विधायकों और सांसदों की न सुनने वाले अफसरों पर गिरेगी गाज.
भोपाल/मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। मंत्रालय के अधिकारी हों या कलेक्टर-पुलिस अधीक्षक उन्हें जनता द्वारा चुने हुए जनप्रतिनिधियों का भरपूर सम्मान करना पड़ेगा। चुनावी साल में सरकार विधायकों और सांसदों के सम्मान को लेकर सख्त होने जा रही है। गौरतलब है सत्ता और संगठन के पास लगातार शिकायत पहुंच रही हैं की अधिकारी विधायकों और सांसदों की नहीं सुनते हैं। इससे सत्तारूढ़ पार्टी के माननीयों में आक्रोश है और असंतोष फैल रहा है। इसको देखते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी सख्त नजर आ रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि जल्द ही प्रदेशभर के अफसरों को फरमान जारी किया जाएगा की वे माननीयों का भरपूर सम्मान करें। ऐसा न करने वाले अफसरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सकती है।
दरअसल चुनाव करीब आते ही भाजपा विधायकों को अपने क्षेत्र में चल रहे विकास और अन्य कामों की चिंता सताने लगी है। इसे लेकर लगातार अफसरों से भी बात कर रहे हैं ,पर कई अफसरों से उनकी पटरी नहीं बैठ पा रही है, क्योंकि उन्हें पार्टी के ही अन्य विधायकों का समर्थन है। ऐसे में अफसरों और अपनों की उपेक्षा के कारण भाजपा में असंतोष बढ़ रहा है। इस कारण भाजपा नेताओं में रार भी बढ़ गई है। भाजपा के जनप्रतिनिधियों में चल रही रार का हल सीएम हाउस से निकाला जाएगा। मुख्यमंत्री निवास से जिले के आला अफसरों को यह संदेश जाएगा कि वे सभी जनप्रतिनिधियों से मिलें और उनकी बात सुनें। जो काम संभव हो उन्हें भी तत्काल करने का प्रयास करें। जिससे विधायकों को शिकायत का मौका न मिले। सूत्रों की मानें तो सीएम इन दिनों विधायकों और जिलों के नेताओं से लगातार मिल रहे हैं। शासकीय कामों से जब भी उन्हें फुर्सत मिलती है वे सुबह और शाम का समय जनप्रतिनिधियों और पार्टी कार्यकर्ताओं को देते हैं।
सीएम के पास पहुंच रही हैं शिकायतें
जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री से मुलाकात के दौरान कुछ जिले के विधायकों ने शिकायत की थी कि जिले में अफसर विधायकों को समान महत्व नहीं देते। कुछ विधायकों को ज्यादा तबज्जो दी जा रही है और उनकी बात भी अफसर ज्यादा सुनते हैं। ऐसी शिकायतें कई जिलों के विधायकों की थी। विंध्य अंचल के एक बड़े जिले के भाजपा विधायकों ने सीएम से शिकायत की थी कि उनके जिले में कलेक्टर, एसपी समेत अन्य अधिकारी सबसे पहले एक विधायक की ही बात सुनते हैं। इससे हमारे काम पीछे हो जाते हैं। इसी तरह की शिकायत बुंदेलखंड के भी एक बड़े जिले से आई थी। जबलपुर के विधायकों ने एक सीनियर लीडर की उनसे ज्यादा चलने की शिकायत करते हुए कहा था कि उनकी बात अफसर ज्यादा सुनते हैं। पिछले दिनों प्रदेश अध्यक्ष और संगठन महामंत्री से भी कुछ विधायकों ने इसी तरह की शिकायत की थी। इसमें कुछ ग्वालियर-चंबल अंचल के भी विधायक शामिल थे। अब सीएम हाउस से अधिकारियों को यह कहा जाएगा कि वे हर विधायक को पर्याप्त महत्व दें और उनके काम प्राथमिकता के आधार पर करें। उधर, जनप्रतिनिधियों और जिले के संगठन पदाधिकारियों के बीच समन्वय बनाने भाजपा जल्द ही समन्वय बैठकें आयोजित करेगी। इसमें संगठन के बड़े नेता हिस्सा लेंगे। बैठक में प्रदेश संगठन से नेता जाकर विधायकों और संगठन नेताओं को आपस में साथ बैठाकर उनके मतभेद दूर करवाएंगे। हालांकि क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल और प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव अधिकांश जिलों का फेरा कर चुके हैं ,पर कई जगह संगठन में विवाद पूरी तरह नहीं सुलझ पाए हैं। बताया जाता है कि जिन जिलों में ज्यादा विवाद हैं ,वहां प्रदेश अध्यक्ष खुद हस्तक्षेप कर विवाद सुलझाएंगे।
