कैबिनेट और निगम मण्डल में होगा बड़ा परिवर्तन

मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। प्रदेश में इस साल के अंत में होने


वाले विधानसभा चुनाव में एंटीइनकंम्बेसी की संभावनाओं को देखते हुए अब मंत्री मंडल का चेहरा बदलने की कवायद शुरु हो गई है। इस कयास को बल मिलने की वजह है बीते रोज भाजपा व संघ के बीच समन्वय की भूमिका निभा रहे पूर्व सरकार्यवाह सुरेश सोनी और मुख्यमंत्री के बीच लंबी मंत्रणा का होना। इसके साथ ही प्रदेश में जल्द ही कई महत्वपूर्ण पदों पर राजनैतिक नियुक्तियों की भी घोषणा किए जाने की संभावनाएं हैं। यह मंत्रणा ऐसे समय हुई है , जब पार्टी हाईकमान प्रदेश में चुनाव की दृष्टि से मंत्रीमंडल पुनर्गठन के साथ ही राजनैतिक तौर पर होने वाली निगम मंडलों में नियुक्तियों को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को खुली छूट दे चुका है। दरअसल शिवराज मंत्रिमंडल में अभी 4 मंत्रियों की जगह खाली है। माना जा रहा है कि इन रिक्त पदों को भरने के साथ ही कुछ चेहरों में भी परिवर्तन किया जाएगा। इसमें जातिगत और क्षेत्रीय समीकरण साधने का प्रयास रहेगा। इसे सियासी तौर पर जरूरी माना जा रहा है। राष्ट्रीय कार्यसमिति के बाद इस मुद्दे पर भी सत्ता-संगठन को दिशा-निर्देश भी दिए गए हैं।
गौरतलब है कि इस समय सुरेश सोनी सीधे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमित शाह के सम्पर्क में हैं और वे समन्वय का काम देखते हैं। बीते रोज अचानक गुपचुप तरीके से सोनी भोपाल आए थे, वे यहां आकर सीधे सीएम हाऊस पहुंचे। वहां उनकी सीएम की लंबी मंत्रणा हुई है। सोनी के साथ बैठक के चलते गुरूवार को सीएम ने कई विधायकों के साथ होने वाला वन टू वन भी आगे बढ़ा दिया था। कल सोनी के साथ बैठक के बाद आज भी संगठन नेताओं के साथ सीएम की बैठक हो रही है, जिसे मंत्रिमंडल विस्तार के हिसाब से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। उधर, सोनी की संघ के पदाधिकारियों के साथ भी लंबी मुलाकात हो चुकी है।
दरअसल मध्यप्रदेश में नौ माह बाद विधानसभा चुनाव हैं, ऐसे में बीजेपी को अभी से लाव-लश्कर के साथ मैदान में उतरना होगा। इसलिए बीजेपी क्षेत्रीय, जातीय संतुलन के साथ ही निकाय चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने वाले विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह दे सकती है। सके पहले राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिव प्रकाश और क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल के दौरे के दौरान भी मंत्रिमंडल विस्तार पर मंथन हो चुका है। सूत्रों की मानें तो संगठन स्तर पर भी इसकी सहमति मिल गई है। ऐसे में शिवराज कैबिनेट का री शफल अगले महीने तक देखने को मिल सकता है।
सियासी नियुक्तियों पर भी मंथन
गुरूवार को चार नियुक्तियों के बाद अब ऐसा माना जा रहा है कि निगम – मंडल, प्राधिकरण और विभिन्न समितियों में खाली पदों पर जल्द ही नियुक्तियां कर दी जाएंगीं । इन नियुक्तियों को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और प्रदेश के संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा के बीच मंथन का लगातार दौर जारी है। मुख्यमंत्री ने हाल ही में विधानसभा चुनाव के संदर्भ में सभी 230 सीटों पर अलग-अलग सर्वे कराकर मंत्री-विधायकों से रूबरू चर्चा कर उन्हें मैदानी स्थिति से अवगत करा दिया था । बताया जा रहा है कि जिन सीटों पर भाजपा की स्थिति कमजोर है वहां पार्टी चुनाव की दृष्टि से विशेष रणनीति पर काम करेगी। पार्टी सूत्रों का कहना है कि 5 फरवरी से 20 फरवरी तक निकलने वाली विकास यात्रा के बाद सत्ता-संगठन के सामने पूरे प्रदेश का ताजा फीडबैक आ जाएगा। इसके बाद चुनावी रोडमैप पर नए सिरे से काम शुरू किया जाएगा। प्रदेश में अभी कई निगम- मंडलों में संचालक से लेकर अन्य पद रिक्त पड़े हैं। इसी तरह जिलों में दीनदयाल अंत्योदय समिति सहित अन्य कई विभागों से जुड़ी समितियों में भी पार्टी के नेता- कार्यकर्ताओं को एडजस्ट करने की कवायद की जा रही है।
इन निगम मंडलों में होनी हैं नियुक्तियां
प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद पौने तीन साल से रिक्त विकास प्राधिकरणों और निगम-मंडल के बचे हुए पदों पर नियुक्तियो का भाजपा कार्यकर्ताओं व नेताओं को इंतजार बना हुआ है। भोपाल विकास प्राधिकरण (बीडीए) के अलावा इंदौर विकास प्राधिकरण (आईडीए) में भी उपाध्यक्ष की नियुक्ति होनी है। बुंदेलखंड, महाकौशल समेत 14 और विकास प्राधिकरण हैं, जिनमें अध्यक्ष-उपाध्यक्ष के साथ सदस्यों की नियुक्तियां भी की जानी हैं। माना जा रहा है कि इन नामों की सूची तैयार कर ली गई हैै, सिर्फ अब उन पर अंतिम मुहर लगना बाकी है।
अब तक तीन बार हुआ है मंत्रिमंडल का विस्तार
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अलावा मंत्रिमंडल में 30 मंत्री मौजूद हैं, जबकि मंत्रिमंडल में सीएम सहित कुल मंत्रियों की संख्या 34 हो सकती है, इसलिए खाली 4 पदों को लेकर कई सीनियर विधायक कतार में हैं। मार्च 2020 में सरकार के गठन के 100 दिन बाद सीएम ने कैबिनेट में पहली बार अपने 5 सहयोगी मंत्रियों को जोड़ा था, जिनमें नरोत्तम मिश्रा, कमल पटेल, तुलसी सिलावट, गोविंद सिंह राजपूत और मीना सिंह शामिल थी। इसके बाद 2 जुलाई को 28 मंत्रियों ने एक बार फिर शपथ ली। जिसके बाद मंत्रियों की संख्या 33 हो गई थी।