पुलिस विभाग में बड़े बदलाव से डीएसपी नाराज

नई व्यवस्था में कलेक्टर की तरह होंगे एसपी के अधिकार.

मप्र पुलिस विभाग में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। अब जिले में डीएसपी रैंक के अफसरों को जोन का प्रभार देने का अधिकार एसपी को होगा। यह डिप्टी कलेक्टर रैंक के अफसरों की पोस्टिंग जैसी हो जाएगी। अभी जिले में कलेक्टर तय करते हैं कि डिप्टी कलेक्टर को एसडीएम बनाना है या कोई प्रभार देना है। नई व्यवस्था में कलेक्टर की तरह ही एसपी को अधिकार होंगे। अभी डीएसपी की पोस्टिंग जिले के जोन के हिसाब से होती है। आदेश गृह विभाग निकालता है। अभी डीएसपी के तबादल गृह विभाग करता हैं। वह डीएसपी का तबादला सब डिविजन में सीधे करता है। नए प्रस्ताव में अब गृह विभाग सीधे किसी भी डीएसपी का तबादला सब डिविजन में नहीं कर सकता है। वह डीएसपी को जिले में भेजेगा। जहां से एसपी अपने अनुसार डीएसपी को सब डिवीजन में पोस्ट कर सकेंगे। पुलिस हेडक्वॉर्टर ने प्रस्ताव गृह विभाग को भेजा है। इसके तहत गृह विभाग डीएसपी रैंक के अफसरों को जिले में भेजेगा। एसपी उनकी जिम्मेदारी तय करेंगे। प्रस्ताव पर सीएम डॉ. मोहन यादव और डीजीपी कैलाश मकवाना की चर्चा हो चुकी है। प्रस्ताव से डीएसपी रैंक के अफसरों में नाराजगी है। उनका मानना है, इससे उनकी स्थिति टीआई जैसी होगी। कई बार विवादों में टीआई को हटाया जाता है, वैसा ही दबाव उन पर होगा। हालांकि अब भी कई बार जिलों के एसपी ही डीएसपी को पुलिस सब डिविजंस में पोस्ट करते हैं। कई बार गृह विभाग डीएसपी को सब डिविजन की पोस्टिंग न देकर जिले में भेज देता है। ऐसे में एसपी के पास अधिकार होता है कि खाली सब डिजिवन में वह डीएसपी को पदस्थ कर दें।
रापुसे के अफसर दो फाड़
गौरतलब है कि पुलिस मुख्यालय ने एक प्रस्ताव तैयार कर मंजूरी के लिए गृह विभाग को भेजा है। पीएचक्यू के इस प्रस्ताव को लेकर अफसरों में अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आने लगी हैं। डीएसपी रैंक के अफसरों को जिले में किस सब डिविजन में पोस्ट करना है, इसका अधिकार पुलिस अधीक्षकों को दिए जाने के प्रस्ताव पर बवाल मच गया है। राज्य पुलिस सेवा के अफसर इसमें दो फाड़ नजर आने लगे हैं। कुछ अफसर चाहते हैं कि इस प्रस्ताव को मंजूर कर लागू किया जाए, जबकि कुछ अफसर चाहते हैं कि यह व्यवस्था लागू नहीं हो। इस संबंध में करीब सात दिन पहले पुलिस मुख्यालय ने गृह विभाग को प्रस्ताव भेजा है। राज्य पुलिस सेवा के सोशल मीडिया ग्रुप में इसका जबरदस्त विरोध हो रहा है। वहीं पुलिस मुख्यालय की मानें तो वह अपने एसपी को कलेक्टर की तरह पोस्टिंग के अधिकार दिलाने का काम कर रहे हैं। अभी जिलों में एसडीएम की पोस्टिंग कलेक्टर करते हैं। सूत्रों की मानी जाए तो राज्य पुलिस सेवा के खासकर वर्ष 2015 से 2018 तक के अफसर विरोध कर रहे हैं। अफसरों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अभी पुलिस अधीक्षक निरीक्षकों की भी पदस्थापना अपने हिसाब से थाने में करते हैं। उससे अपराधों में कहीं कमी नहीं आई। जबकि निरीक्षकों की पदस्थापना में राजनीतिक हस्तक्षेप भी ज्यादा होता है। विधायकों के अनुसार ही थानों में टीआई की पोस्टिंग एसपी कर देते हैं। यह व्यवस्था ठीक नहीं हैं। अभी जो व्यवस्था चल रही है, वह ही है, वह ही बेहतर है। इसमें भी डीएसपी अपने एसपी के अनुसार ही चलते हैं। एसपी उनकी सीआर लिखते हैं, तो वे एसपी के आदेश का पूरा पालन करते हैं। हालांकि इसमें यह भी बात सामने आई कि कुछ डीएसपी चाहते हैं कि यदि शासन यह व्यवस्था लागू करना चाहता है तो इसमें यह शर्त लागू की जाए कि डीएसपी की पोस्टिंग से पहले डीजीपी या आईजी से अनुमोदन लिया जाए। इस संबंध में डीएसपी रैंक के कुछ अफसरों ने बिना हस्ताक्षर के ज्ञापन अफसरों को भेजा है।
कुछ ने सोशल मीडिया पर जताया समर्थन
सीनियर अफसर इस प्रस्ताव के समर्थन में आ गए हैं। सोशल मीडिया ग्रुप के जरिए कुछ अफसरों ने समर्थन जताया जा रहा है। इसमें लिखा गया है कि कभी भी अच्छे निरीक्षक को खराब पोस्टिंग नहीं मिली। इसलिए किसी भी अच्छे डीएसपी को खराब पोस्टिंग जिलों में एसपी के द्वारा नहीं की जाएगी। पुलिस अधीक्षक अपनी सर्वश्रेष्ठ टीम को ही महत्वपूर्ण पद पर रखना चाहता है। यह अधिकार एसपी को दिए जाने के बाद जिले में कुछ भी घटना हुईं, तो उसकी जवाबदारी पूर्ण रूप से एसपी की ही मानी जाएगी। इसमें यह भी कहा गया है कि जो सीधी भर्ती के डीएसपी हैं, वे आगे चलकर एसपी भी बनेंगे, तब वे भी इस अधिकारी का उपयोग करेंगे।

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