्लिम चेहरे गुलामनबी आजाद को प्रत्याशी बनाए जाने की तैयारी शुरू कर दी गई है। दरअसल यह पूरी कवायद मप्र में मुस्लिम मतदाताओं को साधने के लिए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सुझाव पर की जा रही है। इसके अलावा प्रदेश कांग्रेस इस एक सीट के लिए एक अनार सौ बीमार वाली स्थिति का भी पार्टी आसानी से सामना करने की मंशा रखती है। दरअसल अगर इस तरह का प्रयोग किया जाता है तो इसकी वजह से अरुण यादव और अजय सिंह की दावेदारी को लेकर बनने वाली असहज स्थिति स्वत: ही समाप्त हो जाएगी।
यह बात अलग है कि अभी राज्यसभा चुनाव के लिए दो माह का समय है , लेकिन अभी से कांग्रेस व भाजपा में भोपाल से लेकर दिल्ली तक हलचल शुरू हो गई है। इस तरह की खबरें आने के बाद अब अरुण व अजय सिंह की दावेदारी भी बेहद कमजोर हो गई है। कांग्रेस के यह दोनों ही दिग्गज नेता फिलहाल किसी भी सदन के सदस्य नही है। अरुण यादव विधानसभा और लोकसभा का चुनाव हार गए थे , जबकि अजय सिंह भी 2018 में चुरहट विस सीट और 2019 में सीधी लोकसभा सीट से चुनाव हार चुके हैं। यह बात अलग है कि यह दोनों ही नेता अपने -अपने अंचलों में बड़ा चेहरा माने जाते हैं। गौरतलब है कि कांग्रेस में असंतुष्ट जी-23 नेताओं की सक्रियता और अहमद पटेल के निधन के बाद पार्टी के केंद्रीय संगठन में जिस तरह से नए समीकरण बने हैं उससे कमल नाथ और उनका खेमा लगातार ताकतवर होता जा रहा है। नाथ द्वारा चले गए इस दांव की वजह से अरुण यादव और अजय सिंह की दावेदारी को पूरी तरह से खारिज करने की तैयारी कर ली गई है।

यह बात अलग है कि हाल ही में जिस तरह से अरुण यादव कमलनाथ के साथ एक साथ सार्वजनिक रुप से यात्रा करने से लेकर एक साथ पूजा करते देखे जा चुके हैं। इस मामले में कमलनाथ के सक्रिय होने के बाद से ही विरोधी खेमा अब शांत नजर आने लगा है। उल्लेखनीय है कि अरुण यादव बीते विधानसभा चुनाव में बुधनी से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के खिलाफ चुनावी मैदान में इसी शर्त  पर उतरे थे, कि उन्हें चुनाव हारने के बाद पार्टी द्वारा राज्यसभा में भेजा जाएगा। बतौर अरुण समर्थकों के अनुसार उस समय राहुल गांधी ने 2018 में यह वादा  किया था।
तीन सदस्यों का हो रहा कार्यकाल समाप्त
दरअसल जून में मप्र से तीन और छत्तीसगढ़ से दो राज्यसभा की सीटें रिक्त हो रही हैं। इनमें से मप्र में दो भाजपा के और एक सांसद कांग्रेस के हैं। मप्र में कांग्रेस के 96 विधायक हैं। जिसकी वजह से उसका एक ही सदस्य निर्वाचित हो सकता है, जबकि छग में कांग्रेस के 70 विधायक हैं। इस वजह से अब छग में भाजपा के दोनों सदस्यों की जगह कांग्रेस के दो सदस्यों का चुना जाना तय है।
भाजपा में भी असंमजस
प्रदेश में जून में जो तीन राज्यसभा की सीटें रिक्त होने जा रही हैं ,उनमें से दो सीटें भाजपा के खातें में एक बार फिर आना  तय है। भाजपा में इसी तरह का फार्मूला दोहराया जाना तय माना जा रहा है। कहा जा रहा है कि इस बार अकबर की जगह केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल या निर्मला सीतारमन को प्रदेश से राज्यसभा भेजा जा सकता है। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल अभी महाराष्ट्र से राज्यसभा में है, जबकि निर्मला सीतारमन को कर्नाटक से भेजा गया था। दोनों का कार्यकाल जुलाई, 2022 में खत्म हो जाएगा। इसके पहले राज्यसभा में उन्हें भेजना जरूरी होगा। पिछली बार भाजपा ने अनिल दवे के निधन से खाली हुई सीट पर संपतिया उइके को उतारकर  सभी को चौकाया  था।   आदिवासी वर्ग का प्रतिनिधित्व करने के कारण उन्हें राज्यसभा भेजा गया था। माना जा रहा है कि इस बार भी पार्टी एक सीट पर किसी आदिवासी या ओबीसी चेहरे पर ही दांव लगाएगी।