साइबर अपराधियों के टारगेट महिला और बच्चे

मॉर्फिंग कर अश्लील फोटो-वीडियो बनाकर फंसा रहे …

भोपाल/मंगल भारत। मप्र में ऑनलाइन लोन और जॉब के नाम पर बेरोजगार युवा ठगे जा रहे हैं। जालसाज जरूरत के हिसाब से लोन या जॉब ऑफर लेटर देते हैं। किसी ने लोन लिया है तो किस्त जमा करने का दबाव बनाते हैं। जालसाजों ने जॉब ऑफर की है तो कमीशन या टैक्स के नाम पर रुपए मांगते हैं। रुपए नहीं देने पर जालसाज मॉर्फिंग कर अश्लील फोटो-वीडियो वायरल करने की धमकी देते हैं। चाइल्ड और वीमेन पॉर्नोग्राफी तक के मामलों में फंसाया जाता है। इस कारण प्रदेश में साइबर अपराधों की आई बाढ़ आ गई है। जिसके चलते तीन लाख के करीब शिकायतें पहुंच गई हैं। मप्र में दर्ज सभी केसों को 180 लोगों की टीम हैंडल करती है। स्टेट साइबर सेल के एडीजी योगेश देशमुख कहते हैं कि जब तक हम जालसाजों के किसी एक तरीके को क्रैक करते हैं, वो ठगी का दूसरा तरीका इजाद कर लेते हैं। मप्र में हर साल साइबर अपराधों में 33 प्रतिशत की वृद्धि हो रही है। स्टेट साइबर सेल के एडीजी योगेश देशमुख कहते हैं कि हर साल हमारे पास 2 लाख के करीब शिकायतें आ रही हैं। इनमें से एक लाख शिकायतें तो केवल चाइल्ड और विमन पोर्नोग्राफी से संबंधित हैं।
एआई का सहारा लेकर वारदात को अंजाम दे रहे अपराधी
साइबर अपराधी महिलाओं और बच्चों को आसानी से शिकार बना लेते हैं, इसलिए उनका फोकस उन पर ज्यादा रहता है। इसीलिए अपराधों की बाढ़ भी आई है। साल 2023 में साइबर से जुड़ी शिकायतों की संख्या तीन लाख के करीब पहुंच गई है। इस साल का आंकड़ा भी बेहद चौंकाने वाला है। साइबर अपराधियों का आसान टारगेट महिलाएं और बच्चे रहते हैं। महिलाओं के खिलाफ साइबर अपराधों मे लिंग आधारित यौन टिप्पणियां और कंप्यूटर नेटवर्क या मोबाइल फोन के माध्यम से की जाने वाली गतिविधियां शामिल हैं, जो महिलाओं की गरिमा को सीधे तौर पर प्रभावित करती हैं। महिलाएं और बच्चे इसका शिकार नहीं बन पाएं, इसको लेकर साइबर पुलिस द्वारा लगातार जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। बावजूद इसके शिकार होने वालों की संख्या में कमी नहीं आ रही है। साइबर अपराधी ऑनलाइन बाल शोषण में शामिल है। अन्य प्रकार के साइबर अपराध जैसे बाल शोषण, साइबर बुलिंग, बाल पोर्नोग्राफी, हानिकारक सामग्री का प्रदर्शन और कई अन्य तरह के अपराध किए जाते हैं। अफसरों का कहना है कि यह देखा गया है कि छोटे बच्चे या किशोर आपराधिक गतिविधियों के लिए प्राथमिक और आसान लक्ष्य होते हैं, क्योंकि वे भरोसेमंद, भोले और उत्सुक रहते हैं। साइबर अपराधी जब बच्चों से ऑनलाइन संपर्क करते है। उसके बाद पसंद का सामान, उनकी रुचियों और गतिविधियों के आधार पर ऑनलाइन दोस्ती बना लेते हैं। गिफ्ट और फोटो का आदान- प्रदान होता है, इससे वे आसानी से जाल में फंस जाते हैं।
साल दर साल बढ़ रहे मामले
वर्ष 2022 में साइबर क्राइम पुलिस को 40 हजार शिकायतें मिली थी, जो 2023 में बढकऱ 2 लाख 90 हजार पहुंच गई हैं। इस साल यानी 2024 में यह आंकड़ा महज तीन महीने में 65 हजार के पार पहुंच गया है। इनमें सबसे ज्यादा मामले मॉल्र्ड वीडियो और बाल पोर्नोग्राफी से जुड़े हुए है। जिस तेजी से साइबर अपराध बढ़ रहे हैं, उसकी पड़ताल के लिए साइबर क्राइम के पास अमला नहीं है। साइबर से जुड़े अधिकारी भी मानते हैं कि अपराधों में कमी लाने के लिए लोगों का जागरूक होना जरूरी है। इसीलिए-जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे है। उनका कहना है कि यदि हम खुद गलती नहीं करें, तो साइबर अपराधी हमारे साथ ठगी नहीं कर सकते हैं। मौजूदा दौर में हर हाथ में मोबाइल है, लिहाजा महिलाएं और बच्चे आसानी से अपराधियों की गिरफ्त में आ जाते हैं। अपराधी उन्हें आसान टारगेट भी बनाते हैं। महिलाओं और बच्चों को चिन्हित करने के लिए साइबर अपराधी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का सहारा लेते हैं। साइबर से जुड़े अफसरों की माने तो महिलाओं के खिलाफ कई तरह से साइबर अपराध किए जाते है। इनमें साइबर स्टॉकिंग सबसे आसान होता है। इसके जरिए बिना किसी खास उद्देश्य के सोशल नेटवर्किंग साइटों के माध्यम से महिलाओं से संपर्क करने का प्रयास किया जाता है। उसके बाद चैट पेज पर धमकी भरे संदेश डालना और पीड़ितों को लगातार आपत्तिजनक ई-मेल और संदेश भेजे जाते हैं। इसका सीधा असर महिलाओं के मानसिक स्तर पर पड़ता है।