रांची: ’14 दिन के बच्चे का एक लाख 20 हज़ार में सौदा’

झारखंड की राजधानी रांची स्थित मिशनरीज़ ऑफ़ चैरिटी पर कथित तौर पर बच्चों को बेचने का आरोप लगा है.

राज्य की बाल कल्याण समिति ने इस मामले में चैरिटी के ख़िलाफ़ प्राथमिकी दर्ज कराई है.

इस सिलसिले में चैरिटी की एक महिला कर्मचारी को गिरफ़्तार कर जेल भेजा गया है. साथ ही दो सिस्टरों को हिरासत में लेकर पुलिस पूछताछ कर रही है.

रांची में कोतवाली थाना के इंचार्ज एस एन मंडल ने चैरिटी की महिला कर्मचारी की गिरफ़्तारी की पुष्टि की है.

वहीं बाल कल्याण समिति ने नवजात बच्चे को इस समिति से बरामद कर लिया है. फ़िलहाल इन बच्चों को एक अन्य संस्था में रखा गया है.

थाना इंचार्ज एस एन मंडल ने बताया, “कुछ और बच्चों के भी अवैध तरीक़े से बेचे जाने की बात सामने आई है. उन बच्चों की माँओं के नाम पुलिस को मिले हैं. इसकी जाँच की जा रही है.”

पुलिस ने इस सेंटर में छापा मारकर एक लाख 48 हज़ार रुपये भी ज़ब्त किए हैं.

पुलिस का कहना है कि गिरफ़्तार की गई और हिरासत में ली गई महिलाकर्मियों ने बच्चों को बेचने की बात स्वीकार की है.बीबीसी

इस बीच बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष रूपा कुमार ने बताया है कि मानव तस्करी से मुक्त कराई गई या पाई गई वैसी नाबालिग युवतियाँ जो अविवाहित रहते हुए गर्भवती हो जाती हैं, उन्हें ‘निर्मल हृदय’ मिशनरीज़ ऑफ़ चैरिटी में आश्रय दिया जाता है.

इसकी पूरी जानकारी बाल कल्याण समिति को होती है.

अध्यक्ष रूपा कुमार ने बीबीसी को बताया है कि ”फ़िलहाल जिस मामले को लेकर कार्रवाई की जा रही है, उसमें नवजात बच्चे को उत्तर प्रदेश में रहने वाले एक दंपती के हाथों एक लाख बीस हज़ार रुपये में बेचा गया था. लेकिन उस दंपती से वह पैसे अस्पताल ख़र्च के नाम पर लिए गए. चैरिटी संस्था में कार्यरत महिलाकर्मियों ने किशोर न्याय अधिनियम की जानकारी होने के बावजूद इस कृत्य को अंजाम दिया है.”

अध्यक्ष रूपा कुमार के अनुसार, इनके अलावा कुछ और बच्चों को अलग-अलग जगहों में 50-70 हज़ार रुपये में बेचे जाने की जानकारी मिली है. उस बारे में पुलिस को प्राथमिकी के ज़रिए जानकारी दे दी गई है.

उन्होंने आशंका जताई है कि इस काम में बड़ा गिरोह शामिल हो सकता है. इसलिए पुलिस से बाल कल्याण समिति ने इस मामले की गहराई से जाँच करने का अनुरोध किया है.

रूपा कुमार ने बताया है कि जिस युवती ने बच्चे को जन्म दिया था, वह 19 मार्च को ‘निर्मल हृदय’ में आई थी.

14 दिन का था बच्चाबीबीसी

इस युवती ने रांची स्थित सदर अस्पताल में 1 मई, 2018 को एक लड़के को जन्म दिया था.

14 मई, 2018 को कथित तौर पर उत्तर प्रदेश के एक दंपती के हाथों एक लाख बीस हज़ार रुपये में इस बच्चे का सौदा किया गया.

बाल कल्याण समिति और पुलिस का कहना है कि मिशनरीज़ ऑफ़ चैरिटी की महिला कर्मचारी ने पूछताछ में ये जानकारी दी है. महिला कर्मचारी ने बताया है कि इस राशि में से 90 हज़ार रुपये एक सिस्टर को दिए गए.

बाल कल्याण समिति की रूपा कुमार ने कहा कि नियम के अनुसार युवती को प्रसव के लिए अस्पताल में भर्ती कराए जाने और बच्चे के जन्म की जानकारी समिति को दी जानी चाहिए थी.

उनके मुताबिक़ गिरफ़्तार गई महिलाकर्मी ने 30 जून को उस दंपती को ये कहते हुए रांची बुलाया था कि कुछ और क़ानूनी प्रक्रिया पूरी की जानी है, इसलिए वे लोग बच्चे को लेकर आएं.

वह दंपती 2 जुलाई को बच्चे को लेकर रांची पहुँचा और महिला कर्मचारी को ये कहते हुए बच्चे को सौंप दिया कि जल्दी ही उसे वापस कर दिया जाए. लेकिन उस दंपती को इसके बाद वो महिला कर्मचारी नहीं मिली.

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समिति की जाँच

इसके बाद दंपती ने बाल कल्याण समिति को मामले की पूरी जानकारी दी.

तब समिति को कुछ गड़बड़ी का अंदेशा हुआ. तत्काल महिला कर्मचारी को बुलाया गया तो उसने बताया कि बच्चे को उसी युवती को दे दिया गया है जिसने उसे जन्म दिया था.

इसके बाद युवती का बयान दर्ज करते हुए पुलिस से कार्रवाई करने को कहा गया.बीबीसी

इस बीच 3 जुलाई को समिति के सभी सदस्यों ने चैरिटी का जायज़ा लिया. अब बच्चा किसके पास रहेगा, ये कमेटी तय करेगी. इसके लिए फिर से ऑन-लाइन आवेदन देना होगा.

चैरिटी में रह रही अन्य लड़कियाँ घबराई हुई थीं. लिहाज़ा बाल कल्याण समिति ने चैरिटी में रह रही 13 युवतियों को दूसरे आश्रय स्थल में शिफ़्ट कर दिया है.

समिति का कहना है कि चैरिटी को सील किया जाएगा. इसकी कार्रवाई चल रही है.

पुलिस हिरासत में ली गई चैरिटी की एक सिस्टर ने बताया है कि बाल कल्याण समिति जाँच के लिए अक्सर सेंटर आती रहती है.

पैसे के बारे में पूछने पर पता चला कि 10 हज़ार रुपये गार्ड को दिए गए, 20 हज़ार रुपये महिला कर्मचारी ने रखे और 90 हज़ार रुपये सिस्टर को दिए गए. हालांकि सिस्टर को ये पैसे नहीं मिले.

बहरहाल, इस पूरे मामले की जानकारी उच्च अधिकारियों को दे दी गई है.

इस पूरे मामले में ‘निर्मल हृदय’ मिशनरीज़ ऑफ़ चैरिटी संस्था का पक्ष जानने के लिए रांची स्थित दो सेंटरों से संपर्क किया गया. लेकिन दोनों ही जगह के संचालकों ने कुछ कहने से इनकार कर दिया.

जिस सेंटर पर आरोप लगे हैं, वहाँ की एक महिला अधिकारी ने भी इस मामले पर टिप्पणी करने से मना किया है.

इस बीच भाजपा के सांसद समीर उरांव और भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के अध्यक्ष रामकुमार पाहन ने एक बयान जारी कर कहा है कि सेवा के नाम पर झारखंड में मिशनरीज़ की पोल अब खुलने लगी है.