दीपावली पर…शिवराज सरकार देगी बड़ा तोहफा

पदोन्नति के साथ डीए देने की तैयारी भी तैयारी.

पदोन्नति और डीए के मामले में पीछे चलने की वजह से नाराज चल रहे प्रदेश के कर्मचारियों को चुनावी साल से ठीक पहले खुश करने की तैयारी शिवराज सरकार ने लगभग कर ली है। इस बार प्रदेश के कर्मचारियों को दोहरी खुशी देने के प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। अगर ऐसा होता है तो प्रदेश में कई सालों बाद कर्मचारियों की दीपावली पर खुशी के फटाके फूटना तय है। दरअसल सरकार छह साल से प्रमोशन पाने के लिए इंतजार करने वाले प्रदेश के कर्मचारियों को दीपावली पर पदोन्नति का तोहफा देने के प्रयासों में लगी हुई है। इसके लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में वरिष्ठ सचिवों की पहले दौर की बैठक की जा चुकी है , जबकि दूसरे दौर की बैठक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रदेश दौरे के समाप्त होने के तत्काल बाद प्रस्तावित है। इसके बाद इसको लेकर प्रस्ताव कैबिनेट में पेश किया जाएगा। दरअसल इसकी जद में प्रदेश के करीब साढ़े तीन लाख अधिकारी और कर्मचारी है। बताया जा रहा है कि इसके लिए तैयार किए जाने वाले प्रस्ताव को मेरिट कम- सीनियरिटी का फार्मूला लाया जाना है। इसके तहत पदोन्नति के लिए सीआर में क्लास-1 के अफसर को 15, क्लास-2 को 14 और क्लास 3 को 12 अंक लाना जरूरी होगा। गौरतलब है कि पदोन्नति का मामला सुप्रीम कोर्ट में भी है। माना जा रहा है कि इसका फैसला कभी भी आ सकता है।
विधि विभाग लगा चुका है पहले अड़ंगा
दरअसल यह मामला पहले ही सुलझ सकता था , लेकिन जीएडी द्वारा तैयार किए गए प्रमोशन के प्रस्ताव पर कड़ी आपत्ति लगाकर अधिकारी-कर्मचारियों के प्रमोशन के सपने पर पानी फेर दिया था। विधि विभाग ने सुप्रीम कोर्ट के तमाम आदेशों का हवाला देते हुए जीएडी के प्रस्ताव पर सवालिया निशान लगाए थे। इसके बाद जीएडी ने कानून विभाग की आपत्तियों का निराकरण कर नए सिरे से प्रस्ताव बनाकर दोबारा विभाग को भेजा था, जिसे मंजूरी दी गई है। बताया जा रहा है कि इन नियमों को दीपावली से पहले लागू किया जा सकता है। यह नियम प्रमोशन में आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक लागू रहेंगे। नए नियम नोटिफाइड होने के बाद सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अधीन ही अधिकारी-कर्मचारियों के प्रमोशन देगी। यानी कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आते ही उसे तत्काल लागू कर दिया जाएगा। फैसले के आधार पर प्रमोट अधिकारी- कर्मचारियों को डिमोट भी किया जा सकेगा।
बैकलॉग के पद तीन साल में हो जाएंगे समाप्त
विधि विभाग की आपत्ति का निराकरण करते हुए जीएडी ने प्रस्तावित नए नियमों में प्रमोशन में बैकलॉग खत्म करने का नियम शामिल किया है। इस नियम के तहत अब एससी-एसटी के अधिकारियों को प्रमोशन के लिए केवल 3 साल तक बैकलॉग के पदों का लाभ मिलेगा। इस अवधि में पदोन्नति के लिए अधिकारी- कर्मचारी नहीं मिलने पर यह पद स्वत: ही समाप्त हो जाएंगे। दरअसल विधि विभाग का मानना है कि एससी-एसटी को पदोन्नत करने के नाम पर इन पदों को अनिश्चितकाल के लिए खाली नहीं रखा जा सकता। यही वजह है कि अब जीएडी ने इसकी समय सीमा 3 साल तय की है।
