कथा और बाबाओं के सहारे मतदाताओं को लुभा रहे नेता

चुनावी नैया पार करने सत्ता पक्ष विपक्ष के नेताओं का दांव.

भोपाल/मनीष द्विवेदी। मंगल भारत। चुनावी साल में मतदाताओं को लुभाने के लिए नेता तरह-तरह के जतन कर रहे हैं। राज्य में चाहे सत्तारूढ़ भाजपा के नेता हों या विपक्षी दल कांग्रेस के, दोनों के नेता कथा-भागवत, भंडारे और तीर्थ दर्शन जैसे आयोजनों के जरिए मतदाताओं के बीच पैठ बना रहे हैं। वर्तमान में जिन बाबाओं को लोग अधिक पसंद कर रहे हैं ,उनकी कथा कराने की होड़ सी मची हुई है। भव्य धार्मिक समारोहों के आयोजन के पीछे ‘संस्कारों को बढ़ावा देने’ से लेकर ‘कार्यकर्ताओं को संगठित करने’ तक के तमाम कारण गिनाए जा रहे हैं। वैसे तो मतदाताओं को लुभाने के लिए रैलियों और भाषणों का आयोजन एक आम बात है, लेकिन आजकल नेता धार्मिक आयोजनों का सहारा ले रहे हैं। सीहोर के पं. प्रदीप मिश्रा और बागेश्वर धाम के प्रमुख धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की कथा के एक भव्य आयोजन पर 50 लाख से एक करोड़ रुपए तक का खर्च आता है। यह बात अलग है कि जनता जनार्दन नेताओं को चुनाव में तथास्तु कहती है या नहीं, यह आने वाला वक्त बताएगा।
दरअसल,बदलते दौर में अब राजनेताओं ने सियासत में धर्म का तडक़ा लगाने की नई जुगत बैठा ली है। यही वजह है कि साल के अंत में होने जा रहे विधानसभा चुनाव की बैतरणी पार करने के लिए नेता कथा के भव्य पंडाल सजा रहे हैं। पिछले कुछ महीनों से मंत्री, विधायकों द्वारा शिवपुराण, श्रीमद्भागवत कथा और श्रीराम कथा के भव्य आयोजनों के जरिए अपने-अपने क्षेत्रों में मतदाताओं को साधने के प्रयास शुरू हो गए हैं। कथा का आयोजन कराने वालों में भाजपा व कांग्रेस दोनों दलों के नेता शामिल हैं।
सावन में धार्मिक आयोजनों की झड़ी
इस बार सावन के दो माह के अंदर धार्मिक आयोजनों की झड़ी लगी रही। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ छिंदवाड़ा में 5 से 7 अगस्त तक बागेश्वर धाम के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की कथा करा चुके हैं। छिंदवाड़ा के सिमरिया में लगाए गए दिव्य दरबार में लाखों की संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए। कांग्रेस विधायक सचिन यादव 2 से 7 अगस्त तक अपने विस क्षेत्र में आस्था यात्रा निकाल चुके हैं। 92 किमी लंबी यह यात्रा 37 गांवों से होकर गुजरी। यात्रा में उनके भाई पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव समेत बड़ी संख्या में क्षेत्र के लोग शामिल हुए। मंत्री नरोत्तम मिश्रा दतिया में पार्थिव शिवलिंग का निर्माण कराया। पूरे विधानसभा क्षेत्र से आए श्रद्धालुओं की अगवानी खुद मंत्री मिश्रा ने की।
लोक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव ने हाल में गढ़ाकोटा में पार्थिव शिवलिंग निर्माण का आयोजन किया। इसमें रहली विधानसभा क्षेत्र के घर-घर से श्रद्धालुओं को आमंत्रित किया गया। राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि देश अगर हमेशा चुनावी मोड में रहेगा, तो धार्मिक और जातिगत मुद्दे छाए ही रहेंगे। ये अलग बात है कि सैद्धांतिक तौर से चुनाव में धार्मिक और जातिगत मुद्दों पर वोट मांगना या वोटों का ध्रुवीकरण करना, न तो संविधान के हिसाब से मान्य है, न ही चुनावी कानूनों और आदर्श आचार संहिता के हिसाब से। हालांकि जमीनी हकीकत कुछ और ही है। भारत में 1951-52 के पहले चुनाव से ही कम या ज्यादा धार्मिक ध्रुवीकरण के प्रयास होते रहे हैं। चुनाव में धार्मिक प्रतीकों और पहचान के इस्तेमाल की प्रवृति कुछ सालों में तेजी से बढ़ी है। चुनाव दर चुनाव इस प्रवृत्ति में वृद्धि ही हो रही है।
