अब जनता की साझेदारी से चलेंगे सरकारी अस्पताल

बेहतर चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने की कवायद.

भोपाल/मंगल भारत। प्रदेश में मरीजों को बेहतर चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने के लिए सरकार कुछ सिविल अस्पताल और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप)मोड पर देने की तैयारी कर रही है। सूत्रों का कहना है कि अगर सरकार का यह प्रयोग सफल होता है और लोगों का फीडबैक अच्छा रहता है, तो पूरे प्रदेश में यह प्रयोग किया जा सकता है। शीघ्र ही इसे स्वीकृति के लिए कैबिनेट में लाया जाएगा। जिला अस्पतालों की तरह इन स्वास्थ्य संस्थाओं में भी निजी निवेशक 25 प्रतिशत बिस्तर प्राइवेट रख सकेगा। सुविधाएं बढ़ाकर निवेशक इन बिस्तरों में भर्ती रोगियों से निर्धारित शुल्क वसूल सकेगा। गौरतलब है कि मार्च में डॉ मोहन यादव सरकार ने कैबिनेट की बैठक में पांच जिला अस्पतालों को पीपीपी मोड पर देने का निर्णय लिया था। कैबिनेट के फैसले के अनुसार प्रदेश के ऐसे जिलों जहां मेडिकल कॉलेज नहीं है ,वहां के जिला अस्पतालों को मेडिकल कॉलेज में अपग्रेड किया जाएगा। इसके लिए पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मोड पर कार्य होगा। और प्राइवेट एजेंसियां काम करेंगी। अब प्रदेश के पांच जिला अस्पतालों को पीपीपी मोड पर देने के सरकार के निर्णय के बाद अब कुछ सिविल अस्पताल और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को भी पीपीपी मोड पर देने की तैयारी है। स्वास्थ्य संचालनालय इस संबंध में प्रस्ताव तैयार कर रहा है।
कैबिनेट में जाएगा प्रस्ताव
जबलपुर, भोपाल और इंदौर में कई सिविल अस्पताल शहर के बीच में होने के साथ ही साधन संपन्न हैं। यहां रोगियों की संख्या जिला अस्पतालों की तरह रहती है। इसी तरह से दूसरे जिलों में कुछ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बहुत अच्छी स्थिति में हैं। वहां सीजर डिलीवरी की सुविधा भी है। मापदंड के अनुसार पांच विषय विशेषज्ञ भी हैं। ऐसे में लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग अब उन स्वास्थ्य संस्थाओं की सूची तैयार कर रहा है जिन्हें पीपीपी मोड पर दिया जा सकता है। कैबिनेट से स्वीकृति मिलने के बाद इन्हें पीपीपी मोड पर देने के लिए ऑफर बुलाए जाएंगे। उल्लेखनीय है कि इसी वर्ष मार्च में राज्य सरकार ने प्रदेश के पांच जिलों में निजी मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए वहां के जिला अस्पतालों को पीपीपी मोड पर देने का निर्णय लिया था। इनमें कटनी, पन्ना और मुरैना में पीपीपी से कालेज खोलने के लिए निजी निवेशकों से ऑफर बुलाए गए हैं। दो अन्य स्थानों के लिए भी शीघ्र ही निविदा जारी करने की तैयारी है।
75 प्रतिशत बिस्तर गरीबों को
सिविल अस्पताल और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को भी पीपीपी मोड पर देने के लिए स्वास्थ्य संचालनालय प्रस्ताव तैयार कर रहा है। इन सिविल अस्पतालों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के पीपीपी मोड पर दिए जाने के बाद नागरिकों को और सुविधाएं मिलने लगेंगी। इससे पहले मप्र सरकार जिला अस्पतालों में पीपीपी मोड पर मेडिकल कॉलेज खोजने का निर्णय भी ले चुकी है। इस मॉडल में शर्त यह है कि निवेशक जिला अस्पताल के कर्मचारियों के वेतन का भुगतान करेंगे। उन्होंने आगे कहा कि जब मेडिकल कॉलेज और अस्पताल एक साथ चलने लगेंगे तो 75 प्रतिशत बिस्तर गरीबों को उपलब्ध कराने होंगे।