शिवराज की एक और अग्नि परीक्षा

भोपाल/मंगल भारत। डेढ़ दशक से अधिक समय तक मप्र में


मुख्यमंत्री रहने के बाद केन्द्रीय मंत्री बने शिवराज सिंह चौहान को चुनावी जीत का बड़ा नायक माना जाता है। इसकी वजह उनकी व्यक्तिगत जीत नहीं, बल्कि पार्टी को लगातार मप्र में जीत दिलाना है। यही वजह है कि अब पार्टी हाईकमान ने उन्हें बेहद चुनौतीपूर्ण माने जाने वाले झारखंड में जीत दिलाने की जिम्मा सौंपा है। इसे राजनैतिक दौर पर शिवराज की अग्रिपरीक्षा के रुप में देखा जा रहा है। दरअसल पार्टी ने उन्हें झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए प्रभावी बनाने के साथ ही प्रचार की कमान भी सौंपी है। शिवराज मप्र में लोकसभा चुनाव हों या विधानसभा के इन सभी में शिवराज पार्टी के जीत के नायक के रुप में स्थापित हुए हैं। लगातार चार बार मुख्यमंत्री और उसके बाद भी लगातार प्रदेश में बहुमत से पार्टी की सरकार बनवाना और लोकसभा चुनाव में भी पार्टी को जीत का तोहफा देना आसान नही है। इसके बाद भी वे इस कसौटी पर अब तक लगातार खरे उतरते रहे हैं। हद तो यह है कि इस बार प्रदेश के विधानसभा चुनाव में तमाम लोगों का अनुमान था की भाजपा की राह बेहद कठिन हैं, लेकिन चुनाव परिणामों ने ऐसे लोगों को बेहद चौकाया, जब पार्टी ने बहुमत तो दूर भारी बहुमत से जीत हासिल कर फिर सरकार बनाई। यही वजह है कि झारखंड में भी भाजपा का चेहरा भले ही स्थानीय नेता हैं, लेकिन पार्टी ने भरोसा शिवराज पर अधिक भरोसा जताया है। दरअसल, झारखंड में विरोधी दल के नेता हेमंत सोरेन के नेतृत्व में झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार है।
लाड़ली योजनाओं की कर रहे ब्रांडिंग
मध्य प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान महिलाओं, युवतियों और बच्चियों के बीच खासे लोकप्रिय हैं। उनकी इस छवि को बनाने के पीछे कोई एजेंसी नहीं है। इस ब्रांडिंग की वजह उनकी सहज-सरल छवि, मामा-भांजी और बहना के रिश्ते । दरअसल, शिवराज की राजनीति महिलाओं के लिए कल्याणकारी योजनाओं पर फोकस करती है। जब वह सांसद थे तो स्वयं के खर्च पर अनाथ और बेसहारा बेटियों का विवाह करवाते थे। कन्यादान भी खुद ही करते थे। वर्ष 2005 में मुख्यमंत्री बने तो सबसे पहले मुख्यमंत्री कन्यादान योजना बनाई और फिर नवजात बच्चियों के लिए लाडली लक्ष्मी योजना बनाई। यह देशभर में लोकप्रिय हुई। बीते साल उनके द्वारा बनाई गई लाडली बहना योजना भी देशभर में लोकप्रिय हुई है। इसके तहत प्रदेश में सवा करोड़ महिलाओं को 1250 रुपये प्रति महीने दिए जाते हैं। झारखंड में भी वह अपनी इन्हीं योजनाओं की ब्रांडिंग कर रहे हैं। वहीं, प्रदेश में आदिवासियों के हित में पेसा के नियम लागू करना, साहूकारों के चुंगल से बचाने के लिए अधिनियम बनाना, बिरसा मुंडा के योगदान को याद करने जनजातीय गौरव दिवस मनाने सहित जो अन्य काम किए गए।
तो शिव का बढ़ेगा दबदबा
मध्य प्रदेश में लंबे समय तक भाजपा को जीत दिलाने वाले शिवराज सिंह चौहान को चुनाव प्रबंधन का विशेषज्ञ माना जाता है। प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद उन्होंने मध्य प्रदेश में वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को बड़ी जीत दिलाई थी। लोकसभा चुनाव के दौरान भी उन्होंने कई क्षेत्रों में सभाएं कीं और उन क्षेत्रों में परिणाम भी अच्छे आए थे। ऐसे अनेक कारण हैं, जिनके चलते पार्टी ने शिवराज को झारखंड में चुनाव प्रबंधन की जिम्मेदारी दी गई है। उनके साथ असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व सरमा को सह प्रभारी बनाया गया है। वर्ष 2014 में झारखंड में भाजपा जीती थी, लेकिन 2019 में राज्य की सत्ता से बाहर हो गई। हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में भी भाजपा को बहुत अनुकूल परिणाम नहीं मिले थे, इसलिए पार्टी नवंबर- दिसंबर में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव से पहले फूंक-फूंक कर कदम बढ़ा रही है।