नए नियमों में इस तरह से होगी पदोन्नति
पदोन्नति के लिए हर साल योग्य उम्मीदवार की मेरिट कम सीनियरिटी की लिस्ट तैयार की जाएगी। इसके बाद संबंधित विभाग एससी, एसटी और अनारक्षित वर्ग की संयुक्त सूची बनाएगा। सूची में से सबसे पहले एससी-एसटी के पदों पर प्रमोशन दिया जाएगा , इसके बाद अनारक्षित वर्ग की बारी आएगी। इसे इस तरह से समझ सकते हैं। यदि कुल 50 पद हैं और पदोन्नति के लिए 150 कर्मचारी हैं तो पहले 20 पद आरक्षित वर्ग से भरे जाएंगे। फिर इसमें चाहे कर्मचारी सामान्य वर्ग के कर्मचारी से भी जूनियर ही क्यों न हो। इसके बाद बचे 30 अनारक्षित पद में से भी आरक्षित वर्ग का कोई कर्मचारी सीनियर रहता है तो उससे पद भरा जाएगा। इसके बाद बचे पद में सामान्य के खाते में आएंगे। यदि आरक्षित वर्ग का कोई व्यक्ति एक बार सामान्य वर्ग के पद पर पदोन्नति पा लेता है तो आगे उसकी पदोन्नति सामान्य वर्ग में ही की जाएगी। आगे वह आरक्षित के पदों पर पदोन्नति नहीं ले पाएगा।
तृतीय वर्ग के लिए यह होंगे नियम
तृतीय वर्ग के तहत आने वाले ग्रेड- 1, ग्रेड-2 और ग्रेड-3 के लिए पांच सालों की ग्रेडिंग के 12 अंक, क्लास-2 के लिए 14 और क्लास-1 के लिए 15 अंक जरूरी होंगे। पदोन्नति में मेरिट सीआर के अंकों को आधार माना जाएगा। मेरिट की 5 श्रेणियां रहेंगी। इसमें पहले प्रमोशन पदों के मुताबिक मेरिट के अनुसार होंगे। पहले 20 अंक, 15 अंक, 10 अंक और 0 अंक होंगे। मेरिट तय करने के लिए क्लास-3 के पदों की मेरिट के पहले चरण में सेक्शन ऑफिसर सीआर लिखेगा, उसका परीक्षण अंडर सेक्रेटरी करेगा और स्वीकृति डिप्टी सेक्रेटरी देगा। इसी तरह क्लास-2 के मामलों में सीआर का मामला एसीएस सचिव तक जाएगा। क्लास-1 के पदों पर सीआर की स्वीकृति मुख्य सचिव स्तर पर होगी। इसी तरह से अगर उच्च पदों यानी क्लास-1 और क्लास-2 के पदों पर पदोन्नति के मामले में यदि दो अफसरों के मेरिट में अंक समान हैं तो उसमें सीनियरटी देख कर वरिष्ठ कर्मचारी को पदोन्नत किया जाएगा।
सीनियर अफसरों की समिति तय करेगी आरक्षण
प्रस्तावित किए जाने वाले नए नियमों में जीएडी ने साफ कर दिया है कि हर साल जनवरी में पदोन्नति समिति की बैठक के पहले सीनियर अफसरों की समिति एक फार्मूले के तहत एससी-एसटी के प्रमोशन में आरक्षण का फैसला करेगी। इसमें आने वाले प्रतिनिधित्व के आधार पर ही एससी-एसटी को आरक्षण का लाभ मिल सकेगा। जैसे किसी साल एससी का 5 प्रतिशत तो किसी साल 20 प्रतिशत प्रतिनिधित्व आया तो उन्हें उतना ही आरक्षण प्रमोशन में मिलेगा। यही फामूर्ला एसटी पर भी लागू होगा। पुराने पदोन्नति नियम में एससी को 16 और एसटी को 20 प्रतिशत आरक्षण प्रमोशन में दिया जाना पहले से ही तय रहता था। अब नए नियमों में हर साल आरक्षित वर्ग की गणना कर उनका प्रतिनिधित्व तय कर आरक्षण की हिस्सेदारी तय की जाएगी। इस मामले में भी विधि विभाग ने पहले कड़ी आपत्ति जताई थी। दरअसल हाईकोर्ट ने 30 अप्रैल 2016 को राज्य सरकार के 2002 के भर्ती नियमों से लागू आरक्षण रोस्टर को रद्द कर इन नियमों के हिसाब से दी गई पदोन्नतियां निरस्त करने को कहा था। सरकार इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चली गई थी , जिसकी वजह से यह मामला लंबित है।