भोपाल/मंगल भारत। साल के अंत में होने वाले विधानसभा
चुनाव के पहले प्रदेश में शिवराज सरकार सहकारिता का दायरा बढ़ाने जा रही है। इसके लिए पांच हजार नई प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियां खोली जाएंगी। इनका गठन सितंबर तक करने का लक्ष्य तय किया गया है। खास बात यह है कि किसी भी समिति में तीन से अधिक पंचायतें शामिल नहीं की जाएंगी। इससे ग्रामीणों और किसानों को खाद्यान्न या खाद-बीज लेने के लिए अधिक दूर नहीं जाना होगा। फिलहाल प्रदेश में चार हजार 543 प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियां हैं। इनसे 50 लाख से अधिक किसान जुड़े हैं। केंद्र सरकार ने प्रत्येक पंचायत में सहकारी समिति के गठन का सुझाव दिया था। सहकारिता विभाग के अधिकारियों का कहना है कि 23 हजार पंचायतों में समिति का गठन संभव नहीं है, लेकिन यह तय किया जाएगा कि एक समिति में तीन से अधिक पंचायत न हो। इसके लिए पांच हजार समितियां गठित की जाएंगी। इन्हें मिलकार प्रदेश में साख सहकारी समितियों की संख्या नौ हजार 543 हो जाएंगी। समिति के गठन का आधार न्यूनतम एक हजार किसानों की सदस्यता और दो से तीन करोड़ रुपये का कुल कारोबार रहेगा। समिति ही अपने कर्मचारियों का वेतन का खर्च निकालेगी। नई समिति के गठन के लिए वर्तमान समिति प्रस्ताव पारित करेंगी और दावे-आपत्ति बुलाकर क्षेत्र का निर्धारण करेंगी। मुख्यालय ऐसे स्थान पर रखा जाएगा, जो सबकी पहुंच में हो।
बहुउद्देश्यीय दुकानों का होगा संचालन
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि समितियों को अपनी आय बढ़ाने के लिए उचित मूल्य की राशन दुकान को बहुउद्देश्यीय दुकान के संचालन का अधिकार दिया जाएगा। कृषि अधोसंरचना निधि के माध्यम से ऋण दिलाकर समिति को प्रसंस्करण, भंडारण आदि क्षेत्र से भी जोड़ा जा सकता है। इसी तरह जैविक उत्पादों की ब्रांडिंग, मार्केटिंग का काम भी समितियों का दिया जा सकता है।
नए लोगों को मिलेगा मौका
समितियों के गठन से नए लोगों को इस क्षेत्र में मौका मिल सकेगा। प्रत्येक समिति में 15 सदस्य रहेंगे। इनमें से ही समिति का अध्यक्ष और जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के लिए प्रतिनिधि चुना जाएगा। ये जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के संचालक बनाने के लिए भी पात्र होंगे। इनमें से ही राज्य सहकारी बैंक के लिए प्रतिनिधि चुने जाएंगे।
सहकारी समितियों का काम
खरीफ और रबी फसलों के लिए खाद-बीज सहित अन्य सामग्री समितियों से किसानों को दिया जाता है। खेती की लागत घटाने के लिए ब्याज रहित कृषि ऋण भी समितियों के माध्यम से दिया जाता है। खाद के अग्रिम भंडारण के साथ गेहूं, धान, चना, सरसों, मूंग आदि फसलों का समर्थन मूल्य पर उपार्जन का काम भी समितियां करती हैं।