तबादलों में निर्वाचन आयोग पर भारी पड़ रहा है प्रशासन

भोपाल।मंगल भारत। प्रदेश में पंचायत से लेकर नगरीय निकाय


चुनाव की आचार संहिता लग चुकी है और नामांकन की प्रक्रिया भी जारी है, लेकिन शासन व प्रशासन उन कर्मचारियों व अधिकारियों को हटाने के लिए तैयार नही है, जो कई सालों से न केवल एक ही जगह जमे हुए हैं, बल्कि चुनावों को प्रभावित करने का काम भी कर रहे हैं। इसकी वजह से अब हर दिन राज्य चुनाव आयोग के पास दर्जनों की संख्या में शिकायतें आ रही हैं।
हद तो यह है कि पंचायत चुनावों के लिए तो अब चुनाव चिन्ह तक आवंटित किए जा चुके हैं , लेकिन अब तक तबादलों को लेकर हलचल तक नहीं दिख रही है। यही वजह है कि अब आयोग को बार-बार कहना पड़ रहा है कि सालों से एक ही जगह पर पदस्थ उन कर्मचारियों का तत्काल तबादला करें, जो चुनाव प्रभावित कर सकते हैं। इन निर्देशों के बाद भी कर्मचारियों का तबादला नहीं किए जाने की वजह से अब प्रदेश में होने जा रहे त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को (पंच, सरपंच, जनपद पंचायत सदस्य व जिला पंचायत सदस्य) लेकर अभ्यर्थियों की ओर से शिकवा-शिकायतों का सिलसिला तेज हो गया है। पंचायत चुनाव की घोषणा से लेकर अब तक प्रदेश भर से राज्य निर्वाचन आयोग को 708 शिकायतें की जा चुकी हैं। इनमें से 90 प्रतिशत शिकायतें कर्मचारियों का तबादला नहीं किए जाने को लेकर ही आयी हैं।
इन शिकायतों में कहा गया है कि अधिकारियों कई कर्मचारी वर्षों से एक स्थान पर पदस्थ हैं। राज्य निर्वाचन आयोग के निर्देशों के बाद भी उनका तबादला नहीं किया जा रहा है। ये कर्मचारी चुनाव को प्रभावित कर सकते हैं, इसलिए निर्वाचन आयोग तत्काल संज्ञान लेते हुए इनका तबादला कराए। इसके अलावा शिकायतों में ट्रांसफर होने के बाद भी कर्मचारी रिलीव नहीं किए जाने की बात कही गई है। दरअसल अफसर मजबूरी में अपने चहेते अफसरों का तबादला तो कर देते हैं, लेकिन उन्हें रिलीव न कर पूर्व की तरह ही काम कराते रहते हैं। यह कर्मचारी और अफसर पर्दे के पीछे रहकर अपने प्रभाव का इस्तेमाल करने में पीछे नहीं रहते हैं। इसके अलावा आयोग के पास कुछ शिकायतें नामांकन में गड़बड़ी को लेकर भी हैं।
उप संचालक कृषि की शिकायत
आयोग के सूत्रों का कहना है कि सीधी जिले के उप संचालक कृषि की शिकायत आई है। इसमें कहा गया है कि उप संचालक अपने रिश्तेदार को सरपंच का चुनाव जिताने के लिए अपने पद का दुरुपयोग कर ग्रामीणों पर दबाव बना रहे हैं। उनका तत्काल ट्रांसफर किया जाए। इसके अलावा जनपद पंचायत सीईओ और पंचायत सचिवों द्वारा चुनाव प्रभावित करने के लिए पद के दुरुपयोग की कई शिकायतें की गई हैं। राज्य आयोग का कहना है कि संबंधित जिलों शिकायतें भेजकर उनकी जांच कराई जा रही है।
कई पत्र के बाद भी नहीं हटा थाना प्रभारी
आयोग के आदेशों पर अमल न करने का उदाहरण राजधानी में ही है। आयोग द्वारा भोपाल के पुराने शहर के एक थाना प्रभारी को हटाने के लिए आदेश के बाद स्मरण पत्र भी लिखने पड़ रहे हैं, लेकिन पुलिस अफसर उस थाना प्रभारी का एक हफ्ते बाद भी तबादला करने को तैयार नहीं है। इसकी वजह से आयोग की किरकिरी भी हो रही है। खास बात यह है कि यह पत्र सोशल मीडिया पर भी जमकर वायरल हो रहा है। इसके बाद भी आयोग जिम्मेवार अफसरों पर सख्ती नहीं दिखा पा रहा है।