मप्र में महिलाएं बनी आत्मनिर्भर.
मंगल भारत। मनीष द्विवेदी। हिंदुस्तान के दिल में बसा मप्र अपनी ऐतिहासिक धरोहर, गौरव और संस्कृति के लिए जाना जाता है। महिलाओं के विकास के लिए लगातार प्रदेश की डॉ. मोहन यादव सरकार अपने दायित्वों का निर्वहन कर रही है। इस कारण मप्र महिला सशक्तिकरण का रोल मॉडल बन गया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का कहना है कि महिलाओं और बेटियों की शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा और स्वावलंबन राज्य सरकार की पहली प्राथमिकता है। महिला के सशक्तिकरण के लिए प्रदेश में अनेक योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया गया है। दरअसल, मप्र में आधी आबादी महिलाओं को आज सभी क्षेत्रों में वैधानिक रूप से समान अधिकार प्राप्त है। महिलाओं का आर्थिक रूप से सशक्त होना उनके पूरे भविष्य को तय करता है। केन्द्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकार ने भी महिलाओं के स्वास्थ्य, शिक्षा, सुरक्षा के लिये विभिन्न योजनाएं बनाई है। महिला सशक्तिकरण एक बहुआयामी दृष्टिकोण है, जिसमें आर्थिक, सामाजिक, राजनैतिक, विधिक और स्वास्थ्य संबंधी पहलुओं का समावेश है। इस बात को दृष्टिगत रखते हुए प्रदेश सरकार ने विभिन्न योजनाओं का क्रियान्वयन किया है।
महिला सशक्तिकरण केवल नारा नहीं
मप्र में महिला सशक्तिकरण केवल एक नारा नहीं है, यह विकास की धारा से जुड़ा ऐसा कार्य है ,जो स्वयं और दूसरों के लिए सामाजिक परिवर्तन को प्रभावित करने के अधिकार को सुनिश्चित करता है। सशक्तिकरण के कई घटक है जैसे शिक्षा, सुरक्षा, स्वास्थ्य, कानून आदि। इसको मप्र सरकार ने अपनी योजनाओं में समाहित किया है। यही कारण है कि महिला सशक्तिकरण का मप्र मॉडल देश में अनूठा है, जिससे प्रेरित होकर अन्य राज्यों ने भी मप्र की महिला कल्याण की योजनाओं का अनुसरण कर अपने राज्यों में लागू किया है। मुख्यमंत्री का कहना है कि बात चाहे प्रधानमंत्री आवास के माध्यम से हर परिवार को पक्की छत देने की हो, या घर-घर शौचालय बनाकर खुले में शौच से मुक्ति दिलाने की। नल-जल योजना से घर तक शुद्ध पेयजल पहुंचाना हो या उज्ज्वला योजना से रसोई को धुआं मुक्त बनाने का संकल्प हो। इन सभी योजनाओं का प्रदेश में क्रियान्वयन हुआ है। इसके अलावा महिलाओं को आत्म-निर्भर बनाने के लिए महिला स्व-सहायता समूहों को आर्थिक सहयोग प्रदान कर उन्हें स्व-रोजगार से न केवल जोड़ा है, बल्कि उन्हें लखपति दीदी भी बनाया है। आज समूह की महिलाओं द्वारा निर्मित उत्पाद बाजारों में बिक रहे हैं। साथ ही उनका विक्रय ऑनलाइन मॉर्केटिंग से भी जा रहा है।
हर संकल्प को पूरा करने की कोशिश
मप्र में सरकार ने महिला सशक्तिकरण के लिए जो भी संकल्प लिया है उसे पूरा किया जा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का कहना है कि हमारी सरकार महिला सशक्तिकरण के हर संकल्प को पूर्ण करने शिद्दत से कार्य कर रही है। राज्य सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष 2024-25 में महिला एवं बाल विकास विभाग का बजट 81 प्रतिशत बढ़ाते हुए 26 हजार 560 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। इसमें लाड़ली बहना योजना के लिए 18 हजार 984 करोड़ रुपए से ज्यादा का प्रावधान किया गया है। राज्य सरकार ने महिलाओं के हित में एक बड़ा फैसला लेते हुए उनके नाम जमीन, दुकान और घर की रजिस्ट्री कराने पर स्टाम्प शुल्क पर अतिरिक्त छूट दी है। सैनिटेशन एवं हाईजीन योजना अंतर्गत 19 लाख से अधिक बालिकाओं के बैंक खाते में 57 करोड़ 18 लाख रुपए की राशि का अंतरण किया गया है। मप्र में महिलाओं को निकाय चुनाव एवं शिक्षक भर्ती में 50 प्रतिशत, पुलिस भर्ती में 33 प्रतिशत और अन्य भर्तियों में 35 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है। स्टार्ट-अप नीति में भी महिलाओं के लिए विशेष प्रोत्साहन का प्रावधान किया गया, जिसके फलस्वरूप प्रदेश के कुल स्टार्ट-अप्स में से 47 प्रतिशत की मालकिन महिलाएं हैं। महिला उद्यमियों के प्रोत्साहन के लिए 850 एमएसएमई इकाइयों को 275 करोड़ रुपए की सहायता उपलब्ध कराई गई।
महिला सुरक्षा पर जोर
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने महिलाओं की सुरक्षा पर भी अधिक फोकस किया है। मासूम बच्चियों के साथ दुष्कर्म करने वालों को मृत्यु दंड देने वाला देश का पहला राज्य मप्र है। मप्र में महिलाओं से जोर-जबरदस्ती से या बहला-फुसलाकर विवाह और धर्म परिवर्तन पर लगाम लगाने के लिए धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम लागू किया गया। महिलाओं को सहायता उपलब्ध हिंसा से प्रभावित महिलाओं को कराने के लिए महिला हेल्पलाइन 181 और चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 संचालित है। संकटग्रस्त महिलाओं की सहायता के लिए प्रत्येक जिले में वन-स्टॉप सेंटर संचालित हैं। प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना में अब तक 42 लाख महिला हितग्राही पंजीकृत हो चुकी हैं। शिक्षा में बेटियों के ड्रॉप आउट दर में गिरावट के साथ ही महिला साक्षरता दर में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। साक्षरता दर में 44 से 65.4 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई है। पहले स्कूल कम थे तो बच्चे भी स्कूल नहीं जा पाते थे, लेकिन अब स्कूल बढ़ गए हैं तो बच्चे भी बढ़ गए हैं। पहले स्कूल में काफी कम सुविधा होती थी। जैसे- पीने का पानी नहीं होता था और बाथरूम की सुविधा कम होती थी, लेकिन अब सभी सुविधाएं हमारी स्कूल में बढ़ गई हैं। कल जिन महिलाओं को घर से बाहर निकल पैरों में खड़ा होने के लिए कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता था आज उन्हें रोजगार व स्वरोजगार के पूरे अवसर मिल रहे हैं। स्थानीय निकाय चुनाव और शिक्षक भर्ती में 50 फीसदी, पुलिस की नौकरियों में 30 फीसदी और अन्य भारतीयों में 33 फीसदी महिला आरक्षण इस बात का प्रमाण है कि किसी भी क्षेत्र में महिलाओं को कार्यरत होने से वंचित नहीं किया जा रहा है। प्रदेश में मोहन सरकार की वजह से महिलाओं को काफी ज्यादा प्रोत्साहन मिल रहा है। छोटी-छोटी योजनाओं से मिल रहे लाभ की बदौलत महिलाएं अपना जीवन-व्यापन कर पा रही हैं, वह पति पर निर्भर नहीं हैं और स्वतंत्र महसूस कर रही हैं।