मंगलभारत सतना !
7 जून 2018
Uploaded by – सौरभ सिंह (विद्रोही)
ये है सुप्रीम कोर्ट के माननीय पूर्व न्यायाधीश “आदर्श गोयल” कल ही रिटायर हुए है.
हाल ही मे इन्होने सुप्रीम कोर्ट के एक अन्य जज “उदय ललित” के साथ मिलकर SC/ST एक्ट मे संसोधन का फैसला सुनाया था,
कानूनी जानकारों का मानना है की संसोधन के फैसले से sc,st एक्ट कमजोर हुआ है.
माननीय पूर्व न्यायधीश महोदय कल रिटायर हुए और कल ही उन्हे “नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल” का पॉच साल के लिये चेयरमैन नियुक्त कर दिया गया.
भारतीय राजनीति और संघ-बीजेपी को करीब से जानने वाले राजनैतिक चिंतको का कहना है की —
यह संघ-बीजेपी का न्यायपालिका और नौकरशाही के लिये साफ संदेश है की अगर आप एडजस्ट कर के चलोगे तो आपको इसका ईनाम दिया जायेगा.
आपको बता दें की “नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल” के चेयरमैन का पद एक बेहद मालदार औहदा है.
यहां सारी कंपनियों से जुड़े प्रोजेक्टस् के पार्यावरण संबधी मामलो का निपटारा होता है, जमीन अधिग्रहण , जंगल काटने , नदियों के प्रदूषण़ से जुड़े सारे मामले यही साल्व होते है.
इस पद पर रहते हुए “गोयल” जज की कोठी मे ही रहेंगे सारी सुविधाये-नौकर-कर्मचारी-प्रोटोकाल बना रहेगा.
उनकी इस पद पर नियुक्ति की सिफारिस सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस “दीपक मिश्रा” ने की थी जिसे कल मोदी सरकार ने मान लिया.
चलिये अब थोडा “आदर्श गोयल” की पिछली जिंदगी मे नजर डालते है—
2001 मे पहली बार इन्हे “अटल बिहारी” जी की सरकार ने जज बनाया था. तब देश के कानून मंत्री “अरूण जेटली” थे.
IB की एक रिपोर्ट ने गोयल को तब भ्रष्ट बताया था जब पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के लिये इनके नाम की सिफारिसे आ रही थी.
साथ ही यह बताया गया था की गोयल RSS की एक संस्था “अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद” के महामंत्री रह चुके है और इनका स्पष्ट रूप से एक राजनैतिक विचारधारा से जुड़ाव रहा है.
पॉच जजों की नियुक्ति की फाइल जब उस समय के महामहिम राष्ट्रपति “श्री के.आर.नारायणन” के पास गई तो उन्होने गोयल की फाइल सरकार के पास वापस भेज दी थी,
लेकिन गोयल को जज बनाने पर ऊतारू BJP सरकार ने जब दोबारा फाइल महामहिम राष्ट्रपति के पास भेजी तो उनके पास उस फाइल मे साइन करने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नही रह गया था.
इसके बावजूद उन्होने फाइल मे अपनी नाराजगी लिख दी थी.