128 सीटों पर भाजपा को हो सकता है बड़ा नुकसान

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और नरेंद्र सिंह तोमर के नेतृत्व में एक बार फिर मोर्चा फतह करने के लिए भाजपा ने कमर कस ली है। लेकिन राह आसान नहीं रहने वाली। राज्य के कुछ इलाकों में भाजपा के खिलाफ माहौल बन रहा है। ऐसे में इन इलाकों की 128 सीटों पर पार्टी को नुकसान का सामना करना 

Anchor Pramukh Neelu Singh Parihar Mangal Bharti samachar patrika ki Vishesh report..

विधानसभा चुनाव के मद्देनजर आंतरिक रिपोर्ट ने भाजपा नेतृत्व की नींद उड़ा दी है, रिपोर्ट के अनुसार चार अंचलों में भाजपा की हाल खराब है, वहीं महाकौशल में सुधार की उम्मीद है। विधानसभा के नवंबर-दिसंबर में प्रस्तावित चुनाव को लेकर भाजपा नेतृत्व ने जो अपनी आंतरिक रिपोर्ट तैयार की है, वह चौंकाने वाली है। इस रिपोर्ट ने नीचे से ऊपर तक पार्टी के सभी नेताओं को नींद उड़ा दी है। खबर है कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने जबलपुर के भेड़ाघाट में पार्टी के चुनिंदा नेताओं की जो बैठक ली, उसमें इस रिपोर्ट पर चर्चा हुई। यह रिपोर्ट भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव अनिल जैन ने शाह को सौंपी थी। भाजपा अध्यक्ष शाह से मिलने से पहले जैन भोपाल आए थे और फीडबैक लेकर गए थे। इस रिपोर्ट में प्रदेश के चार अंचलों में भाजपा की हालत खराब बताई गई है, ये अंचल है चंबल-ग्वालियर, बुंदेलखंड, विंध्य व महाकौशल। इनमें से चंबल-ग्वालियर एवं विंध्य में भाजपा की हालत ज्यादा नाजुक बताई गई है। रिपोर्ट में महाकौशल की कमजोर की श्रेणी में तो रखा गया है, पर यहां सुधार की गुंजाइश भी बताई गई है।
यहां से पार्टी की उम्मीद
रिपोर्ट में मध्य भारत एवं मालवा-निमाड़ अंचल में अब भी भाजपा को अच्छी स्थिति में माना गया है। भेड़ाघाट बैठक में बताया गया कि मध्य भारत अर्थात भोपाल के आसपास का क्षेत्र जहां कुल 36 विस क्षेत्र हैं, में भाजपा की हालत लगातार बेहतर बनी हुई है। मालवा-निमाड़ में कुल 66 विस क्षेत्र हैं। किसान आंदोलन को समर्थन न मिलने से साफ है कि यहां का मतदाता आज भी भाजपा पर भरोसा करता है। बैठक में तय किया गया कि मध्य भारत एवं मालवा-निमाड़ अंचल में ध्यान केंद्रित रखा जाए।
बसपा से तालमेल हुआ तो नुकसान
बैठक में बताया गया कि चंबल-ग्वालियर, बुंदेलखंड एवं विध्य बसपा के प्रभाव वाले भी क्षेत्र है। यदि यहां कांग्रेस का बसपा से गठबंधन हुआ तब ही ज्यादा चिंता करने की जरूरत है क्योंकि तब नुकसान ज्यादा हो सकता है। यदि किसी कारण बसपा से कांग्रेस का तालमेल न हुआ तो भाजपा आराम से ज्यादा सीटें जीतेगी। इसी प्रकार महाकौशल में गोंगपा को साथ लेने के बाद कांग्रेस कुछ सीटों पर भारी पड़ सकती है। बता दें, चंबल-ग्वालियर कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया जबकि विंध्य नेता प्रतिपक्ष अजय ङ्क्षसह के प्रभाव वाला क्षेत्र है। महाकौशल में प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ का असर माना जाता है। यहां कांग्रेस द्वारा बसपा एवं गोंगपा से तालमेल के प्रयास किए जा रहे हैं।
अमित शाह ने दिए हैं नेताओं को टिप्स
जिन चार अंचलों चंबल-ग्वालिर, बुंदलेखंड, विंध्य एवं महाकौशल में भाजपा को अपेक्षाकृत कमजोर बताया जा रहा है, वहां कुल 128 विधानसभा क्षेत्र हैं। अर्थात मध्यभारत, मालवा-निमाड़ से 26 ज्यादा। इन सीटों के लिए दोनों दलों भाजपा और कांग्रेस के बीच अच्छा संघर्ष होने की संभावना है। हालांकि, पिछले चुनाव में यहां भी भाजपा ने ही ज्यादा सीटें जीती थी। बुंदेलखंड में तो 26 में से 20 सीटें भाजपा के पास है। बहरहाल, खबर तो यह भी है कि भेड़ाघाट बैठक में अमित शाह ने कमजोर क्षेत्रों में जीत के लिए पार्टी नेताओं को कुछ मंत्र दिए हैं। इस पर अमल हो चुका है।
तोमर के नेतृत्व मेें इन नेताओं पर दारोमदार
मुख्यमंत्री के बाद केंद्रीय मंत्री तोमर दूसरे ऐसे नेता है, जिनके नेतृत्व में पार्टी चुनाव लडऩे जा रही है। इसलिए तोमर के नेतृत्व में चंबल-ग्वालियर में प्रभात झा, जयभान सिंह पवैया, माया ङ्क्षसह, लाल सिंह आर्य,रुस्तम सिंह, बुंदलखंड में गोपाल भार्गव, जयंत मलैया एवं भूपेद्र सिंह, विंध्य में राजेन्द्र शुक्ला एवं महाकौशल से राकेश सिंह, फग्गन सिंह कुलस्ते आदि कांग्रेस का मुकाबला करेंगे। बैठक में इन्हें कांग्रेस से ज्यादा सीटें जीत कर देने का टारगेट दिया गया है। भाजपा के असर वाले मध्य भारत, मालवा-निमाड़ में 102 विधानसभा सीटें हैं। इनमें मध्य भारत में 36 जिनमें से 29 भाजपा के पास हैं। मालवा में 45, इनमें से 41 भाजपा के पास है जबकि निमाड़ में कुल 21 सीटों में से 15 भाजपा के पास है। अर्थात 102 में से कुल 85 सीटें भाजपा के पास है। संभवत: इसलिए रणनीति के तहत मालवा निमाड़ में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय सक्रिय हुए हैं।