भाजपा ने मुर्मू के बहाने खेला बड़ा आदिवासी कार्ड, कांग्रेस बैकफुट पर

विधानसभा चुनाव के पहले बड़ा मुद्दा बनाने की तैयारी.

भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। वैसे तो राष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से होता है , जिसकी वजह से इस पद के चुनाव में कोई राजनैतिक फैक्टर नहीं रहता है, लेकिन भाजपा ने जिस तरह से इस पद के लिए एक महिला आदिवासी प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू को उतारा है उससे एक साथ कई निशाने लगाए गए हैं। एक तरफ जहां सामूहिक विपक्ष के प्रत्याशी की जीत की संभावनाएं समाप्त करने में भाजपा सफल रही है , तो वहीं विपक्ष के एक हो जाने के खतरे को भी दूर करने में सफल रही है। हालात यह बन गए हैं कि कई क्षेत्रीय दल विपक्षी एकता के प्रयासों को धता बताकर मुर्मू के पक्ष में खड़े हो गए हैं। इसके अलावा कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी दुविधा की स्थिति भी बना दी है।
कांग्रेस अगर इस मामले में विरोध करती है तो फि र भाजपा आगामी विधानसभा व लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को आदिवासी विरोधी बताकर बड़ी महिम चलाएगी , जिसका खामियाजा कांगे्रेस को भुगतना पड़ सकता है। यही वजह है कि इस बार भाजपा ने इस चुनाव में भी आदिवासी कार्ड खेलकर कांग्रेस को बड़ी राजनीतिक चुनौती दे डाली है। विपक्ष के साझा उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के नामांकन में राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे की मौजूदगी ने भाजपा को यह कहने का बड़ा मौका दे दिया कि जब पहली बार आदिवासी समुदाय से कोई राष्ट्रपति बनने जा रहा है, विशेषकर महिला तो कांग्रेस अड़चनें पैदा कर रही है।
कांग्रेस के पास पार्टी में कोई बड़ा आदिवासी चेहरा ना होना भी उसके लिए मुसीबत बना हुआ है। दरअसल, भाजपा आदिवासी बहुल मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में कांग्रेस की घेराबंदी आदिवासी विरोधी पार्टी बताकर करेगी। आदिवासी बहुल कई राज्यों में जहां अगले दो साल के भीतर विधानसभा चुनाव होने हैं, वहीं 2024 में लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अजेय होने के लिए आदिवासी वोट बैंक साधना शुरू कर दिया है। इन कोशिशों को आदिवासी नेत्री द्रौपदी मुर्मू को प्रत्याशी बनाने से मजबूती मिलने की संभावना से पार्टी खुश है। यशवंत सिन्हा के समर्थन भाजपा द्वारा कांग्रेस की आदिवासी विरोधी मानसिकता करार दे रही है। भाजपा का आरोप है कि कांग्रेस ने मुर्मू का समर्थन नहीं कर अपना आदिवासी विरोधी चेहरा उजागर कर दिया है। आजादी प्राप्ति के बाद से अब तक कांग्रेस ने आदिवासियों को सिर्फ वोट बैंक समझा और उनकी राजनीतिक भागीदारी सुनिश्चित नहीं की। भाजपा इसे मुद्दा बनाएगी और उन सारे राज्यों में प्रचारित करेगी, जहां आदिवासी जनसंख्या ज्यादा है। जनसंपर्क के तहत यशवंत सिन्हा के मध्य प्रदेश दौरे के इंतजाम कांग्रेस ही करेगी। मध्य प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में भाजपा राष्ट्रपति चुनाव से ही कांग्रेस पर आदिवासी विरोधी होने के आरोप लगाने शुरू कर देगी। यही हाल अन्य आदिवासी आबादी वाले राज्यों में रहा तो कांग्रेस के लिए चुनौती बढ़ सकती है। इधर भाजपा के पास आदिवासी समुदाय के लिए सबसे मजबूत दांव द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति प्रत्याशी बनाने से लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू किए गए जनजातीय गौरव दिवस और मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा आदिवासी हितों की योजनाएं हैं।
कांग्रेस समर्थन की जगह विरोध कर रही
भाजपा के एक नेता कहते हैं कि राष्ट्रपति के गरिमामय चुनाव में एनडीए ने पूर्व राज्यपाल और प्रतिष्ठित आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू को अपना प्रत्याशी बनाया है। यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि स्वतंत्रता के बाद पहली बार इस वर्ग से कोई इस पद पर सुशोभित होगा। दुर्भाग्य है कि कांग्रेस समर्थन के बजाए विरोध पर उतारू है। मध्य प्रदेश के जनजाति विधायकों को जवाब देना होगा कि इस वर्ग के लिए गौरव के चरणों का विरोध क्यों किया। स्वतंत्रता के 75 साल में कांग्रेस के पास कई अवसर थे, पर कांग्रेस तो ऐसा कर ना सकी और अब जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में निर्णय हुआ तो कांग्रेस विरुद्ध है। अनुसूचित जाति वर्ग की भावनाओं और उनके अधिकारों का प्रतिनिधित्व करने वाले डॉ. भीमराव आंबेडकर को भी कांग्रेस ने लोकसभा में पहुंचने से रोकने के लिए भरसक प्रयास किए थे। कांग्रेस की इस मानसिकता को हम लगातार उजागर करेंगे।