सौ साल पुराने रजिस्ट्री और नामांतरण के नियमों में बदलाव, राजस्व मंडल के अधिकारों में कटौती

मंगल भारत :-भोपाल:-चुनावी साल में प्रदेश सरकार को अब आमजन की परेशानियों का ध्यान आने लगा है। यही वजह है कि हाल ही में सरकार को उन नियमों की याद आयी है जो आमजन के लिए मुसीबत साबित हो रहे थे। राजस्व विभाग जुड़े कई नियमों को हाल ही में सरकार ने बदला है। यह वे नियम थे जो बीते एक शताब्दी से प्रदेश में लागू थे। जिसकी वजह से अब रजिस्ट्री व नामांतरण के नियमों के बदलाव कर दिया गया है यही नहीं राजस्व मंडल के अधिकारों में भी कटौती कर दी गई है। खास बात यह है कि इस महत्वपूर्ण इस विधेयक को सरकार ने इसे विधानसभा में चर्चा की बजाए शोरगुल के बीच आनन-फानन में पास कराया। इसकी बड़ी वजह राजस्व मंडल के घोटालों से किनारा करना बताया जा रहा है।
यह है खास
भू-राजस्व संहिता विधेयक 2018 में 122 धाराओं में बदलाव किया गया है। इसके साथ ही सीमांकन के प्रकरण निपटाने के अधिकार निजी एजेंसी को दे दिए हैं। निजी एजेंसी से सही निराकरण नहीं करती है तो अनुविभागीय अधिकारी से अपील की जा सकती है। फिर भी मामला नहीं सुलझेगा तो सीधे शासन को जाएगा। जबकि, पूर्व में राजस्व मंडल ही निर्णायक था। विवादों के निपटारों के अधिकार प्रमुख सचिव स्तर पर दे दिए गए हैं। यदि इन नियमों पर चर्चा होती तो कांग्रेस जमीन घोटालों पर प्रहार करती। राजस्व मंडल के तहत सरकारी जमीनों को कौडिय़ों के मोल बेचने के प्रकरण सामने आ चुके हैं। इसके बाद से ही राजस्व मंडल को समाप्त करने की कवायद शुरू हुई, जिसमें राजस्व मंडल के अधिकार कम कर दिए।
अभी तक 58 बार संशोधन
मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता-1959 में अब तक 58 संशोधन हुए हैं। प्रदेश सरकार ने इस बार भूमि सुधार आयोग की सिफारिशों के आधार पर ही 122 धाराओं में संशोधन किया है।
ये हुए प्रमुख बदलाव
-डायवर्सन के लिए अनुविभागीय अधिकारी की मंजूरी जरूरी नहीं। ऑनलाइन शुल्क की रसीद ही प्रमाण।
-नामांतरण की प्रति मुफ्त मिलेगी। सीमांकन निजी एजेंसी से होगा। पहले राजस्व मंडल करता था।
-भूमि स्वामी मनमाफिक जमीन रख बाकी का बंटवारा कर सकेगा।
-राजस्व सर्वेक्षण के लिए पूरे जिले को अधिसूचित नहीं करना होगा।
-पटवारी हलके के स्थान पर सेक्टर का नाम होगा।
-रजिस्ट्रार सत्यापन के बाद ही करेंगे रजिस्ट्री। नामांतरण प्रक्रिया तुरंत शुरू होगी।
-कृषि भूमि के कुछ हिस्सों को अन्य कार्य में डायवर्सन होने पर अलग-अलग भूखंड दर्शाए जाएंगे।
-निजी जमीन के अतिक्रमण पर 50 हजार व सरकारी जमीन के अतिक्रमण पर एक लाख जुर्माना।