पार्षद के बाद अब पूर्व सरपंच की सांसदी की दावेदारी

भोपाल. मंगल भारत। बुंदेलखंड अंचल की अहम सीट सागर


बीजेपी का गढ़ बन चुकी है। इस सीट पर 1996 से भाजपा को ही विजय मिलती आ रही है। यहां पर इस बार भी भाजपा ने चौकाने वाला प्रत्याशी लता बानखेड़े के रूप में उतारा है तो कांग्रेस ने उप्र निवासी चंद्र भूषण बुंदेला पर दांव लगाया है। वानखेड़े प्रदेश की महिला नेताओं में चर्चित नाम है। वे प्रदेश महिला आयोग की अध्यक्ष रहने के अलावा तीन बार लगातार सरपंच भी रही हैं। उनकी गिनती प्रदेश की उन नेताओं में होती है, जो पार्टी में जल्द ही बड़े-बड़े पदों पर पहुंचती रही है। उन्हें 2003 में भाजपा महिला मोर्चा की जिला महामंत्री बनाया गया था, इसकेे बाद वे दो बार लगातार भाजपा महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष और उसके बाद मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष भी रहीं । उधर अगर कांग्रेस प्रत्याशी बुंदेला की बात करें, तो वे उप्र से आकर यहां पर चुनाव लड़ रहे हैं। वे उप्र में दो बार विधानसभा का चुनाव लडक़र हार चुके हैं। वे चुनाव प्रचार के लिए हैलीकाफ्टर का पूरी तरह से उपयोग कर रहे हैं। इसकी वजह से वे चर्चा में बने हुए हैं। अहम बात यह है कि बीते चुनाव में पार्षद रहे राजबहादुर सिंह को तो अब सरपंच रहीं बानखेड़े को भाजपा ने सीधे लोकसभा प्रत्याशी बनाया है। 2019 के चुनाव की बात की जाए तो यहां से बीजेपी ने राजबहादुर सिंह को और कांग्रेस ने प्रभु सिंह ठाकुर को टिकट दिया था। इस चुनाव में बीजेपी के राजबहादुर सिंह ने कांग्रेस के प्रभु सिंह ठाकुर को करीब 3 लाख वोटों से करारी शिकस्त दी थी। इस सीट पर 1951-52 से लेकर 2019 तक 17 चुनाव हो चुके हैं। साल 1996 से यह क्षेत्र भाजपा के ही पास है। वर्ष 1996 से 2004 तक यहां से डॉ. वीरेंद्र कुमार खटीक लगातार जीतते रहे। सागर लोकसभा सीट से भूपेंद्र सिंह को मौका मिला और वे जीते। इसके बाद लक्ष्मीनारायण यादव व राजबहादुर सिंह सांसद बने। इस सीट ने राजबहादुर सिंह को राजनीतिक रूप से शानदार ऊंचाई दी। वर्ष 2019 में सागर सीट से सांसद चुने गए राजबहादुर सिंह इससे पहले पार्षद रहे। वे दो बार सागर नगर निगम में पार्षद रहे। पार्षद के साथ ही नगर निगम अध्यक्ष रहते हुए उन्हें लोकसभा चुनाव लड़ने का टिकट मिला और वे जीते भी। वर्ष 2009 में सागर लोकसभा सीट से चुनाव जीतने वाले भूपेंद्र सिंह कुछ महीने पहले ही दिसंबर, 2008 में खुरई विधानसभा सीट से चुनाव हार गए थे। इसके बाद उन्हें लोकसभा चुनाव का टिकट मिला। वे जीत भी गए। भूपेंद्र सिंह ने सांसद रहते वर्ष 2013 में पुन: खुरई विधानसभा सीट पर चुनाव लड़ा और विधायक चुने गए। इसके बाद वे लगातार तीन बार से विधायक हैं। मंत्री भी रहे। इस सीट पर बसपा बीते कई चुनावों से तीसरे स्थान पर ही बनी हुई है।
13 चुनावों में सागर के स्थानीय व्यक्ति ही बने सांसद
इस सीट के साथ एक रोचक संयोग यह है कि यहां अब तक हुए 17 में से 13 चुनावों में सागर विधानसभा क्षेत्र यानी सागर के स्थानीय नागरिक ही सांसद चुने गए। केवल चार बार वर्ष 1971 व 1980 में कांग्रेस की सहोद्रा बाई राय, 1977 में रहली विधानसभा के ग्राम ढाना निवासी नर्मदा प्रसाद राय व 2009 में ग्राम बामोरा निवासी भूपेंद्र सिंह ही बाहरी व्यक्ति थे, जो सांसद चुने गए।
सागर से चार बार सांसद रहे डॉ. वीरेंद्र सिंह
सागर निवासी वीरेंद्र खटीक सागर लोकसभा सीट से चार बार सांसद रहे है। इसके बाद वर्ष 2009 से वे टीकमगढ़ लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं। वे वर्तमान में केंद्रीय राज्य मंत्री भी हैं और इस बार भी टीकमगढ़ से ही प्रत्याशी हैं।
यह है जातीय समीकरण
सागर लोकसभा सीट के जातीय समीकरण की बात करें तो , इस सीट पर अनुसूचित जाति के 3 लाख, ब्राह्मण 3 लाख, जैन 1 लाख, राजपूत 1.25 लाख, दांगी 1 लाख, मुस्लिम 1.25 लाख, कुर्मी 1 लाख और यादव 80 हजार वोटर्स हैं। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि इस बार इस सीट पर कौन से वोटर्स ज्यादा असरदार साबित होते हैं।