बूथ पर जीत की कुंजी तलाश रहीं भाजपा-कांग्रेस

मध्यप्रदेश में इसी साल होने जा रहे विधानसभा चुनाव में जीत की कुंजी भाजपा और कांग्रेस बूथ पर तलाश रही हैं। गुजरात में कांग्रेस को इस मैनेजमेंट पर सफलता मिलने के बाद भाजपा ने भी रणनीति बदल दी है। कायदे से कहा जाए, तो इस बार विधानसभा चुनाव राजधानी भोपाल से नहीं बूथ से लड़े जाएंगे। इसीलिए बूथ को लेकर दोनों पार्टियां अभी से सक्रिय हो गई हैं। कांग्रेस भी प्रदेश के 65 हजार बूथों का कनेक्शन सीधे पीसीसी से जोडऩे जा रही है।
भाजपा : बूथ पर 51 फीसदी मतदान का लक्ष्य
भाजपा ने हर बूथ पर वोटरों के हिसाब से चार ए, बी, सी और डी चार श्रेणियां बनाई गई हैं। इनका मतलब है भाजपा-कांग्रेस का कट्टर समर्थक, योजनाओं का लाभ ले रहा हितग्राही, समझाकर पक्ष में किया जाने वाला वोटर और चुनावी दावपेंच से पक्ष लाए जाने वाला मतदाता। भाजपा के कार्यकर्ता इन चारों श्रेणियों पर काम कर रहे हैं। हर बूथ पर कम से कम 51 फीसदी मतदान और कुल मतदान का 51 फीसदी भाजपा के पक्ष में जाने का भी लक्ष्य दिया गया है।
कांग्रेस: बूथ कमेटी तय करेगी उम्मीदवार
पोलिंग बूथ कमेटी अपने स्तर पर मजबूत दावेदार का नाम सेक्टर कमेटी को देगी। सेक्टर कमेटी उसका परीक्षण कर उस नाम को मंडलम या जोन कमेटी को भेजेगी। जोन कमेटी ब्लॉक कमेटी को और ब्लॉक से जिला कमेटी के पास नामों का पैनल जाएगा। जिला कमेटी ये पैनल पीसीसी को भेजेगी। कांग्रेस हर बूथ पर 10-10 कार्यकर्ता तैनात कर रही है, इसके बाद तीन बूथ पर एक सेक्टर बनाया है। एक सेक्टर पर 15 कार्यकर्ता होंगे। इनसे मंडलम की टीम जुड़ी रहेगी, दो सेक्टर पर एक मंडलम काम करेगा। 11 हजार मंडलम बनाए जा रहे हैं। एक मंडलम में 20 कार्यकर्ता होंगे। मंडलम पर 2.20 लाख लोग सेक्टर से संपर्क में रहेंगे। मंडलम से ब्लॉक, ब्लॉक से जिला और जिले का संपर्क पीसीसी का होगा। हालांकि, कांग्रेस के पास इतने कार्यकर्ता अभी नहीं हैं।
सबके अपने-अपने दावे
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल का कहना है कि भाजपा हमेशा से बूथ पर फोकस करती आई है, गुजरात हो, कर्नाटक हो चाहे अब मध्यप्रदेश। बूथ पर जीतकर ही भाजपा चौथी बार सरकार बनाएगी। वहीं कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष मानक अग्रवाल का कहना है कि कांग्रेस ने बूथ का माइक्रो मैनेजमेंट किया है। उम्मीदवारों के नाम सर्वे के अलावा बूथ से भी बुलाए गए हैं। बूथ पर कोई कमी नहीं छोड़ी जाएगी