– वेदांत से विश्व विचार तक रहा है स्वामी विवेकानंद का योगदान
– स्वामी विवेकानंद के आदर्शों ने आधुनिक भारत को दी नई दिशा
– उठो, जागो और तब तक मत रुको, जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।
स्वामी विवेकानंद की जयंती यानी 12 जनवरी, जिसे हम राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाते हैं। एक ऐसा दिन जब हम भारत के युवाओं के लिए एक प्रेरणादायी व्यक्तित्व को याद करते हैं। उनके विचारों ने भारत को एक नई दिशा दी और युवाओं के मन में देशभक्ति और आत्मविश्वास का बीज बोया। स्वामी विवेकानंद सिर्फ एक व्यक्ति नहीं थे, बल्कि एक विचार थे, एक आंदोलन थे। उनके आदर्श आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने पहले थे। स्वामी विवेकानंद ने युवाओं को सिखाया कि वे अपनी क्षमताओं पर विश्वास करें और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करें। उन्होंने कहा था, उठो, जागो और तब तक मत रुको, जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए। उनकी इसी प्रेरणा ने लाखों युवाओं को सफलता के शिखर पर पहुंचाया। युवा दिवस हमें प्रेरित करता है कि हम भी अपने देश और समाज के लिए कुछ कर सकते हैं। यह दिन हमें यह भी याद दिलाता है कि युवाओं के हाथों में ही देश का भविष्य है। 1893 में शिकागो में विश्व धर्म संसद में स्वामी विवेकानंद का भाषण एक ऐतिहासिक क्षण था। उनके इस भाषण ने भारत को विश्व पटल पर एक नए सिरे से स्थापित किया। इस भाषण ने दुनिया को भारत की संस्कृति और आध्यात्मिकता से परिचित कराया। स्वामी विवेकानंद ने देश के आध्यात्म, शिक्षा और स्वाभिमान को विश्व पटल पर अंकित किया। वास्तव में स्वामी विवेकानंद आधुनिक भारत के वे आदर्श प्रतिनिधि हैं। जिनकी प्रेरणाएं हमें आज भी मार्ग दिखाती हैं। वे हमें याद दिलाते हैं कि हम सभी में अपार शक्ति है। हमें बस उस शक्ति को पहचानना है और उसका उपयोग करना है। शिकागो में जब विवेकानंद को दुनिया ने सुना तो जाना कि भारत की धरती पर एक ऐसा व्यक्तित्व पैदा हुआ है जो दिशाहारा मानवता को सही दिशा देने में समर्थ है। शिकागो में विवेकानंद ने कहा था मुझे गर्व है कि मैं उस धर्म से हूं जिसने दुनिया को सहिष्णुता और सार्वभौमिक स्वीकृति का पाठ पढ़ाया है। हम सिर्फ सार्वभौमिक सहिष्णुता पर ही विश्वास नहीं करते बल्कि, हम सभी धर्मों को सच के रूप में स्वीकार करते हैं। मैं उस देश से हूं जिसने सभी धर्मों और देशों के सताए गए लोगों को अपने यहां शरण दी। इसका अर्थ यह है कि विवेकानंद भी भारत की सहिष्णुता और सर्वधर्म समभाव को भारत की सबसे बड़ी पूंजी मानते थे। वसुधैव कुटुम्बकम की अवधारणा को दुनिया से परिचित कराने में विवेकानंद का अभूतपूर्व योगदान था।
‘‘भाईयों एवं बहनों’’ कहकर किया संबोधित: वेदांत के विख्यात और प्रभावशाली आध्यात्मिक गुरू के रूप में स्वामी विवेकानंद का नाम पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। उनका वास्तविक नाम नरेंद्रनाथ दत्त था। भारत का आध्यात्मिकता से परिपूर्ण वेदांत दर्शन अमेरिका और यूरोप के हर एक देश में स्वामी विवेकानंद के उद्बोधन के कारण हुआ। इस उद्बोधन में स्वामी विवेकानंद द्वारा सभी को ‘‘भाईयों एवं बहनों’’ कहकर संबोधित किए जाने ने सभी के मन पर गहरा प्रभाव डाला। वे संत रामकृष्ण परमहंस के सुयोग्य शिष्य थे। उन्होंने रामकृष्ण मिशन की स्थापना भी की, जो आज भी अपना
काम कर रहा है।
युवा दिवस: 12 जनवरी: स्वामी विवेकानंद की जयंती के उपलक्ष्य में 12 जनवरी 1984 को युवा दिवस की घोषणा की गई थी। इसके बाद से हर साल इस दिन युवा दिवस मनाया जाता है। वास्तव में स्वामी विवेकानंद आधुनिक मानव के आदर्श प्रतिनिधि हैं। विशेषकर भारतीय युवाओं के लिए स्वामी विवेकानंद से बढक़र दूसरा कोई नेता नहीं हो सकता जिसने विश्व पटल पर अपनी अमिट छाप छोड़ी हो। उन्होंने हमें जो स्वाभिमान दिया है वह उत्तराधिकार के रूप में प्राप्त कर हमारे अंदर आत्मसम्मान और अभिमान जगा देता है। स्वामीजी ने जो लिखा वह हमारे लिए प्रेरणा है। यह आने वाले लंबे समय तक युवाओं को प्रेरित व प्रभावित करता रहेगा।
विवेकानंद की जयंती 12 जनवरी को मनाई जाती है लेकिन विवेकानंद के सिद्धांत पूरी दुनिया में 12 महीनों के 365 दिन प्रासंगिक हैं। जिस वेदांत को उन्होंने अपनी छोटी सी उम्र में रचा उसे उन्होंने जीवन पर्यंत अपनाया भी। वेदांत एक सिद्धांत के रूप में नहीं बल्कि एक व्यवहारिकता के रूप में विवेकानंद के जीवन में था। इसलिए अपने जीवन काल में विवेकानंद इतना प्रभाव उत्पन्न कर पाए। उन्होंने भारतीय वांग्मय और भारतीय धर्म-संस्कृति का ही विश्व को परिचय नहीं कराया बल्कि सार्वभौमिक सहिष्णुता के उस सिद्धांत को संसार के हर कोने तक पहुंचाने की कोशिश भी की। विवेकानंद की जयंती पर जरूरत है प्रज्ञावान बनने की, स्वयं को पहचानने की, अपनी आयु से ऊपर उठकर विचार करने की। आप सभी को स्वामी विवेकानंद की जयंती की अनेकानेक शुभकामनाएं।