मध्यप्रदेश में फैला साइबर ठगों का जाल

भोपाल/मनीष द्विवेदी। देश के विभिन्न राज्यों में सक्रिय साइबर


ठगों की निगाह मप्र के लोगों पर टिक गई है। यह ठग खासकर दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, बिहार और झारखंड के विभिन्न शहरों से अपना नेटवर्क चला रहे हैं। तमाम प्रयासों के बावजूद मध्यप्रदेश में साइबर ठगी की वारदातों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। साल 2023 का आंकड़ा तो बेहद चौकाने वाला है। तीन महीने में साइबर ठगी की शिकायतें 50 हजार के पार पहुंच गई हैं। भारत सरकार के पोर्टल में पहुंचने वाली शिकायतों को जोड़ दिया जाए, तो यह आंकड़ा सवा लाख के करीब पहुंच जाता है। यह वे शिकायतें हैं जिन्हें दर्ज किया गया है।
साल 2022 में मिली शिकायतों का आंकड़ा 86604 था। इंटरनेट और मोबाइल के मौजूदा दौर में साइबर ठगों की पहुंच अब हर उस व्यक्ति तक है, जो किसी न किसी लापरवाही को अंजाम दे रहा है। सोशल मीडिया मसलन वॉट्स ऐप, इंस्टाग्राम, फेसबुक समेत अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर दोस्ती कर लोगों को अपने जाल में फंसाने में ये साइबर ठग एक्सपर्ट हैं। साइबर विशेषज्ञों के मुताबिक सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर यूजर्स को सिक्यूरिटी फीचर्स का उपयोग करना चाहिए। इसके अलावा अनजान वीडियो कॉल को अटेंड करने से बचें। इसके बावजूद यदि साइबर ठग ब्लैकमेल करते हैं तो बगैर किसी हिचक के थाने में शिकायत करें। बता दें, साइबर ठग तीन अलग-अलग तरीकों से लोगों को अपना शिकार बनाते हैं।
सबसे ज्यादा वारदातें मार्च और अप्रैल में
जानकारों की माने तो सबसे ज्यादा वारदातें मार्च और अप्रैल में तब होती हैं, जब किसानों के खाते में राशि जमा होती है। त्योहारी सीजन और शादियों के समय में भी वारदातों में बढ़ोतरी होती है। ठगी से बचने का एक मात्र उपाय सतर्कता है। पुलिस के तमाम प्रयासों के बावजूद साल 2022 में ठगी गई राशि में रिकवरी मात्र 8 फीसदी की हो पाई है। इसलिए विशेषज्ञ सतर्कता बरतने की सलाह देते हैं। साइबर अपराधों में महिलाओं और बच्चों के साथ होने वाले अपराधों की संख्या भी ज्यादा है। इनमें पोर्न की शिकायतें भी शामिल हैं। पुलिस ने इसके लिए प्रयास भी किए हैं। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अभी हाल में साइबर पुलिस ने तकरीबन दस हजार मोबाइल सिमें कंपनियों के जरिए बंद कराई हैं। बंद होने वाली सिमें वे हैं, जो सत्यापन में फर्जी पाई गई थीं।
डिजिटल प्लेटफार्म के उपयोग से बढ़ी ठगी
प्रदेश में ठगी की वारदातें कोरोना संक्रमण के दौरान लगाए गए लॉकडाउन के बाद तेजी से बढ़ी हैं। ऐसा इसलिए कि लोगों ने खरीदी के लिए डिजिटल प्लेटफार्म का उपयोग करना शुरू किया था। कोरोना से पहले यानी साल 2019 में साइबर पुलिस को ठगी की कुल 4439 शिकायतें मिली थीं और 2020 में शिकायतें 32 हजार के पार हो गई थीं। साल 2022 में तो यह आंकड़ा 86 हजार के पार पहुंच गया। साल 2022 में 33 करोड़ रुपए से ज्यादा की ठगी हुई थी। मार्च 2023 तक ठगी की 50 हजार से ज्यादा शिकायतें साइबर पुलिस को मिल चुकी है।
बातों में उलझाकर पूछ लेते हैं ओटीपी
आमतौर पर बैंक व अन्य संस्थाएं लगातार किसी भी व्यक्ति से बैंकिंग संबंधी ओटीपी नंबर किसी भी सूरत में शेयर नहीं करने की सलाह देती हैं। बावजूद ठग इतने शातिर और अपडेट हो चले हैं कि वे संबंधित व्यक्ति का डाटा जुटाकर फोन काल पर इतनी जानकारी दे देते हैं कि उस पर भरोसा आसानी से हो जाता है और लोग ओटीपी शेयर कर देते हैं। इसके लिए वे बैंक में लेन-देन की गड़बड़ी या अन्य प्रकार की शिकायत, लोन प्रक्रिया के नाम पर ओटीपी भेजकर आपकी प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का हवाला देते हैं। ठगी की शिकायतों में 50 प्रतिशत से अधिक ऐसे ही मामले हैं, जिनमें ओटीपी शेयर करते ही खाते से राशि ट्रांसफर हो गई। इसके अलावा अलावा क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़ाने, लाटरी, बैंक केवायसी अपडेट कराने, बिजली कनेक्शन काटने का संदेश भेजकर, क्यूआर कोड, अश्लील वीडियो भेजकर रुपये मांगे जा रहे हैं। एडीजी साइबर क्राइम योगेश देशमुख का कहना है कि डिजिटल दुनिया को अपनाना अच्छा है, लेकिन उसके लिए सावधानियां बरतना भी बेहद जरूरी है। अगर सावधानी नहीं बरती गई, तो अज्ञात व्यक्ति आपका अपना बनकर आपके साथ धोखाधड़ी कर सकता है।