निर्दलीय विधायकों को भाजपा में महत्व मिलने से कार्यकर्ता बगावत पर आमादा

प्रदेश में बीते विधानसभा चुनाव में भाजपा के प्रत्याशियों को पराजित करने वाले तीन निर्दलीय विधायकों की चुनावी साल में भाजपा संगठन से करीबियां कार्यकर्ताओं को पसंद नही आ रही हैं। यही वजह है कि भाजपा कार्यकर्ताओं के इसके विरोध में बगावती सुर सुनाई देने लगे हैं। यही वजह है कि स्थानीय पार्टी नेता अपने समर्थकों के साथ अध्यक्ष राकेश सिंह के सामने विरोध प्रदर्शन करने को मजबूर हो चुके हैं। इन कार्यकर्ताओं की मजबूरी है कि वे लगातार इनका विरोध करते रहे हैं। अगर पार्टी इन्हें शामिल कर विधानसभा चुनाव में टिकट देती है तो मजबूरन उन्हें उनका समर्थन करना पड़ेगा। ऐसे में मतदाताओं के सामने उनका जबाव देना मुश्किल हो जाएगा।
सुदेश राय का विरोध
सीहोर विधायक सुदेश राय निर्दलीय चुनाव जीते थे लेकिन वे भाजपा की बैठकों में शामिल होते रहे हैं। इसका यहां के पूर्व विधायक रमेश सक्सेना और जसपाल सिंह अरोरा विरोध कर रहे हैं।
झाबुआ में प्रदर्शन
झाबुआ के थांदला से निर्दलीय विधायक कल सिंह भाबर की राकेश सिंह से मुलाकात पर पार्टी के दिलीप कटास ने 500 समर्थकों के साथ उनका विरोध किया।
मुनमुन पर नहीं एक राय
सिवनी विधायक दिनेश राय मुनमुन को भाजपा ने शामिल कर लिया। यहां से नीता पटैरिया विधायक और सांसद रह चुकी हैं। नीता ने 2008 में मुनमुन को हराया था। 2013 में नीता का टिकट कटा तो मुनमुन जीत गए। नीता की फिर से दावेदारी है। स्थानीय स्तर पर मुनमुन का विरोध हो रहा है।