देना होगा पूरा सम्मान
बताया जाता है की अफसरों को निर्देश दिया जाएगा कि सरकारी कार्यालयों और सार्वजनिक कार्यक्रमों में प्रशासनिक अधिकारी न केवल कुर्सी छोडक़र जनप्रतिनिधियों का स्वागत करेंगे, बल्कि वापसी में उन्हें पूरे सम्मान के साथ गाड़ी तक पहुंचाएंगे। इसके अलावा हर सवाल का जवाब पूरी सभ्यता से देंगे और जानकारी नहीं दे पाने की सूरत में इसकी ठोस वजह बताएंगे। इसके अलावा उन्हें उचित सुझावों पर भी अमल करना होगा। अफसरों द्वारा सांसद-विधायकों के फोन नहीं उठाने की शिकायतें आम हैं। इसी तरह प्रोटोकॉल के उल्लंघन और संतोषजनक व्यवहार नहीं होने की शिकायतें बढ़ी हैं। निर्देशों में साफ कहा जाएगा कि दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने वालों पर सरकार एक्शन लेगी। सभी अफसरों को हिदायत दी जाएगी कि जनप्रतिनिधियों को पूरी इज्जत के साथ उन्हें मांगी गई तमाम जानकारी उपलब्ध कराएं। हर हाल में सांसद और विधायकों का फोन उठाएं और व्यस्त होने की स्थिति में एसएमएस के जरिए तुरंत उन्हें इसकी जानकारी दें। माननीयों के सभी अनुरोधों को ध्यानपूर्वक सुना जाए। जिस भी संसदीय क्षेत्र में कोई प्रोग्राम हो तो वहां के सांसद को जरूर बुलाएं और उन्हें सुविधाजनक सीट दें। अगर किसी सांसद का निर्वाचन क्षेत्र दो जिले में पड़ता है तो अधिकारी दोनों जिलों में सांसद को बुलाएं।
भारी पड़ेगा नजरअंदाज करना
चुनावी साल में सरकार का पूरा फोकस विकास पर है। ऐसे में जिला प्रशासन अब स्थानीय सांसद-विधायक को नजरअंदाज नहीं कर सकेगा। उन्हें न केवल उनकी बात सुननी होगी, बल्कि समाधान भी करना होगा। इसके लिए प्रदेश स्तर से सभी जिलों को एक लाइन का निर्देश दिया जाएगा। इस पर मुख्यमंत्री आवास स्थित कार्यालय में देर रात वरिष्ठ नेताओं के साथ हुई मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की बैठक में सहमति बनी। उल्लेखनीय है कि सागर जिले में प्रशासनिक स्तर पर सुनवाई न होने को लेकर मंगलवार को स्थानीय मंत्रियों, विधायक और जिला अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और संगठन महामंत्री से मुलाकात की थी। सूत्रों के अनुसार केंद्रीय नेतृत्व के निर्देश पर केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल और राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय बैठक में शामिल हुए। इस दौरान स्थानीय स्तर पर प्रशासन द्वारा कुछ व्यक्तियों की ही सुनवाई करने, सांसद-विधायक और वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को नजरअंदाज करने की शिकायतों का समाधान निकालने पर चर्चा की गई। तय किया गया कि जिला प्रशासन को स्पष्ट निर्देश दिए जाएंगे कि वे किसी को नजरअंदाज न करें। पूरा मान-सम्मान दें और समस्या का समाधान भी करें। एक पक्षीय व्यवस्था नहीं चलेगी। बैठक में इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नौ साल पूरे होने पर 30 मई से प्रारंभ होने वाले महासंपर्क अभियान और आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर भी चर्चा की गई। बैठक में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा और संगठन महामंत्री हितानंद उपस्थित थे।