मंत्री-विधायक सभी को धर्म का आसरा
प्रदेश में पिछले एक साल से जिस तरह का धार्मिक माहौल देखने को मिला है, उससे तो यह बात साफ कि मंत्री हो या विधायक सभी को इस चुनाव में धर्म का आसरा है। प्रदेश में कथा और धार्मिक अनुष्ठानों के आयोजनों का सिलसिला साल भर से चल रहा है। इंदौर में भाजपा विधायक रमेश मेंदोला, कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी और कांग्रेस विधायक संजय शुक्ला अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों में पं. प्रदीप मिश्रा की शिव पुराण की कथा करा चुके हैं। इन कथाओं में मंत्रियों, विधायकों समेत भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे थे। गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने दतिया में बागेश्वर धाम के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के मार्गदर्शन में पार्थिव शिवलिंग का निर्माण कराया था। हाल में चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने अपने विधानसभा क्षेत्र में पं. प्रदीप मिश्रा की कथा कराई थी। पिछले महीनों में कृषि मंत्री कमल पटेल हरदा में जया किशोरी की श्रीमदभावगत कथा, लोक निर्माण मंत्री गोपाल भार्गव अपने गृह नगर गढ़ाकोटा में, नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह अपने विधानसभा क्षेत्र खुरई में और कांग्रेस विधायक निलय डागा अपने विधानसभा क्षेत्र बैतूल में कथा के भव्य आयोजन करा चुके हैं। जैसे-जैसे प्रदेश में विधानसभा चुनाव की तारीख नजदीक आती जा रही है, टिकट के दावेदारों की धार्मिक आस्था भी बढ़ती जा रही है। चुनाव में टिकट पाने की चाहत रखने वाले नेता भी सावन में धार्मिक, आयोजन कराने में पीछे नहीं हैं। इन आयोजनों का सोशल मीडिया पर लाइव प्रसारण किया जा रहा है, ताकि आयोजन में उमड़ रही भीड़ के जरिए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को क्षेत्र में अपनी पकड़ का अहसास कराया जा सके।
बाबा भी कर रहे नेताओं की ब्रांडिंग
नेता केवल धार्मिक आयोजन ही नहीं करा रहे हैं, बल्कि बाबाओं के माध्यम से अपनी ब्राडिंग भी करा रहे हैं। आयोजन के दौरान कथावाचकों की ओर से यजमान के रूप में पंडाल में बैठे मंत्री, विधायकों को धर्मप्रेमी बताकर उनकी तारीफ के पुल बांध दिए जाते हैं, जिसका पंडाल में बैठे श्रद्धालुओं के मन-मस्तिष्क पर गहरा असर पड़ता है। चुनाव से ठीक पहले सावन के दो महीने तो मानो नेताओं के लिए किसी सौगात से कम नहीं है। -पार्थिव शिवलिंग निर्माण करवा रहे हैं, शिवार्चन किए जा रहे हैं और कांवड़ यात्राएं निकाली जा रही हैं। इन आयोजनों में बड़ी संख्या में क्षेत्र के लोगों को आमंत्रित किया जा रहा है। चुनाव में टिकट के दावेदार भी धार्मिक आयोजन कर भीड़ जुटा रहे हैं। उधर, नेताओं द्वारा किया जा रहा कथा का आयोजन कथावाचकों को भी खूब रास आ रहा है। अव्वल तो यह कि कथा के लिए स्टेज, पंडाल से लेकर अन्य व्यवस्थाएं आला दर्जे की रहती हैं और दूसरा, नेताओं के रसूख और प्रचार-प्रसार पर पानी की तरह पैसा बहाए जाने से आयोजनों में भारी संख्या में भीड़ जुटती है। कथा में श्रद्धालुओं की संख्या लाखों में पहुंच जाती है, जिससे कथा वाचकों की ख्याति देश-दुनिया में तेजी से बढ़ रही है।