भर्ती परीक्षाओं की बढ़ेगी फीस

नौकरी की चाह वाले युवाओं पर आर्थिक बोझ डालने की तैयारी.

विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र सरकार नए साल में सरकारी नौकरियों का पिटारा खोलने जा रही है। इस खबर को सुनकर प्रदेश के लाखों युवा उत्साहित हैं। वहीं दूसरी तरफ सरकारी नौकरी की चाह वाले युवाओं पर ईएसबी आर्थिक बोझ डालने की तैयारी हो रही है। यानी मप्र कर्मचारी चयन मंडल यानी ईएसबी इस साल आयोजित होने वाली परीक्षाओं के लिए फीस बढ़ाने की तैयारी कर रहा है। मंडल की जनवरी के तीसरे हफ्ते में होने वाली अर्धवार्षिक बोर्ड मीटिंग में परीक्षाओं की फीस बढ़ाने का प्रस्ताव रखा जा सकता है। सूत्रों का कहना है कि परीक्षा फीस में 10 से 20 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है। खास बात ये है कि पिछले साल जुलाई में बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने घोषणा की थी कि भर्ती परीक्षाओं में शुल्क को लेकर सरकार एक नई नीति बनाएगी। उधर, अधिकारियों का तर्क है कि साल 2012 से परीक्षा फीस नहीं बढ़ाई गई है। ईएसबी एक ऑटोनॉमस बॉडी है। इतनी कम फीस में परीक्षा कराकर खर्च निकालना संभव नहीं है।
कांग्रेस नेता पारस सकलेचा कहते हैं कि बेरोजगार युवाओं को 20 अलग-अलग परीक्षाओं के लिए 20 बार फीस देनी पड़ती है। कर्मचारी चयन मंडल व्यापारी की तरह दुकान चला रहा है। दिसंबर 2022 तक कर्मचारी चयन मंडल के पास 798 करोड़ का फिक्स डिपॉजिट था। वो भी तब जब परीक्षाओं के आयोजन के लिए उसने निजी एजेंसियों को पैसा दिया। जनवरी 2023 से 15 जून 2023 के साढ़े 5 महीने में कर्मचारी चयन बोर्ड ने 6 परीक्षाओं का आयोजन किया। इनमें 32.60 लाख उम्मीदवारों ने परीक्षा फीस के 107 करोड़ रुपए दिए। सकलेचा के मुताबिक, इस समय कर्मचारी चयन मंडल के पास 340 करोड़ रुपए फिक्स डिपॉजिट है। उनके बार-बार पूछने के बाद भी सरकार ये बताने को तैयार नहीं है कि ईएसबी इन अतिरिक्त रुपयों का क्या कर रही है? वहीं, जानकारों का कहना है कि देश के बाकी राज्यों के मुकाबले मप्र में परीक्षा फीस सबसे ज्यादा है। कर्मचारी चयन मंडल हर परीक्षा के लिए अनरिजर्व्ड कैटेगरी के छात्रों से 500 रुपए तो रिजर्व कैटेगरी के छात्रों से 250 रुपए एग्जाम फीस लेता है। जनवरी में होने वाली बोर्ड मीटिंग में मौजूदा फीस को 10 से 20 फीसदी तक बढ़ाए जाने का प्रस्ताव रखा जा सकता है। यदि 10 फीसदी फीस बढ़ाने के प्रस्ताव पर सहमति बनती है तो अनरिजर्व्ड कैटेगरी के कैंडिडेट्स के लिए फीस 550 रुपए और रिजर्व कैटेगरी के कैंडिडेट्स के लिए 275 रुपए होगी। इसी तरह 20 फीसदी फीस बढ़ाने के प्रस्ताव को सहमति मिलने पर अनरिजर्व्ड कैटेगरी के कैंडिडेट्स को 600 रुपए तो रिजर्व कैटेगरी के कैंडिडेट्स को 300 रुपए प्रति एग्जाम फीस चुकानी होगी। पड़ोसी राज्य गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ की भर्ती परीक्षाओं के मुकाबले मप्र में एग्जाम फीस पहले से महंगी है। नए प्रस्ताव के बाद ये और बढ़ जाएगी।

