किले की राजनीति को… कड़ी चुनौती

भोपाल।मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। भाजपा में आने के बाद से

श्रीमंत कांग्रेस के निशाने पर बने हुए हैं। यही वजह है कि कांग्रेस जितनी मेहनत किले की राजनीति को चुनौती देने में कर रही है उतनी अन्य कहीं नहीं कर रही है। इसका प्रतिफल भी कांग्रेस को नगरीय निकाय चुनाव में मिल चुका है। अब प्रदेश में विधानसभा चुनाव में महज छह माह का समय रह गया है, ऐसे में कांग्रेस के एक और दिग्गज नेता पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह भी ग्वालियर -चंबल में सक्रिय हो गए हैं। दरअसल श्रीमंत और उनके समर्थक विधायकों द्वारा दलबदल किए जाने की वजह से ही डेढ़ दशक बाद सरकार में आयी कांग्रेस की कमलनाथ सरकार को असमय ही सत्ता
से बाहर होना पड़ा था। इसकी वजह से श्रीमंत लगातार कांग्रेस के निशाने पर बने हुए हैं। श्रीमंत के कांग्रेस में रहने के दौरान से ही किले की राजनीति के विरोधी रहे नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह पहले से ही चुनौती दे रहे हैं। ऐसे में अजय सिंह की सक्रियता इस इलाके में श्रीमंत और उनके समर्थक भाजपाईयों के लिए नई मुसीबत खड़ा कर सकती हैं। दरअसल पूरी कांग्रेस श्रीमंत के खिलाफ इस अंचल में एक जुट दिखाई दे रही है। यही वजह है कि एक के बाद एक नेता इस अंचल में दौरा करते ही रहते हैं। गौरतलब है कि इसके पहले जहां दिग्विजय सिंह खुद सक्रिय रह चुके हैं तो उसके बाद श्रीमंत के किले को भेदने के लिए उनके द्वारा अपने पूर्व मंत्री पुत्र जयवर्धन सिंह को भी सक्रिय किया जा चुका है। दिग्विजय सिंह का प्रभाव वाला इलाका किले के प्रभाव वाले क्षेत्र से लगा हुआ है जिसकी वजह से दिग्विजय सिंह का श्रीमंत के अंचल में अपना प्रभाव है। वैसे भी सिंह दो बार मुख्यमंत्री और एक बार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रह चुके हैं, जिसकी वजह से उनके अच्छे खासे समर्थक ग्वालियर -चंबल अंचल में हैं। यही वजह है कि श्रीमंत और उनके समर्थकों द्वारा कांग्रेस छोड़े जाने पर जब श्रींमत के प्रभाव वाले इलाकों में कांग्रेस का संगठन ही नहीं बचा था, तब दिग्विजय सिंह ने वहां पर मोर्चा सम्हालते हुए संगठन खड़ा कर दिया था। इसका परिणाम यह हुआ कि इस अंचल के सबसे बड़े शहर ग्वालियर व मुरैना जैसे अहम नगर निगमों में कांग्रेस को लंबे अंतराल के बाद जीत मिली। ग्वालियर में तो 57 साल कांग्रेस का महापौर और करीब दो दशक बाद मुरैना में पार्टी का महापौर बना। इस जीत के बाद जयवर्धन सिंह ने इशारों ही इशारों में श्रीमंत को पार्टी के लिए पनौति तक कह दिया था। उधर, कांग्रेस द्वारा की जा रही लगातार घेराबंदी के बीच श्रीमंत ने आज से अपने गृहक्षेत्र में डेरा डाल दिया है एवं चुनाव की बेला में अपने समर्थकों में जोश भरने में जुटे हैं।
श्रीमंत को गढ़ में ही कैद करने की तैयारी
कांग्रेस ने श्रीमंत के प्रभाव क्षेत्र में तगड़ी घेराबंदी की प्लानिंग की है। महल के प्रति आक्रामक रूख अपनाने वाली कांग्रेस की कोशिश है कि चुनाव के वक्त ग्वालियर चंबल में पार्टी के इतने दिग्गज नेता रणभूमि में उतार दिए जाएं कि श्रीमंत अपने गढ़ से बाहर ही नहीं निकल सकें। ग्वालियर चंबल में अभी तक दिग्विजय सिंह ही अपने राजनीतिक चिरप्रतिद्वन्दी से टक्कर ले रहे थे। उनके इस अभियान को गति देने जीतू पटवारी समेत उनके पुत्र पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह ने भी सघन दौरे किए ,लेकिन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने अब अजयसिंह को भी मैदान में उतार दिया है। अजय सिंह को ग्वालियर संभाग के तीन जिलों ग्वालियर, शिवपुरी और दतिया का प्रभारी बना कर चुनाव में अहम जिम्मेदारी दी गई है। माना जा रहा है कि ग्वालियर में श्रीमंत के खिलाफ कांग्रेस का अभियान अब अजयसिंह के नेतृत्व में ही चलेगा। सिंह ने जिले के कांग्रेस के तीन मौजूदा विधायकों डॉ सतीश सिकरवार, लाखन सिंह यादव व सुरेश राजे के विधानसभा क्षेत्रों में जाकर कार्यकर्ताओ से सीधा संवाद कर पूरी तरह से सक्रिय हो गए हैं। इस दौरान वे यह बताना नहीं भूलते हैं कि ग्वालियर में कांग्रेस श्रीमंत के एकाधिकारिक वर्चस्व से मुक्त हो गई है और इस बार कांग्रेस के जमीनी कार्यकर्ताओं के हितों को दमित करने व पार्टी में ही भीतरघात करने वाली कोई ताकत नहीं है। साफ जाहिर है कि अजय सिंह ऐसे राजनीतिक कटाक्ष कर ग्वालियर क्षेत्र में कांग्रेस के कभी एकछत्र छत्रप रहे वरिष्ठ नेता पर सीधा निशाना साध रहे हैं। दरअसल, इस बार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस श्रीमंत के लिए कोई जगह नहीं छोडऩे की रणनीति पर काम कर रहे कमलनाथ यह भली जानते हैं कि महल की सियासी घेराबंदी के लिए अजय सिंह से अच्छा नेता और कोई नहीं है। दरअसल अजय सिंह और श्रीमंत के बीच राजनैतिक प्रतिद्धंदिता उनके पिताओं के समय से बनी हुई है। यही वजह है कि कमलनाथ ने इसे देखते हुए पहले अजय सिंह के करीबी महेन्द्र सिंह चौहान को ग्वालियर का प्रभारी बनाया था और उसके बाद अब अजय सिंह को वहां का सर्वेसर्वा बनाया है।
जयवर्धन रहते हैं हमलावर
पूर्वमंत्री जयवर्धन सिंह जब भी ग्वालियर में होते हैं , तब वे श्रीमंत पर पूरी तरह से हमलावर नजर आते हैं। कुछ दिनों पहले जब वे दौरे पर गए थे तब उन्होनें हमला बोलते हुए कहा था कि जब से सिंधिया भाजपा में आए हैं, भाजपा तीन भागों में बंट गई है। एक है-शिवराज भाजपा, उसके बाद महाराज भाजपा और तीसरी है- नाराज भाजपा। आप सब खुद ही देख रहे हैं कि सिंधिया के जाने से कांग्रेस में गुटबाजी खत्म हो गई है और भाजपा में बढ़ गई है।
महल खेमा भी बरत रहा सर्तकता
हाल ही में अजय सिंह तीन दिनों तक महल के इलाके में डेरा डाले रहे हैं। इस दौरान उनके द्वारा कार्यकर्ताओं में चुनाव के लिए जोश भरने का काम किया गया है। उनके लौटते ही अब श्रीमंत भी अपने किले की सियासत को बचाए रखने के लिए तीन दिन के प्रवास पर ग्वालियर आ चुके हैं। वे ग्वालियर में रहने के बाद अपने पुराने संसदीय क्षेत्र के शिवपुरी, गुना व अशोकनगर में अपने समर्थकों व पार्टी कार्यकर्ताओं से मुलाकात कर उन्हें चुनावी तैयारियों के लिए गुर बताएंगे।
कांग्रेस में यह परिपाटी रही है कि इनके नेता अपनी ही पार्टी के भीतर अपना खुद का राजनीतिक वर्चस्व कायम करने के लिए काम करते हैं। अजयसिंह के दौरे का मकसद भी उनके अपने गुट को मजबूती देना हो सकता है, वैसे भी यही खबरें आ रही हैं कि कांग्रेस के तमाम बड़े नेताओं ने उनके कार्यक्रमों से दूरी बनाए रखी। -आशीष अग्रवाल, प्रदेश मीडिया प्रभारी, भाजपा
इन तीन दिनों में अजयसिंह ने कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में जोश भरा है। भाजपा को यह समझ जाना चाहिए कि हमारी पार्टी पूरी ताकत से चुनाव मैदान में उतर चुकी है। अभी तो अजयसिंह ही आए हैं, मार्च 2020 के गद्दारों का असली चेहरा बेनकाब करने के लिए कांग्रेस के बड़े नेताओं का आगमन यहां हो रहा है।
– धर्मेंद्र शर्मा, संभागीय प्रवक्ता, कांग्रेस