सर्वाधिक मतदान में… देवड़ा ने मारी बाजी

आदिवासी मतदाताओं में दिखी बेरुखी.

प्रदेश में चार चरणों में हुए मतदान में भले ही हर चरण में मतदान प्रतिशत में सुधार होता देखा गया है, लेकिन इसके बाद भी वैसा सुधार नजर नहीं आया जिसकी की आशा की जा रही थी। बीते रोज हुए चौथे चरण के बाद मतदान के जो आंकड़े निकलकर सामने आए हैं, उसके मुताबिक इस मामले में मंत्री जगदीश देवड़ा की मालवा-निमाड़ अंचल के तहत आने वाली मल्हारगढ़ (मंदसौर लोकसभा सीट) अव्वल आयी है। उनकी विधानसभा सीट पर 86.73 फीसदी मतदान हुआ है, जो की विधानसभा चुनाव की तुलना में भी अधिक हैं। अगर अंचल के अन्य प्रमुख नेताओं के विधानसभा सीटों की बात की जाए तो, अंचल के मंत्रियों में सबसे कम गिरावट नागर सिंह चौहान के विधानसभा क्षेत्र आलीराजपुर में दो प्रतिशत रही। हालांकि, यहां विधानसभा चुनाव में 70.85 प्रतिशत निर्वाचकों ने मतदान किया था। रात आठ बजे की स्थिति में चौथे चरण की आठ सीटों में औसत 71.72 प्रतिशत मतदान हुआ, जिसमें सबसे कम इंदौर में 60.53 प्रतिशत रहा,जो 2019 के चुनाव में 69.31 प्रतिशत था। इंदौर लोकसभा सीट में विजयवर्गीय के अतिरिक्त सभी विधानसभा क्षेत्रों में गिरावट की वजह कांग्रेस से कोई प्रत्याशी नहीं होने को भी माना जा रहा है। मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव के क्षेत्र उज्जैन दक्षिण में पांच प्रतिशत और उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा के विधानसभा क्षेत्र मल्हारगढ़ में आठ प्रतिशत मतदान कम हुआ है।
आदिवासियों में भी नहीं दिख उत्साह
अच्छे मतदान के लिए पहचानी जाने वाली आदिवासी बहुल सीटें रतलाम, धार और खरगोन में भी इस बार बीते चुनाव की अपेक्षा 2.8 से 3.75 प्रतिशत तक कम मतदान हुआ है। दोनों ही दलों ने अपने -अपने पक्ष में आदिवासी मतदाताओं से बड़ी उम्मीदें लगा रखी हैं। इसलिए इन सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने पूरी ताकत झोंक भी लगाई थी। इसके बाद भी दोनों ही दल आदिवासियों को मतदान के लिए घर से निकालने में सफल नहीं हो सके। चौथे चरण की इन लोकसभा सीटों पर प्रत्येक चुनाव में आदिवासी मतदाता बढ़-चढक़र भाग लेते हैं। पिछले चुनाव में भी इनके कारण तीनों सीटों पर 75 प्रतिशत से अधिक मतदान हुआ था और पांच माह पहले हुए विधानसभा चुनाव में धार और खरगोन में कांग्रेस ने बढ़त बनाई थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खरगोन और धार तो कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी रतलाम और खरगोन क्षेत्र में सभा कीं। वहीं, मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव सहित भाजपा-कांग्रेस के अन्य नेताओं ने भी इन्हें साधने के लिए पूरा जोर लगा दिया। रतलाम में 72.86, धार में 71.50 प्रतिशत और खरगोन में 75.79 प्रतिशत मतदान हुआ है। 2019 के मुकाबले मतदान प्रतिशत की बात करें तो रतलाम में 2.8 प्रतिशत, धार में 3.75 प्रतिशत और खरगोन में 2.03 प्रतिशत मतदान कम मतदान हुआ है।
मंत्रियों की मेहनत भी नहीं दिखा पायी असर
पहले तीन चरणों में हुए कम मतदान को देखते हुए चौथे चरण में अचंल के मंत्रियों ने मतदान अधिक से अधिक कराने के लिए पूरी ताकत लगा रखी थी, लेकिन इसका भी कोई खास असर होता नहीं दिखा है। रतलाम सीट पर तो खुद मंत्री नागर सिंह चौहान की पत्नी अनीता नागर सिंह चौहान और कांग्रेस प्रत्याशी कांतिलाल भूरिया चुनावी मैदान में है। दोनों ही प्रत्याशियों ने इस सीट पर जमकर प्रचार किया। धार में भाजपा प्रत्याशी सावित्री ठाकुर और कांग्रेस प्रत्याशी राधेश्याम मुवेल आमने-सामने हैं। वहीं खरगोन लोकसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी एवं वर्तमान सांसद गजेंद्र पटेल, कांग्रेस प्रत्याशी पोरलाल खरते के विरुद्ध चुनाव लड़ रहे है। रतलाम संसदीय सीट से तीन मंत्री आते हैं। विधानसभा सीट रतलाम सिटी से चैतन्य कुमार कश्यप, आलीराजपुर से नागर सिंह चौहान और पेटलावद से निर्मला भूरिया मंत्री चुनकर आई हैं। इन्हें यहां मतदान बढ़ाने की जिम्मेदारी दी गई थी लेकिन मंत्रियों की कड़ी मेहनत के बावजूद रतलाम में कम मतदान हुआ।
सिंघार और पटवारी भी रहे बेअसर
कांग्रेस के दिग्गज नेताओं की बात करें तो, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी के विधानसभा क्षेत्र राऊ में विधानसभा चुनाव के मुकाबले 19 प्रतिशत मतदान कम हुआ है। विधानसभा चुनाव में यहां मतदान प्रतिशत 76.71 था जो लोकसभा चुनाव में 57.44 रहा। पटवारी यहां से 2013 और 2018 में विधायक रहे हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री और रतलाम से प्रत्यार्थी कांतिलाल भूरिया के विधानसभा क्षेत्र झाबुआ में मात्र 0.2 प्रतिशत की ही कमी आई है। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार के विस क्षेत्र गंधवानी में तीन प्रतिशत घटा है।