एक बार फिर से शुरू हुई मंत्रिमंडल विस्तार की सुगबुगाहट

भोपाल/मंगल भारत। विधानसभा चुनाव से छह माह पहले एक


बार फिर से प्रदेश में शिव मंत्रिमंडल के विस्तार की सुगबुगाहट तेज हो गई है। इस चर्चा को बल बीते रोज तब मिला है, जब एक साथ प्रदेश के तीन दिग्गज नेता मुख्यमंत्री से लेकर राज्यपाल से मिलने विशेष विमान से भोपाल से आए।
इस दौरान इन नेताओं की राज्यपाल के अलावा मुख्यमंत्री से काफी देर तक अकेले में बात हुई है। दरअसल इन दिनों भाजपा के जनप्रतिनिधियों से लेकर कार्यकर्ताओं तक में नाराजगी की बात सामने आ रही है। इसकी वजह है उन्हें सत्ता में भागीदारी नहीं मिलना और अफसरों द्वारा उनकी बात नहीं सुनना है। लगभग यही हाल मंत्रिमंडल का है। दरअसल मंत्रिमंडल में क्षेत्रीय और जातीय असंतुलन भी बना हुआ है जिसकी वजह से प्रदेश के विंध्य और महाकौशल अंचल में भी नाराजगी बनी हुई है। यही वजह है कि अब कहा जा रहा है कि विधायकों और पार्टी के कुछ नेताओं की नाराजगी को समाप्त करने के लिए मंत्रिमंडल का विस्तार जल्द ही किया जा सकता है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार परफार्मेंस के आधार पर कुछ मंत्रियों को हटाने की भी तैयारी की जा रही है और कुछ के विभाग भी बदले जा सकते हैं। जातीय और क्षेत्रीय समीकरण साधने मंत्रियों की संख्या में इजाफा भी किया जा सकता है। फिलहाल शिवराज मंत्रिमंडल में 30 मंत्री हैं। मंत्रिपरिषद में अभी भी 4 पद खाली हैं। यानी 4 विधायकों को और मंत्री बनाया जा सकता है। दरअसल विंध्य प्रदेश का वह अंचल है ,जहां पर भाजपा ने एक तरफा जीत हासिल की थी, लेकिन जब मंत्री बनाने का मौका आया तो इस अंचल से एक ही विधायक को मंत्री बनने का मौका मिला । यह बात अलग है कि बाद में विधानसभा अध्यक्ष का पद भी इसी अंचल को दिया गया। गौरतलब है कि पिछले तीन माह में पार्टी हाईकमान ने मप्र के प्रभारी और सह संगठन मंत्री सहित अपने सूत्रों से मप्र की जमीनी हकीकत का मूल्यांकन करा लिया है। इस दौरान प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने मप्र के दौरे भी किए हैं। इसके बाद ही मंत्रिमंडल में फेरबदल के संकेत दे दिए गए थे।
कई मंत्रियों को लेकर जमीनी स्तर पर नाराजगी
राज्य में सत्ता और संगठन के जमीनी स्तर से जो फीडबैक आया है, वह साफ इशारा कर रहा है, कि अगर पार्टी में बड़े बदलाव नहीं किए गए तो इसी साल के अंत में होने वाले विधानसभा के चुनाव पार्टी के लिए आसान नहीं रहने वाले। पार्टी के सर्वे और फीडबैक में राज्य सरकार के कई मंत्रियों को लेकर जमीनी स्तर पर नाराजगी देखी जा रही है। बताया जा रहा है कि उनका रिपोर्ट कार्ड नकारात्मक आ रहा है। इसी के चलते मंत्रिमंडल में फेरबदल के आसार बने हुए हैं। सूत्रों का कहना है कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजे के बाद भी मप्र विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशी तय करने की रणनीति को अंतिम रूप दिया जाएगा। जिसका असर मंत्रिमंडल में भी दिखेगा। जिन मंत्रियों की छुट्टी होनी है, उसकी बड़ी वजह उनके खिलाफ आ रही शिकायतें हैं। जनता में असंतोष है तो वहीं प्रभार वाले जिलों में उन मंत्रियों ने ज्यादा रुचि नहीं ली है।