विकास नहीं कर्ज चुकाने… कर्ज ले रही है सरकार

कैग की रिपोर्ट में सामने आई हकीकत.

मप्र सरकार लगभग हर महीने विकास के नाम पर कर्ज ले रही है। लेकिन विधानसभा में पेश की गई कैग की रिपोर्ट में प्रदेश सरकार के वित्तीय प्रबंधन पर प्रश्न चिन्ह लगाया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मप्र की सरकार पुराना कर्ज और ब्याज चुकाने के लिए नया कर्ज ले रही है। इससे विकास कार्य प्रभावित हो रहा है। रिपोर्ट में बताया गया है कि उधार लिए धन का उपयोग पूंजी के सृजन और विकास संबंधी गतिविधियों में किया जाना चाहिए। सरकार द्वारा वर्तमान जरूरतों की पूरा करने और बकाया कर्ज पर ब्याज चुकाने के लिए उधार ली गई राशि का उपयोग नहीं होना चाहिए, लेकिन मप्र सरकार ने उधार ली गई राशि से ही पुराने कर्ज चुकाने का काम किया। इससे उधार ली गई धनराशि में से पूंजीगत व्यय के लिए कम गुंजाइश बची। कर्ज चुकाने के बाद जो राशि बची पूंजीगत व्यय उससे ज्यादा है। वर्ष 2018-23 की अवधि में ऋण का पुनर्भुगतान करने के बाद बची हुई राशि 58.39 प्रतिशत से 80.42 प्रतिशत के बीच ही रही। इससे विकास संबंधी गतिविधियों के लिए सीमित धनराशि बची। कई काम अटक गए। सबसे ज्यादा पीडब्ल्यूडी के काम अटके।
32.63 फीसदी राशि का उपयोग कर्ज चुकाने में
पिछले 5 वर्षों से मप्र सरकार हर साल कर्ज का औसतन 32.63 फीसदी राशि का उपयोग कर्ज चुकाने के लिए कर रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है, कर्ज राशि का उपयोग पूंजीगत निवेश और विकास कार्यों में ही किया जाना चाहिए। कर्ज चुकाने के लिए कर्ज का उपयोग नहीं किया जाना चाहिए। लेखा महापरीक्षक की रिपोर्ट में वर्ष 2018-19 से लेकर 2022-23 तक का कर्ज विवरण दिया गया है। 2018-19 में 32497.42 करोड़, 2019 में 34364.41 करोड़, 2020-21 में 65170.50 करोड़, 2021-22 में 46284.92 करोड़ तथा 2022-23 में 58867.32 करोड़ रुपए का कर्ज मध्य प्रदेश सरकार ने लिया है। मप्र सरकार ने कर्ज चुकाने के लिए लिए गए कर्ज की राशि का 2018-19 में 41.61 फीसदी, 2019-20 में 31.42 फीसदी, 2020-21 में 19.58 फीसदी, 2021-22 में 32.76 फीसदी तथा 2022-23 में 37.38 फीसदी राशि का उपयोग किया है। इस पर गहन आपत्ति जताई गई है।
महापरीक्षक की रिपोर्ट में अनुशंसा की गई है। नया कर्ज लेने से पहले राज्य सरकार जरूरत के आधार पर कर्ज ले। मौजूदा नगद राशि का पहले प्रयोग करे। घाटे में चल रहे निगम और मंडलों के उपक्रमों की समीक्षा की जानी चाहिए। सरकार का राजस्व बढ़ाने पर सरकार को ठोस प्रयास करने होंगे। बिना बजट प्रावधान के 2.37 करोड़ रुपए के खर्च को असवैधानिक माना है। संविधान के अनुच्छेद 204 के अनुसार राज्य की संचित निधि से कोई भी राशि खर्च नहीं की जा सकती है। ऑडिट में पाया गया है, 2022-23 में आठ बार बिना बजट प्रावधान के 2.37 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। इसका अनुमोदन विधानसभा से भी नहीं कराया गया है।
विकास कार्य अटके
कैग की रिपोर्ट के अनुसार सरकार भले ही विकास के नाम पर कर्ज ले रही है, लेकिन उस राशि से पुराने कर्ज की भरमाई कर रही है। इसका असर विकास कार्यों पर पड़ रहा है। पर्याप्त राशि नहीं होने के कारण 792 प्रोजेक्ट अटके हुए हैं। इनमें लोक निर्माण विभाग के 718, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी के 31, नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के 16 और नगरीय विकास एवं आवास के 27 प्रोजेक्ट अटके हुए हैं। कैग ने सलाह दी है कि शासन को राजस्व व्यय पूरा करने के लिए पूंजीगत प्राप्तियों (उधार) के उपयोग से बचने के लिए स्वयं के राजस्व में वृद्धि के उपाय करने चाहिए। बजट तैयार करने की प्रक्रिया ऐसी हो, ताकि बजट अनुमानों-वास्तविक के बीच का अंतर क्रम हो सके। सरकार को ब्रिभिन्न इकाइयों में अपने निर्देश एवं कर्ज अग्रिमों को इन प्रकार युक्तिसंगत बनाना चाहिए ताकि निवेश एवं कार्यों पर प्रतिलाभ कम से कम शासकीय उधारी लागतों के समान रहे। राज्य के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम जो भारी नुकसान उठा रहे हैं, उनके कामकाज की समीक्षा करनी चाहिए और उनके पुनरुद्धार की रणनीति तैयार करें। नए उधार लेने से पहले राज्य शासन आवश्यकता आधारित उधार लेने और मौजूदा नकदी शेष का उपयोग करने पर विचार कर सकता है।

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