परीक्षा कराना मुनाफे का सौदा
कर्मचारी चयन मंडल के लिए परीक्षा आयोजित करवाना मुनाफे का सौदा है। मंडल छात्रों से वसूले परीक्षा शुल्क से हर साल करोड़ों रुपए की कमाई करता है जबकि परीक्षा कराने सहित दूसरे बंदोबस्त पर खर्च 250 रुपए प्रति छात्र आता है। बाकी पैसा बचत खाते में जाता है। साल 2011-12 में मंडल (व्यापमं) ने परीक्षा शुल्क से 98.30 करोड़ रुपए की कमाई की जबकि खर्च हुए 27.89 करोड़ रुपए। हर साल कमाई की ये रकम बढ़ती ही जा रही है। 2021 में बोर्ड ने भर्ती परीक्षाओं से 103 करोड़ रुपए की कमाई की और खर्चा मात्र 32.16 करोड़ रुपए हुआ। यानी बोर्ड को छात्रों से मिले परीक्षा शुल्क से करीब 71 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ। वहीं, साल 2022 में एग्जाम फीस से ईएसबी को 62.43 करोड़ रुपए की कमाई हुई, खर्च हुआ 49.65 करोड़ रुपए। यानी करीब 13 करोड़ रुपए का मुनाफा। 2023 में वन टाइम फीस ली गई थी। इस वजह से कमाई से ज्यादा खर्च हुआ। साल 2024 में नौ परीक्षाओं की फीस से ईएसबी ने 18.16 करोड़ रुपए की कमाई की और इन परीक्षाओं पर 15.23 करोड़ रुपए खर्च हुए।

वन टाइम फीस का आदेश अभी भी अधर में
मप्र सरकार ने विधानसभा चुनावों से पहले अप्रैल 2023 में युवाओं को राहत देते हुए सरकारी भर्तियों के लिए अलग-अलग परीक्षाओं में अलग-अलग शुल्क देने से छूट दी थी। सरकारी नौकरी के लिए कर्मचारी चयन मंडल के माध्यम से होने वाली सभी परीक्षाओं में उम्मीदवार से एक बार ही परीक्षा शुल्क लिए जाने की व्यवस्था की गई थी। इसके तहत अभ्यर्थी को नामांकन के लिए एक बार प्रोफाइल का रजिस्ट्रेशन करना होता था। उसके बाद पहली परीक्षा में आवेदन भरने के समय उसके लिए निर्धारित परीक्षा और पोर्टल शुल्क देना होता था। इसके बाद किसी अन्य परीक्षा में आवेदन करते समय उन्हें परीक्षा शुल्क नहीं देना होता था। इस आदेश में एक पॉइंट यह था कि यह एक साल के लिए प्रभावी है। इसकी मियाद 20 अप्रैल 2024 को खत्म हो गई लेकिन साल 2023 में परीक्षा देने वाले छात्रों की संख्या साल 2022 के मुकाबले 8 लाख बढ़ गई।

ईएसबी के पास 340 करोड़ सरप्लस
ईएसबी के पास 340 करोड़ रुपए सरप्लस पड़े हुए हैं। इनका क्या इस्तेमाल हो रहा है, ये किसी को नहीं पता। मंडल की अर्धवार्षिक बोर्ड मीटिंग में परीक्षाओं की फीस बढ़ाने का प्रस्ताव रखा जा सकता है। सूत्रों का कहना है कि एग्जाम फीस में 10 से 20 फीसदी की बढ़ोतरी की जा सकती है। व्यापमं पर सरकारी नौकरियों की परीक्षा आयोजित करने और एक दर्जन से ज्यादा परीक्षाओं में घोटाले, गड़बड़ी तथा अपात्र युवाओं का चयन करने के आरोप लग चुके हैं। इन आरोपों के चलते सरकार ने इसका तीसरी बार नाम बदलकर मप्र कर्मचारी चयन मंडल किया है। पिछले साल जुलाई में बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने घोषणा की थी कि भर्ती परीक्षाओं में शुल्क को लेकर सरकार एक नई नीति बनाएगी। उधर, अधिकारियों का तर्क है कि साल 2012 से परीक्षा फीस नहीं बढ़ाई गई है। ईएसवी एक ऑटोनॉमस बॉडी है। इतनी कम फीस में परीक्षा कराकर खर्च निकालना संभव नहीं है। वहीं, जानकारों का कहना है कि देश के बाकी राज्यों के मुकाबले मप्र में एग्जाम फीस सबसे ज्यादा है। ईएसबी के पास 340 करोड़ रुपए सरप्लस पड़े हुए हैं। पड़ोसी राज्य गुजरात, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ की भर्ती परीक्षाओं के मुकाबले मप्र में एग्जाम फीस पहले से महंगी है।