‘जितना आप हम पर टैरिफ लगाते हैं, उतना हम भी लगाएंगे’, डोनाल्ड ट्रंप ने दी चेतावनी

जितना आप हम पर टैरिफ लगाते हैं, उतना हम भी लगाएंगे’, डोनाल्ड ट्रंप ने दी चेतावनी.

अमेरिका के होने वाले अगले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर रेसिप्रोकल टैक्स लगाने की धमकी दी है। मतलब कि अगर भारत अमेरिकी प्रोडक्ट्स पर जितना टैक्स लगाएगा, उतना ही टैक्स अब ट्रंप भारतीय प्रोडक्ट्स पर भी लगाने की बात कर रहे हैं। उन्होंने भारत द्वारा कुछ अमेरिकी प्रोडक्ट्स के आयात पर लगाए गए हाई टैरिफ के जवाब में रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने के अपने इरादे को दोहराया है। डोनाल्ड ट्रंप मीडिया से बात कर रहे थे, जब उन्होंने कहा, रेसिप्रोकल। अगर वे हम पर टैक्स लगाते हैं, तो हम भी उन पर उतना ही टैक्स लगाएंगे। वे हम पर टैक्स लगाते हैं। हम उन पर टैक्स लगाएंगे। उन्होंने कहा, वे हम पर टैक्स लगाते हैं, लगभग सभी मामलों में, वे हम पर टैक्स लगा रहे हैं, और हम उन पर टैक्स नहीं लगा रहे हैं। अगले अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप चीन के साथ संभावित ट्रेड एग्रीमेंट पर एक सवाल का जवाब देते हुए टिप्पणी की। ट्रंप ने कहा कि भारत और ब्राजील उन देशों में शामिल हैं जो कुछ अमेरिकी प्रोडक्ट्स पर हाई टैरिफ लगाते हैं। ट्रंप ने कहा, रेसिप्रोकल शब्द अहम है क्योंकि अगर कोई हम पर चार्ज लगा रहा है – भारत, हमें अपने बारे में बात करने की जरूरत नहीं – अगर भारत हमें 100 फीसदी चार्ज करता है, तो क्या हम उसे कुछ भी चार्ज न करें? वे हमें साइकिल भेजते हैं और हम भी उन्हें साइकिल भेजते हैं। वे हमें 100-200 चार्ज करते हैं। ट्रंप ने आगे कहा, भारत बहुत ज्यादा चार्ज करता है।

92 फीसदी कपल ले लेते हैं डिवोर्स, विकराल हो रहा है तलाक का संकट
बेंगलुरु के एआई इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या का मामला चर्चा में बना है। अतुल सुभाष ने 9 दिसंबर को खुदकुशी कर ली थी। अतुल ने अपनी मौत के लिए पत्नी निकिता सिंघानिया, सास निशा सिंघानिया, साले अनुराग सिंघानिया और चाचा सुशील सिंघानिया को जिम्मेदार ठहराया था। अतुल सुभाष का मामला सामने आने के बाद एक धड़ा ऐसा भी है जो तलाक के कानूनों में खामियां निकाल रहा है। भारतीय समाज में तलाक को अच्छा नहीं माना जाता है। फिर भी हर साल लाखों की संख्या में तलाक के मामले अदालतों में जाते हैं। आजादी के बाद 50 के दशक में हिंदू कोड बिल आया। इस कानून ने महिलाओं को तलाक का अधिकार दिया। इसके बाद 1976 में इसमें संशोधन किया गया और पति-पत्नी को सहमति से तलाक की अनुमति मिली। अमेरिका और यूरोपीय देशों से इतर भारतीय समाज में तलाक या फिर शादी के बाद अलग-अलग रहने को अच्छी नजर से नहीं देखा जाता है। लेकिन समय के साथ-साथ तलाक के मामले भी बढ़े हैं।

संवैधानिक रुतबे का ध्यान रखें…, जज शेखर यादव को मिली नसीहत
विश्व हिंदू परिषद के कार्यक्रम में विवादित बयान देने वाले इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज शेखर यादव को सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जजों ने फटकार लगाई है। सूत्रों के मुताबिक, सीजेआई जस्टिस संजीव खन्ना की अगुवाई वाले पांच जजों के कॉलेजियम ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव को फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें सलाह दी है कि वे अपने संवैधानिक पद की गरिमा बनाए रखें। सार्वजनिक भाषण देते समय अपने संवैधानिक रुतबे का ध्यान रखें और अतिरिक्त सावधानी बरतें। कॉलेजियम में सीजेआईके अलावा जस्टिस बी आर गवई, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस हृषिकेश रॉय और ए जस्टिस एस ओक भी शामिल थे। मंगलवार को जज शेखर यादव सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों के कॉलेजियम के सामने पेश हुए। उन्होंने कहा कि मीडिया ने अनावश्यक विवाद पैदा करने के लिए उनके भाषण से चुनिंदा अंश पेश किए हैं। लेकिन कॉलेजियम उनके स्पष्टीकरण से सहमत नहीं था और भाषण में जिस तरह से उन्होंने कुछ बयान दिए, उसके लिए उन्हें फटकार लगाई।

संजय सिंह पर गोवा के सीएम की पत्नी ने 100 करोड़ की मानहानि का केस ठोका
आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह की मुश्किलें बढ़ गई हैं। गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत की पत्नी सुलक्षणा सावंत ने संजय सिंह के खिलाफ 100 करोड़ का मानहानि का मुकदमा दायर किया है। संजय सिंह ने इस महीने की शुरुआत में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान गोवा में कैश-फॉर-जॉब्स घोटाले में कथित तौर पर सुलक्षणा सावंत का नाम लिया था। सुलक्षणा सावंत ने संजय सिंह के खिलाफ गोवा के बिचोलिम में सिविल जज सीनियर डिवीजन कोर्ट में मानहानि का मुकदमा दायर किया। एक आधिकारिक प्रेस नोट के अनुसार संजय सिंह ने सुलक्षणा सावंत को गोवा में कैश-फॉर-जॉब्स घोटाले से जोड़ा, जिसमें दावा किया गया कि वह भ्रष्ट आचरण में शामिल थीं। आरोपों में कहा गया है, इन बयानों को कई राष्ट्रीय और क्षेत्रीय समाचार चैनलों पर लाइव प्रसारित किया गया और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर व्यापक रूप से शेयर किया गया, जहां उन्हें काफी देखा गया। मानहानि के मुकदमे में दावा किया गया है कि ये झूठे आरोप बिना किसी विश्वसनीय सबूत के लगाए गए थे, जिससे सुलक्षणा सावंत की ईमानदारी और सार्वजनिक छवि को नुकसान पहुंचा है।

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