आधी आबादी को साधने की कवायद.
पिछले वर्ष हुए मप्र विधानसभा चुनाव में महिला मतदाताओं की भूमिका ने मतदान प्रतिशत में वृद्धि का रिकॉर्ड कायम किया था। महिला वोटरों ने इस चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाई थी। कुछ विधानसभा क्षेत्रों में पुरुषों के मुकाबले महिला मतदाताओं की संख्या अधिक थी। इसको देखते हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस का सबसे अधिक फोकस महिला मतदाताओं पर है। प्रदेश की 2,72,33,945 महिला मतदाताओं को साधने के लिए भाजपा ने लखपति दीदी तो कांग्रेस ने महालक्ष्मी योजना का दांव चला है।
मप्र में महिला मतदाताओं की संख्या बढ़ी है। महिलाओं की बढ़ती संख्या के बीच राजनीति भी महिला केंद्रित होती जा रही है। इसमें भाजपा आगे है। विधानसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की महिला प्रधान योजनाएं गेम चेंजर साबित हुईं। खासतौर पर लाड़ली बहना योजना ने भाजपा की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसको देखते हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा-कांग्रेस की प्रदेश की आधी महिला आबादी पर नजर है। प्रदेश अध्यक्ष भाजपा महिला मोर्चा माया नरोलिया का कहना है कि केंद्र सरकार महिला कल्याण की दिशा में लगातार काम कर रही है। भाजपा के संकल्प यत्र में महिलाओं के लिए किए गए वादे आने वाले पांच साल में पूरे किए जाएगे। वहीं प्रदेश अध्यक्ष महिला कांग्रेस विभा पटेल का कहना है कि कांग्रेस ने हमेशा महिला हितों का ख्याल रखा है। न्याय पत्र-2024 में महिलाओं का जीवन बदलने कई प्रमुख घोषणाएं की गई है, जिन्हें सरकार बनने पर पूरा किया जाएगा।
नया चुनाव नई योजनाएं
लोकसभा चुनाव में भी प्रत्याशियों की हार-जीत में महिला मतदाताओं की प्रमुख भूमिका रहेगी। प्रदेश में पांच महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव में खासी चर्चा में रहीं लाड़ली बहना और नारी सम्मान योजना का शोर लोकसभा के चुनाव प्रचार से गायब है। हालांकि भाजपा ने लोकसभा चुनाव के लिए जारी अपने संकल्प पत्र और कांग्रेस के न्याय पत्र में महिला मतदाताओं के लिए अलग-अलग लुभावने वादे किए हैं। भाजपा के संकल्प पत्र में जहां तीन करोड़ लखपति दीदी और गांवों में महिलाओं को ड्रोन पायलट बनाने का वादा प्रमुख है, वहीं कांग्रेस के न्याय पत्र में हर गरीब परिवार की एक महिला को हर साल एक लाख रुपए देने के लिए महालक्ष्मी योजना शुरू करने का ऐलान प्रमुखता से किया है। लोकसभा चुनाव में महिला मतदाता का रुझान किस तरफ रहेगा, यह चुनाव परिणाम आने के बाद सामने आएगा। दरअसल, विधानसभा चुनाव में भाजपा ने महिला वोट बैंक को अपने पाले में लाने के लिए मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना का दांव खेला था। योजना में 1.31 करोड़ महिलाओं को शुरुआत में एक हजार रुपए प्रति माह दिए गए, फिर इसे बढ़ाकर 1250 रुपए प्रतिमाह कर दिया गया। तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान ने इस योजना में राशि क्रमश: बढ़ाकर 3000 रुपए प्रतिमाह करने का वादा किया था। इस योजना की काट के लिए कांग्रेस ने अपने बचन पत्र में नारी सम्मान योजना का ऐलान किया था। इस योजना में प्रदेश की पात्र महिलाओं को प्रति माह 1500 रुपए और 500 रुपए में गैस सिलेंडर देने का वादा किया गया था। कांग्रेस ने योजना का खूब प्रचार-प्रसार किया था। माना जाता है कि भाजपा को विधानसभा चुनाव में मिली बंपर जीत में लाइली बहना योजना का बड़ा योगदान था।
आधी आबादी को साधने के लिए कई दांव
महिला मतदाताओं को साधने के लिए भाजपा और कांग्रेस ने कई दांव चले हैं। महिलाओं के लिए भाजपा ने कई वादे किए हैं। इनमें महिला स्व सहायता समूह को सर्विस सेक्टर से जोड़ेंगे। वर्किंग महिलाओं के लिए हॉस्टल खुलेंगे। नारी वंदन अधिनियम लागू किया जाएगा। खेलों में भागीदारी के लिए योजना, पुलिस थानों में शक्ति डेस्क बनेगी। 10 करोड़ समूहों को आईटी, पर्यटन सेक्टर से जोड़ा जाएगा। वहीं महिलाओं के लिए कांग्रेस के प्रमुख वादे हैं केंद्र सरकार की नई नौकरियों में 50 प्रतिशत महिला आरक्षण दिया जाएगा। आशा, मिड डे मील और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय दोगुना होगा। 2025 के चुनावों से विधानसभाओं में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण मिलेगा। महिलाओं के वेतन में भेदभाव रोकने समान काम, समान वेतन सिद्धांत लागू होगा। कामकाजी महिलाओं के लिए हॉस्टलों की संख्या दोगुनी की जाएगी।
कई सीटों पर निर्णायक भूमिका
प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों पर शुरुआती चार चरणों में मतदान होगा। चुनाव में 5 करोड़ 65 लाख 50 हजार 945 मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सकेंगे। इनमें 2 करोड़ 90 लाख पुरुष, 2 करोड़ 74 लाख महिला मतदाता और 1128 थई जेडर है। प्रदेश की 29 में से 3 लोकसभा सीटों पर पुरुष मतदाताओं के मुकाबले महिला मतदाताओं की संख्या ज्यादा है। इनमें बालाघाट, मंडला व रतलाम सीटें शामिल हैं। मप्र में प्रति हजार पुरुष मतदाताओं पर 947 महिला मतदाता है। भिंड सीट पर जेंडर रेशो सबसे कम है। यहां प्रति एक हजार पुरुष मतदाताओं पर महिला मतदाताओं की संख्या सिर्फ 857 है, जबकि बालाघाट सीट पर जेंडर रेशो सबसे ज्यादा है। यहां प्रति एक हजार पुरुष मतदाताओं पर 1014 महिला मतदाता है। लोकसभा चुनाव में 3500 मतदान केंद्र महिला कर्मचारी संचालित करेंगी। पहले चरण की छह सीटों में मतदाताओं की कुल संख्या एक करोड़ 12 लाख 71 हजार हैं। इनमें सर्वाधिक 20 लाख 97 हजार मंडला और सबसे कम 16 लाख 28 हजार छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र में हैं। 2019 के चुनाव में इनमें सबसे अधिक 82.4 प्रतिशत मतदान छिंदवाड़ा में हुआ था। यहां पुरुष मतदान 83.2 और महिलाओं का 81.3 प्रतिशत रहा। पूरे प्रदेश में बालाघाट ऐसी सीट थी जहां मतदान में पुरुषों की तुलना में महिलाओं की भागीदारी अधिक रही। निर्वाचन आयोग से लेकर भाजपा, कांग्रेस सहित सभी दल मतदान प्रतिशत बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं।