अफसर लगा रहे संविदा कर्मचारियों का भविष्य दांव पर

भोपाल/मंगल भारत। भले ही सरकार संविदा कर्मचारियों को


नियमित कर्मचारियों की तरह सुविधाएं देने की घोषणा कर चुकी है , लेकिन अफसर इससे वास्ता नहीं रखते हैं। शायद यही वजह है कि सरकार की इस घोषणा पर कुछ विभागों द्वारा अमल करने की शुरुआत तक नहीं की जा रही है। इसकी वजह से माना जा रहा है कि कुछ विभागों के संविदा कर्मचारियों का सरकार के नियमित कर्मचारियों की तरह सुविधाएं मिलने का सपना अधूरा ही रह सकता है। दरअसल कई विभागों के आला अफसरों की सोच इन कर्मचारियों को लेकर बेहद नकारात्मक बनी हुई है। इसकी वजह से सामान्य प्रशासन और वित्त विभाग के अफसर दूसरे नियमित अमले के पदों के अनुरूप इनको संविदा कर्मचारी मानने को ही तैयार नहीं हैं। इसकी वजह से प्रदेश के कई सरकारी विभागों में काम करने वाले हजारों संविदा कर्मचारियों का भविष्य ही दांव पर लग गया है।
हद तो यह है कि इस मामले में कर्मचारी कल्याण समिति को कोई भी जानकारी तक नहीं है। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा की गई घोषणा पर अमल करने के लिए विभागों द्वारा भेजे गए प्रस्तावों पर संविदा कर्मचारियों के वेतन निर्धारण का काम किया जा रहा है। अगर सूत्रों की मानें तो इस मामले को लेकर अब तक सामान्य प्रशासन और वित्त विभाग के अफसरों के बीच करीब दो माह में तीन दर्जन से अधिक बैठकें हो चुकी हैं, जबकि मुख्य सचिव की अध्यक्षता में भी एक दर्जन से अधिक बैठकें हो चुकी हैं। इसके बाद भी अब तक संविदा कर्मचारियों का वेतन का निर्धारण का मामला जस का तस अटका हुआ है। बताया जाता है कि जिम्मेदारों ने महिला बाल विकास विभाग के मिशन वात्सल्य यानी एकीकृत बाल संरक्षण परियोजना व बाल बिहार, एनव्हीडीए अपीलीय बोर्ड, नगरीय प्रशासन विभाग, पशुपालन विभाग के कुक्कुट विभाग के साथ तकनीकी विश्वविद्यालय के कर्मचारियों को संविदा नीति का लाभ देने से ही साफ मना कर दिया है। इतना ही नहीं इन संस्थाओं ने विभागों को भी अपनी आपत्तियों तक की जानकारी नहीं दी है। बताया जाता है कि इन विभागों में करीब दस हजार संविदा कर्मचारी पदस्थ हैं, जिनका भविष्य अब दांव पर लगना तय माना जा रहा है। हद तो यह है कि यह मामला ऐसे समय सामने आया है जबकि मंत्री स्थापना में कार्यरत कर्मचारियों को आयोजित एक परीक्षा के माध्यम से नियुक्ति दी जा रही है। वहीं दूसरे विभागों में कार्यरत कर्मचारियों को इसका लाभ तक नहीं दिया जा रहा है।
नहीं बुलाया जाता कर्मचारी संस्थाओं को
संविदा कर्मचारियों का वेतन निर्धारण तथा समकक्षता निर्धारण सहित दूसरे मामलों में फैसला करने के लिए सरकार द्वारा समिति तो गठित कर दी गई है , लेकिन उसमें कर्मचारियों की प्रतिनिधि संस्था कर्मचारी कल्याण समिति को शामिल ही नहीं किया गया है, जिसकी वजह से इन बैठकों में क्या हो रहा है इसकी जानकारी तक समिति को नहीं होती है। उधर, कहा जा रहा है कि नई संविदा नीति का लाभ जहां कई कर्मचारियों के लिये फायदे वाली रहने वाली है तो कई के लिए वह नुकसानदायक भी। समिति ने संविदा कर्मचारियों का अधिकतम वेतनमान 1900 से लेकर 4200 के बीच तय किया है जबकि कुछ कर्मचारी तो पहले से ही 6600 से लेकर 5400 ग्रेड-पे का वेतन पा रहे हैं। इसकी वजह से इन कर्मचारियों को नुकसान होना भी तय है।