सुगम यातायात के लिए बेहतर मॉडल की खोज.
मंगल भारत।मनीष द्विवेदी। मप्र में 19 साल से बंद पड़ा सडक़ परिवहन निगम दोबारा शुरू किया जाएगा। सरकारी बसें कैसे और किन रुट्स पर चलेंगी और कौन उन्हें संचालित करेगा। साथ ही, इसका सिस्टम कैसा होगा, इसको लेकर परिवहन विभाग बेहतर मॉडल पर मंथन कर रहा है। जानकारी के अनुसार पिछले 5 महीनों से इस परियोजना को दोबारा शुरू करने के प्रयास किए जा रहे हैं। जून में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इसे लेकर बैठक की थी और रिपोर्ट तैयार करने का निर्देश दिया थे। अब, सर्वे रिपोर्ट के आधार पर परिवहन विभाग विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेगा। इसमें महाराष्ट्र मॉडल को अपनाने पर विचार किया जा सकता है।
गौरतलब है कि घाटे में चलने के कारण वर्ष 2005 में भाजपा की तत्कालीन बाबूलाल सरकार के समय मप्र सडक़ परिवहन निगम (सपनि) को बंद करने का निर्णय हुआ था। हालांकि, बंद करने की तैयारी वर्ष 2003 के पहले कांग्रेस सरकार के समय से ही प्रारंभ हो गई थी। निगम की देनदारियां 1033 करोड़ रुपये तक पहुंच गई थीं, जिसमें 183 करोड़ रुपये तो कर्मचारियों के ही देने थे। आदेश के अनुसार वर्ष 2010 में बसों का संचालन पूरी तरह से बंद हो गया। इसके बाद निजी बस ऑपरेटरों की मनमानी बढ़ गई। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने लोक परिवहन को मजबूत करने के लिए सार्वजनिक परिवहन सेवा प्रारंभ करने की इच्छा जताई है। वर्ष 2005 में सडक़ परिवहन निगम बंद होने से प्रदेश स्तरीय सार्वजनिक परिवहन सेवा नहीं है। स्थानीय स्तर पर नगरीय निकायों द्वारा कंपनी बनाकर कुछ बसों का संचालन किया जाता है। 2005 में बंद किए गए इस निगम को तकनीकी रूप से कभी पूरी तरह बंद नहीं किया गया था, क्योंकि इसके लिए आवश्यक केंद्रीय परिवहन और श्रम मंत्रालय की सहमति नहीं ली गई थी।
ऐसा हो सकता है मॉडल
स्थानीय निकाय में बसों का संचालन करने वाली कंपनी, ग्रामीण परिवहन सेवा, मप्र पर्यटन विकास निगम सहित सरकार के नियंत्रण वाली अन्य कंपनियों को एक कंपनी की परिधि में लाया जाए। सार्वजनिक परिवहन सुविधा सबसे पहले उन मार्गों पर प्रारंभ की जाए जहां निजी बसें भी कम हैं। इसके लिए शुरुआत में आदिवासी बहुल या पिछड़े जिलों को जोडऩे वाले मार्गों को लिया जा सकता है। प्रदेश के धार्मिक व पर्यटन स्थलों को जोडऩेे के लिए बसों का संचालन प्रारंभ किया जा सकता है। कुछ रूट पर बसों के संचालन के बाद सफलता के अनुसार अन्य मार्गों पर सेवा प्रारंभ की जा सकती है। कुछ विशेष वर्ग के लोगों की किराये में छूट का प्रविधान किया जा सकता है। निगम की अचल संपत्तियां अभी भी है, जिनका उपयोग किया जाएगा।
नई कंपनी को लोक परिवहन का जिम्मा
प्रदेश में लोक परिवहन सेवा को नए स्वरूप में प्रारंभ करने की तैयारी है। मेट्रो रेल कारपोरेशन की तरह एक कंपनी बनाकर पूर्व के सडक़ परिवहन निगम की तरह सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को बढ़ाया जाएगा। कंपनी को राज्य सरकार की ओर से अनुदान भी दिया जा सकता है। अभी अलग-अलग सरकारी एजेंसियों द्वारा संचालित लोक परिवहन सेवाओं का नियंत्रण इस कंपनी को देने पर विचार चल रहा है। परिवहन विभाग यह परीक्षण कर रहा है कि लोगों के सुगम यातायात के लिए सार्वजनिक परिवहन का कौन सा मॉडल उचित हो सकता है। हालांकि, विभाग के अधिकारियों का साफ कहना है निजी बस ऑपरेटरों से अनुबंध कर उन्हें सार्वजनिक परिवहन में शामिल नहीं किया जाएगा। दूसरा, सार्वजनिक परिवहन सुविधा एक साथ नहीं बल्कि चरणबद्ध तरीके से प्रारंभ की जाएगी।