सौरभ शर्मा: लेनदेन की डायरी के खुलेंगे राज…
भोपाल/मंगल भारत। पूर्व परिवहन आरक्षक सौरभ शर्मा के करीबी दोस्त और बिजनेस पार्टनर शरद जायसवाल से भी पूछताछ जारी है। लोकायुक्त की टीम शरद को आज रिमांड पर लेने के लिए कोर्ट में पेश कर सकती है। वह पुलिस को गुमराह करने स्वयं को बेकसूर बता रहा है। सौरभ ने उसके दस्तावेजों को इस्तेमाल कर संपत्तियां खरीदी हैं। वह केवल सौरभ के रेस्टोरेंट, होटल का बिजनेस देखता था। अब लोकायुक्त की टीम आरोपी सौरभ, शरद और चेतन का आमना-सामना कराने की तैयारी में है। जिससे यह साफ हो सके कि कम समय में सौरभ और उसके सहयोगियों ने इतनी बड़ी मात्रा में धन कैसे अर्जित किया। काली कमाई को सोने चांदी की सिल्लियों में कैसे कन्वर्ट कराया जाता था। अवैध नाकों से खुलेआम वसूली के खेल में और कौन-कौन लोग उनके सहयोगी रहे हैं। इस कमाई का हिस्सा कहां और किस तक जाता था। फिलहाल सौरभ 4 फरवरी तक रिमांड पर है। सौरभ शर्मा की परिवहन विभाग में नियुक्ति शिवराज सरकार में पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह के कार्यकाल में हुई थी। उसकी नियुक्ति भी सवालों के घेरे में है। हालांकि, इन आरोपों पर भूपेंद्र सिंह जवाब दे चुके हैं कि कांस्टेबल की नियुक्ति में मंत्री का सीधा कोई दखल नहीं होता। सौरभ शर्मा 2016 से 2023 तक नौकरी में रहा। इस बीच, कांग्रेस से भाजपा में आए गोविंद सिंह राजपूत, कमलनाथ और शिवराज सरकार में परिवहन मंत्री रहे। सौरभ शर्मा ने उनके कार्यकाल में करीब चार साल तक नौकरी की। दरअसल, कांग्रेस के कई बड़े नेता आरोप लगा चुके हैं कि एक कांस्टेबल इतना पैसा बिना किसी सफेदपोश और बड़े अधिकारी के संरक्षण के बगैर नहीं कमा सकता। इसमें गोविंद सिंह राजपूत पर भी आरोप लगे। हालांकि, राजपूत ने भी इन आरोपों पर जवाब दिया कि इस मामले में मेरा कोई लेना—देना नहीं है। जांच एजेंसियां अपना काम कर रही हैं। जांच के बाद सब क्लियर हो जाएगा।
डायरी में कई अधिकारियों के नाम
सौरभ के दोस्त चेतन गौर की गाड़ी में एजेंसी को एक डायरी मिली है, जिसमें प्रदेश के सभी जिलों के अधिकारियों के हिसाब किताब लिखे होने की बात सामने आई है। अब सौरभ और चेतन गौड़ पूछताछ में डायरी में किन अधिकारियों का लेखा जोखा है, उसका खुलासा कर सकते हैं। बताया जा रहा है कि डायरी में उन अधिकारियों की पूरी डिटेल है, जिनको उगाही का हिस्सा देता था। ऐसे में कई अधिकारियों और नेताओं की अब धडक़नें बड़ी हुई हैं।
दो दशक बाद सौरभ के लिए खुली लोकायुक्त की हवालात
लोकायुक्त थाने की हवालात में दो दशक बाद कोई आरोपी रहेगा। दरअसल, 2004 के बाद से लोकायुक्त ने गिरफ्तार कर हवालत में रखना बंद कर दिया था। अब 20 साल बाद सौरभ शर्मा, चेतन सिंह गौर और शरद जायसवाल लोकायुक्त की सलाखों में एक साथ रहेंगे। दरअसल, 2004 में लोकायुक्त पुलिस ने कमर्शियल टैक्स विभाग के तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर आरके जैन को गिरफ्तार किया था, उनको लोकायुक्त थाने की हवालात में रखा गया था। आरके जैन ने हवालात में आत्महत्या कर ली थी। इस मामले में तत्कालीन लोकायुक्त डीएसपी समेत कई पुलिस कर्मचारियों को सस्पेंड कर दिया गया था और उनके खिलाफ जांच बैठा दी गई थी। उस समय प्रदेश में उमा भारती की सरकार थी। इस घटना से सरकार की किरकिरी हुई थी। इसके बाद लोकायुक्त ने गिरफ्तार कर हवालात में रखना बंद कर दिया था। अब 20 साल बाद सौरभ और उसके दो साथियों को लोकायुक्त की हवालत में रखा जाएगा। सौरभ शर्मा और उसके दो साथियों को लॉकअप में रखने के रखने के सवाल पर लोकायुक्त एसपी दुर्गेश राठौर ने कहा कि हमने तीनों को कड़ी सुरक्षा के साथ रखा है।
जांच एजेंसी की कार्यप्रणाली पर खड़े हुए सवाल
सौरभ शर्मा के ठिकानों पर लोकायुक्त ने 19 दिसंबर को छापा मारा था। इसके बाद से वह फरार था। इसके बाद एजेंसियों के उसके दुबई जाने की बात कही। वहीं, रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया गया। हालांकि, बाद में उसके 23 दिसंबर को भारत लौट आने की जानकारी भी सामने आई। वह इसके बाद से दिल्ली समेत अलग-अलग शहरों में घूम रहा था। वह अपने परिवार के संपर्क में था। चौंकाने वाली बात यह है कि इस बीच वह भोपाल भी आया, लेकिन एजेंसियां सोती रहीं। सौरभ के वकील राकेश पाराशर ने दावा किया कि सोमवार को सौरभ कोर्ट आया और आवेदन पर हस्ताक्षर किए। इसके बावजूद एजेंसियों को कोई भनक तक नहीं लगी। ऐसे में अब जांच एजेंसियों की कार्यप्रणाली भी संदेह के घेरे में है।